प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले जो कुछ कहा उसके मायने क्या हैं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार शाम समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस से लेकर सपा और बसपा पर निशाना साधने के साथ-साथ चुनावी जय- पराजय के साथ बीजेपी के रिश्तों पर भी अपनी बात रखी.
पीएम मोदी ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी में हम चुनाव हार-हार कर ही जीतने लगे हैं. हमने बहुत पराजय देखी है. ज़मानतें ज़ब्त होती देखी है. मैं तो तब राजनीति में नहीं था. लेकिन एक बार मैंने देखा कि...उस दौर में जनसंघ हुआ करता था. शायद दीपक चुनाव चिह्न था. मैंने देखा कि कहीं मिठाई बांट रहे थे तो हमने सोचा कि ये मिठाई क्यों बांट रहे हैं, ये तो सब हार गए हैं. तो बताया कि साहब, हमारे तीन लोगों की ज़मानत बच गयी है. इसलिए मिठाई बांट रहे हैं.
हम उस जमाने से गुज़रे हुए लोग हैं. और इसलिए जय और पराजय दोनों ही हमने देखा है. हम जब विजयी होते हैं तो हमारी कोशिश ये होती है कि हम ज़्यादा से ज़्यादा ज़मीन से जुड़े रहें. ज़मीन के साथ जितना गहरा नाता बनता जाए. हम बनाएं."
इसके बाद पीएम मोदी ने कहा, "जहां तक पराजय का सवाल है तो हम पराजय में भी आशा को खोजते रहते हैं. हम निराशा में डूबकर इसने किया, उसने किया, इसको ये करो, वो करो - फलाना करो...इन सब चक्करों में नहीं पड़ते.
हम सोचते हैं कि सामने वाले की रणनीति क्या थी. उसके तौर-तरीके क्या थे. वो लोगों को गुमराह करने में क्यों सफल हुए. हमारी बात को हम कैसे पहुंचाएंगे. हम अन्य दलों का भी अभ्यास करते हैं और अपना भी अभ्यास करते हैं. हम हर चुनाव से सीखते हैं. चुनाव जय का हो या पराजय का हो."

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मतदान से ठीक पहले इंटरव्यू पर उठे सवाल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर 10 फ़रवरी के मतदान से ठीक कुछ घंटों पहले दूरदर्शन से लेकर तमाम टीवी चैनलों पर प्राइम टाइम में प्रसारित हुए पीएम मोदी के इस इंटरव्यू पर तमाम सवाल उठ रहे हैं.
पीएम मोदी की आलोचना करने वाले इस चुनाव को आचार संहिता का उल्लंघन मान रहे हैं. वहीं, बीजेपी नेता और समर्थक पीएम मोदी के इस इंटरव्यू का बचाव भी कर रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी मानती हैं कि ये इंटरव्यू मोदी का मोनोलॉग (लंबा भाषण) जैसा लगता है.
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वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने इसे चुनाव आचार संहिता के साथ खिलवाड़ बताया है.
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वहीं, वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर सिंह लिखते हैं कि "PM मोदी ने अपने इंटरव्यू में गुमराह शब्द का इस्तेमाल BJP की हार के संदर्भ में किया कि जहां हारते हैं वहाँ हम मंथन करते हैं कि सामने वाला 'गुमराह' करने में सफल क्यों हुआ. मतलब 2017 में पंजाब की जनता 'गुमराह' हुई? ये भारत के वोटरों की समझ पर सवाल है और घोर अलोकतांत्रिक बयान है."
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पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने पीएम मोदी के इस इंटरव्यू को वर्चुअल रैली करार दिया.
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इस पूरे इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब में विपक्षी दलों पर निशाना साधा.
लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इस इंटरव्यू में पीएम मोदी द्वारा खुद को चुनाव से दूर करने की कोशिश करना काफ़ी दिलचस्प है.
इस इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि वह चुनाव आयोग की मर्यादाओं के चलते मतदान कार्यक्रम की घोषणा के बाद चुनाव वाले प्रदेशों जैसे उत्तर प्रदेश या पंजाब आदि में नहीं जा सके.
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ज़िम्मेदारी से बचने की कोशिश?
लेकिन जहां एक ओर पीएम मोदी इस चुनाव से ख़ुद को दूर करते दिखे, वहीं दूसरी ओर वह सीएम योगी के कंधों पर आने वाले चुनाव परिणाम की ज़िम्मेदारी डालते दिखे.
उन्होंने तमाम योजनाओं का श्रेय योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह के बयान के आने के क्या मायने हैं.
बीबीसी ने राष्ट्रीय राजनीति और उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति को गहराई से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी से बात की.
रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं, "पीएम मोदी ने इस इंटरव्यू में कहा है कि बीजेपी पांचों राज्यों में जीतने जा रही है. यूपी में लहर चल रही है. हमने वहां काम किया है. उन्होंने शौचालय से लेकर ऋण मुक्ति जैसी ढेर सारी उपलब्धियां भी गिनाईं.
लेकिन ये काफ़ी अस्वाभाविक था. दो तीन बातें इसमें ग़ौरतलब हैं. सामान्यत: चुनाव के वक़्त ये सब कहा नहीं जाता है. इसके साथ ही इंटरव्यू करने वाले ने जब पूछा कि आपने जमकर चुनाव प्रचार किया तो पीएम मोदी ने तुरंत कहा कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद मैं इन राज्यों का दौरा ही नहीं कर पाया क्योंकि चुनाव आयोग की मर्यादा थी और प्रतिबंध थे.
ये बड़ा हास्यास्पद लगता है कि प्रधानमंत्री कहें कि चुनाव आयोग की मर्यादा की वजह से नहीं गए. यूपी में उनका बिजनौर दौरा लगा था और कैंसल हो गया. ख़राब मौसम का हवाला दिया गया. हालांकि, मौसम ख़राब नहीं था और यूपी और उत्तराखंड दिल्ली के दरवाज़े पर हैं. कभी भी जा सकते हैं.
ऐसे में उन्होंने अपने आपको चुनाव से दूर करने की कोशिश की है. ताकि अगर वहां कुछ गड़बड़ होता है तो उसका ठीकरा उनके ऊपर न फूटे. पराजय पर उन्होंने जो कुछ कहा, वो एक तरह से अस्वाभाविक लग रहा था.
और एक घंटे से ज़्यादा के इंटरव्यू में से उन्होंने 25-30 मिनट यूपी पर खर्च किए. इसमें उन्होंने दो लड़कों का ज़िक्र किया...ये काफ़ी अजीब है, प्रधानमंत्री के स्तर से क्योंकि इनमें से एक शख़्स तो मुख्यमंत्री रह चुके हैं, उनको लड़के कहने का क्या तात्पर्य है, ये समझ में नहीं आता.
लेकिन ऐसा लगता है कि इन दो लड़कों ने उनको परेशान कर रखा है."
पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान अखिलेश यादव और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उनके लिए 'दो लड़के' शब्द का इस्तेमाल किया था.
उन्होंने कहा, "दो लड़कों का यह खेल हम पहले भी देख चुके हैं. उनका अहंकार इतना बढ़ गया था कि उन्होंने ''गुजरात के दो गधे'' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था. लेकिन यूपी ने उन्हें सबक सिखा दिया. दूसरी बार इन दो लड़कों के साथ ''बुआ जी'' भी मिल गईं. फिर भी वे नाकाम रहे.''
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