You’re viewing a text-only version of this website that uses less data. View the main version of the website including all images and videos.
कासगंज मामला: मृत युवक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट क्या कहती है?
- Author, अनंत झणाणे
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए
उत्तर प्रदेश के कासगंज में 22 साल के युवक अल्ताफ़ की कासगंज थाने में कथित आत्महत्या के मामले में उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है.
अल्ताफ़ के परिवारवालों का आरोप है कि उनके बेटे ने थाने के शौचालय में नल से लटक कर आत्महत्या नहीं की, बल्कि अल्ताफ़ को प्रताड़ित किया गया. उसके बाद संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हुई. परिजनों ने पुलिस पर पीट-पीट कर हत्या करने के आरोप लगाए हैं.
पुलिस एक नाबालिग़ लड़की की गुमशुदगी के मामले में अल्ताफ़ को कासगंज थाने लेकर आयी थी.
क्या कहती है अल्ताफ़ की पोस्टमोर्टम रिपोर्ट?
कासगंज के एसपी रोहन पी बोत्रे का कहना है कि पोस्टमार्टम में पाया गया है कि, "एस्फिक्सिया ड्यू टू एंटी मॉर्टम हैंगिंग" मौत का कारण है.
आसान भाषा में कहा जाए तो इसका मतलब मृत्यु के पहले फांसी लगने से दम घुटना है.
एसपी के अनुसार, "शव पर फांसी लगने के अलावा कोई इंजरी मार्क्स याने घाव के निशान भी नहीं हैं. यह दिखाता है कि उनके साथ किसी भी प्रकार की मार पिटाई और टॉर्चर नहीं हुआ है."
अल्ताफ़ की पोस्ट मोर्टेम की रिपोर्ट भी वायरल हो गयी है. पूरी रिपोर्ट में हिंदी में सिर्फ़ एक लाइन लिखी गयी है जिसमे कहा गया है कि, "गले में कोई रस्सी या कपडे़ का फन्दा नहीं पाया गया है."
इसके बारे में एसपी रोहन बोत्रे का कहना है, "डॉक्टरों को रस्सी नहीं मिली थी. आम तौर पर कपड़े भी जाते हैं. क्योंकि रस्सी छुड़वाना था, क्योंकि रस्सी बहुत कस के लगाई हुई थी उसने, तो रस्सी को निकाल लिया गया था."
पुलिस अधीक्षक का तर्क अपनी जगह है, लेकिन फिर भी यह सवाल बरक़रार है कि दो फ़ीट की ऊंचाई वाले नलके की टोटी से भला कोई कैसे आत्महत्या कर सकता है?
इसके जवाब में एसपी का कहना है, "अल्ताफ़ का गला कटा हुआ है. गले में गहरा निशान है और विंड पाइप को इंजरी लगने में बहुत समय नहीं लगता है."
इस बीच लापरवाही बरतने के आरोप में थाने के एसएचओ और चार अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. मामले की मजिस्ट्रेट से जांच के आदेश भी दिए जा चुके हैं.
क्या अल्ताफ़ के पिता ने वापस लिया हत्या के आरोप का बयान?
बुधवार शाम एक और लेटर वायरल हुआ जिसमें यह बताया गया कि अल्ताफ़ के पिता चाँद मियां थाना कासगंज में एक गुमशुदगी के में मामले में अपने बेटे को छोड़ कर गए थे. चिट्टी में चाँद मिया का अंगूठा लगा हुआ है और उसमें लिखा है कि, "मेरे पुत्र अल्ताफ़ ने डिप्रेशन में आकर फांसी लगा ली. उसको पुलिस वाले उपचार के लिए अशोक नगर की सीएचसी में लेकर पहुँचे, जहाँ उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी."
इस चिट्ठी में पुलिस के बारे में कहा गया है कि, "मुझे पुलिस वालों से कोई शिकायत नहीं है. न मैं और ना मेरा परिवार कोई करवाई करना चाहता है और न ही भविष्य में करूंगा."
इसके बाद चांद मियां का एक और वायरल वीडियो जारी हुआ, जिसमें चाँद मियां कह रहे हैं, "मैंने ग़ुस्से में बोल दिया था मीडिया वालों को. जब मैंने डॉक्टरों से मालूमात की तो उन्होंने बताया कि आपके बच्चे ने फांसी लगा ली है. मेरे साथ पुलिस वाले ने उसका इलाज भी कराया और आख़िरकार नहीं बचा. उन्होंने मेरे साथ भी अच्छा बर्ताव किया. मैं कार्रवाई से संतुष्ट हूँ."
यह वीडियो किसने जारी किया इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. लेकिन मीडिया ने जब चाँद मियां से इस वीडियो और पत्र के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि, "मैं अनपढ़ आदमी हूँ. मुझे नहीं मालूम की काग़ज़ में क्या लिखा है क्या नहीं. मुझे साइन करने के लिए सीओ साहब ने कहा, मैंने साइन कर दिए. बच्चा मैंने सही सलामत पुलिस वालों को दिया था. तो मैं इन्साफ चाहता हूँ. मैं चाहता हूँ कि मुझे इन्साफ मिले. पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में मेरे बच्चे की ज़िन्दगी बर्बाद हो गयी. मेरे ज़िन्दगी बर्बाद हो गयी. यह हत्या की गई है. मेरा बच्चा जा चुका है, मैं क्या करूँ. मुझे तो जैसा बोला गया मैंने वैसा कर दिया. मुझे कुछ नहीं पता."
इसके बारे में कासगंज के एसपी रोहन बोत्रे का कहना है कि, "यह चिट्ठी की बात सही है. मेरे पास वो चिट्ठी है. उन्होंने चिट्ठी में यह सब लिखा है और उन्होंने बाईट भी दिया है कि उन्होंने डॉक्टरों से बात की है और वो उस बात से संतुष्ट हैं कि मौत फांसी लगाने से हुई है, और मौत की कोई दूसरी वजह नहीं है."
क्या हो रही है कासगंज पर सियासत?
बसपा प्रमुख मायावती ने अल्ताफ़ की मौत के बारे में ट्वीट कर कहा, "कासगंज में पुलिस कस्टडी में एक और युवक की मौत अति-दुखद व शर्मनाक. सरकार घटना की उच्च स्तरीय जाँच कराकर दोषियों को सख़्त सज़ा दे तथा पीड़ित परिवार की मदद भी करे. यूपी सरकार आए दिन कस्टडी में मौत रोकने व पुलिस को जनता की रक्षक बनाने में विफल साबित हो रही है यह अति-चिंता की बात है."
मुज़फ़्फ़रनगर में किसानों की एक रैली के दौरान आज अखिलेश यादव ने कासगंज की घटना को उठाते हुए कहा, "एक उदहारण नहीं, हम कई उदाहरण उत्तर प्रदेश के दे सकते हैं, जहाँ पर बीजेपी की सरकार में निर्दोष लोगों की हत्या हो गयी. कल की घटना में एक नौजवान को पुलिस उठा कर ले गयी और उसे इतना मारा है पुलिस ने थाने में, पुलिस ने इतना अन्याय किया है कि उस नौजवान की जान चली गयी. अगर कोई दोषी है उसके लिए तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार दोषी है, उस नौजवान की जान जाने के लिए."
मायावती और अखिलेश ने अल्ताफ़ ने बयान ज़रूर दिए हैं, लेकिन प्रमुख राजनीतिक दल अल्ताफ़ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत को लेकर ज़मीन पर ज़्यादा सक्रिय नहीं हुए हैं.
कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को अल्ताफ़ के परिवारवालों से मिलने पहुँचा जिसमें पार्टी की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक के साथ हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल भी मौजूद थे.
पोस्टमॉर्टम के बारे में पंखुड़ी पाठक ने कहा, "परिवार के साथ सबसे ग़लत बात यह हुई कि तब उनको बच्चे का शव नहीं दिखाया गया. और अब पोस्टमार्टम के बाद उन्हें बताया जा रहा है कि इस तरह की रिपोर्ट आयी हैं. तो कोई भी व्यक्ति इस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं कर सकता. परिवार वालों का कहना है कि जब बच्चे को पूछताछ के लिए ले गए तो वो इस तरह की मानसिक स्थिति में नहीं था कि वो आत्महत्या कर ले. तस्वीर हम सब लोगों ने देखी है. कोई भी आदमी जिसमें थोड़ी भी सूझ-बूझ है, वो कैसे इस बात पर यक़ीन कर लेगा कि दो फ़ुट के नलके से एक डोरी से कोई आत्महत्या कर सकता है."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)