आर्थिक रूप से परेशान श्रीलंका क्या अब भारत की ओर झुक रहा है?

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- Author, बीबीसी मॉनिटरिंग
- पदनाम, .
हाल के महीनों से गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा श्रीलंका मदद के लिए भारत की तरफ़ देख रहा है.
आर्थिक मोर्चे पर श्रीलंका के चीन की तरफ़ झुकने का कड़ा विरोध करता रहा भारत इस मुश्किल वक़्त में अपने दक्षिणी पड़ोसी श्रीलंका को एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन (आसान लोन) देने जा रहा है. इसके ज़रिए भारत भी श्रीलंका में अपनी पकड़ मज़बूत करने की उम्मीद करता है.
श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षा इस समय भारत के दौरे पर हैं. उनका ये दौरा ऐसे समय हो रहा है जब श्रीलंगा में तेल और गैस की किल्लत है और खाद्य पदार्थों के दाम ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं. डॉलर के मुकाबले श्रीलंका का रुपया टूट रहा है और लोग राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षा का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं.
वहीं राष्ट्रपति का कहना है कि वो इस आर्थिक संकट का जल्द से जल्द समाधान करने में लगे हैं और जनता को राहत देने जा रहे हैं.
बढ़त बना रहा है भारत
दोनों देशों के बीच आर्थिक द्वपक्षीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ श्रीलंका ने इस साल जनवरी के बाद से कई भारतीय प्रोजेक्टों को मंज़ूरी दी है. ट्रिंकोनमल्ली ऑयल टैंक फंर्म की स्थापना के लिए श्रीलंका में भारत की इंडियन ऑयल कार्पोरेशन की सब्सिडरी कंपनी लंका आईओसी, सेलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और श्रीलंका की सरकार ने छह जनवरी को समझौता किया था.
भारत की सरकारी कंपनी नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (एनटीपीसी) ने श्रीलंका की सरकारी बिजली कंपनी सेलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के साथ ट्रिंकोमाली के सामपुर में सौर्य ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए 11 मार्च को समझौता किया था. अडानी समूह ने भी उत्तरी श्रीलंका में दो अक्षय ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए समझौते किए हैं. अडानी समूह इसमें 50 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा.
वहीं, रिपोर्टों के मुताबिक, कांकेसंथुरई बंदरगाह पर पलय हवाई अड्डे के लिए निर्माण के लिए भी भारत श्रीलंका पर प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए दबाव बना रहा है.

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ये सभी घटनाक्रम इसलिए भी अहम हैं क्योंकि दिसंबर 2020 में भारत ने श्रीलंका में हाईब्रिड इनर्जी प्लांट के निर्माण में चीन की कंपनी की भागीदारी का विरोध किया था.
इसके बाद चीन ने ये ठेका ही रद्द कर दिया था. चीन ने इसके लिए तीसरे पक्ष की वजह से सुरक्षा कारणों को ज़िम्मेदार बताया था. हालांकि चीन ने सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया था लेकिन विश्लेषकों का मानना था कि चीन का इशारा भारत की तरफ़ ही था.
प्रस्तावित प्रोजेक्टों की भारत से नज़दीकी और भारतीय नौकायन के लिए पेश चिंताओं को मद्देनज़र भारत ने श्रीलंका को ये प्रोजैक्ट कम क़ीमत पर बनाने का प्रस्ताव दिया था. भारत ने ये भरोसा भी दिया था कि पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं का भी ध्यान रखा जाएगा.
इसी बीच भारतीय मीडिया श्रींलका को लेकर भारत की नीति का स्वागत करता रहा है.
अंग्रेज़ी अख़बार एशियन एज ने एक लेख में कहा है कि समय आ गया है जब श्रीलंका को भारत के प्रति अपने दोहरे रवैये को हमेशा के लिए ख़त्म कर देना चाहिए. ये आर्थिक और ढांचागत फ़ायदों के लिए चीन पर अतिनिर्भरता की वजह से पैदा हुआ है.
अख़बार ने ये भी लिखा कि समय आ गया है जब श्रीलंका और भारत अपने रिश्तों को फिर से परिभाषित करें.
रूस-यूक्रेन संघर्ष से गहराया श्रीलंका का संकट

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रूस और यूक्रेन के बीच जारी हिंसक संघर्ष ने कच्चे तेल के दामों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. इसकी वजह से तेल ख़रीदना महंगा हो गया है, यात्राएं महंगी होने की वजह से पर्यटन से होने वाली कमाई पर भी असर हुआ है. ऐसे में श्रीलंका के लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
हर साल जनवरी में क़रीब बीस हज़ार रूसी और यूक्रेनी लोग श्रीलंका की यात्रा करते हैं. श्रीलंका पर्यटन विकास प्राधिकरण के मुताबिक ये कुल पर्यटकों का लगभग एक चौथाई होते हैं.
यूक्रेन-रूस के बीच जारी संघर्ष ने ऐसे में श्रीलंका के लिए भी मुश्किलें पैदा कर दी हैं. श्रीलंका विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाकर इस संकट से उबरने की उम्मीद कर रहा था.
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