दिल्ली में बच्ची के साथ ‘रेप और हत्या' का आरोप, पुलिस से नाराज़गी, सड़क पर उतरे लोग- ग्राउंड रिपोर्ट

दिल्ली में 9 साल की बच्ची से रेप और हत्या का आरोप
    • Author, सलमान रावी
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

दिल्ली की 'पुरानी नांगल' बस्ती तक आने वाले सभी रास्तों को एक अगस्त की रात से ही सील कर दिया गया था. इस इलाक़े में लोग तभी से सड़कों पर जमे हुए हैं.

भीड़ बढ़ती ही जा रही है और चिलचिलाती धूप और उमस के बावजूद बस्ती के लोग पीछे हटने को राज़ी नहीं हैं.

ये मांग कर रहे हैं कि उनकी बस्ती की नौ साल की बच्ची की हत्या में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ दायर मामले का निष्पादन 'फ़ास्ट ट्रैक' कोर्ट में किया जाए ताकि पीड़ित परिवार को इंसाफ़ मिलने में देर न हो.

मामले की प्राथमिकी दर्ज करने में 'पुलिस की आनाकानी' को लेकर भी लोगों में आक्रोश है.

वो उन पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने पीड़ित के परिवार को ही 15 घंटों तक दिल्ली कैंट थाने में बैठाए रखा और प्राथमिकी दर्ज करने में भी देरी की.

इस परिवार में एक अगस्त को शाम के पाँच बजे तक तीन सदस्य थे जो कूड़ा चुनकर और भीख मांगकर अपना गुज़र बसर करते थे. लेकिन उस दिन जब नौ वर्ष की अपनी बेटी को माँ ने पास के ही शमशान घाट में लगे कूलर से ठंडा पानी लाने के लिए भेजा, उन्हें अंदाज़ा ही नहीं था कि उन पर क्या विपत्ति आने वाली है. कुछ ही पलों में उनकी दुनिया ही बदल गई.

जब बेटी के लौटने में काफ़ी देर हो गई, तो माँ उसे अड़ोस-पड़ोस में ढूँढते ढूँढते शमशान घाट पहुँचीं.

इस मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार जब माँ वहाँ पहुँचीं, तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी ज़मीन पर बेजान पड़ी हुई थी. बेटी की "नाक से खून निकल रहा था, होंठ और ज़ुबान नीले हो गए थे, बदन पर ख़राशें थीं और कपड़े गीले थे."

उसके साथ क्या हुआ था किसी को पता नहीं. लेकिन माँ को शक हुआ कि बेटी के साथ "बलात्कार किया गया" है.

दिल्ली में 9 साल की बच्ची से रेप और हत्या का आरोप

माँ को धमकाया, बच्ची का शव जला दिया

जब हम वहाँ पहुँचे, तो माँ का रो-रोकर बुरा हाल था और वो रह रह कर बेहोश हुई जा रहीं थीं. पिता को भी लोग बमुश्किल संभाल पा रहे थे. माँ रोते हुए अपनी बेटी को आवाज़ लगा रहीं थीं. आसपास की महिलाएँ उनको दिलासा देने की कोशिश कर रहीं थीं.

होश आता तो माँ घटना के बारे में बताती हैं और फिर बेसुध हो जाती हैं. वो बहुत कुछ कहना चाह रहीं थी. वो रह रहकर कहती हैं कि जब बेटी को ढूँढते हुए वो शमशान घाट पहुँचीं और उसे ज़मीन पर पड़ा हुआ पाया तो वहाँ मौजूद पुजारी और तीन अन्य कर्मियों ने उनसे कहा कि कूलर में करंट आ रहा था, जिसकी वजह से उनकी बेटी की मौत हो गई है.

फिर पुजारी और उनके तीन सहयोगियों ने बच्ची की माँ को "धमकाया" और कहा कि वो "पुलिस को इसकी सूचना नहीं दे". अगर वो ऐसा करेंगी तो 'पोस्टमॉर्टम' करते समय "डॉक्टर उनकी बेटी के "अंग निकाल लेंगे".

पीड़ित परिवार के पड़ोसी नितिन बगहा ने उस दिन के घटनाक्रम को बयान करते हुए बीबीसी को बताया कि पुजारी और उनके सहयोगियों ने शमशान का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया था.

वे कहते हैं, "जब माँ भी वापस नहीं लौटीं तब पिता भी परेशान हो गए और शमशान घाट गए. फिर लौटकर उन्होंने पड़ोसियों को बताया कि दरवाज़ा अंदर से बंद है. हमलोग इकठ्ठा होकर गए. दरवाज़ा तोड़कर घुसे तो देखा कि बेटी की चिता जल रही थी. तब तक रात के 10 बज चुके थे."

दिल्ली में 9 साल की बच्ची से रेप और हत्या का आरोप

पुलिस की लापरवाही

पीड़ित परिवार के पड़ोसी नितिन बगहा ने बताया, "पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस आई, लेकिन जब हम चिता में पानी डाल रहे थे तो पुलिस ने हमें ऐसा करने से रोका."

पुलिस ने इस मामले जिन लोगों को गिरफ़्तार किया है, उनमें पुजारी राधेश्याम के अलावा कुलदीप, लक्ष्मी नारायण और सलीम शामिल हैं.

जब तक चिता की आग पर पानी डालकर बुझाया जा सका, उससे सिर्फ़ पैर ही बच पाए जबकि बाक़ी शरीर के दूसरे हिस्से पूरी तरह जल चुके थे.

दिल्ली कैंट थाने में तैनात 'फॉरेंसिक टीम' ने चिता की राख और शव से बरामद किए गए पैरों को जाँच के लिए लैब में भेजा है ताकि और भी जानकारी मिल सके."

बीबीसी से दिल्ली कैंट के एसएचओ जगदीश राय ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने ख़ुद चिता पर पानी डालकर आग को बुझाया था. वो कहते हैं कि घटना 6 बजे शाम की है जबकि पुलिस को इसकी सूचना 10.30 बजे रात को मिली.

वो कहते हैं, "सूचना मिलते ही हम वहाँ पर फ़ौरन पहुँचे. उस समय तक चिता जल रही थी."

दिल्ली में 9 साल की बच्ची से रेप और हत्या का आरोप

भीख मांगकर गुज़ारा कर रहा परिवार

घटना स्थल यानी इस शमशान घाट के ठीक सामने पीर बाबा की दरगाह है, जहाँ पीड़ित का परिवार भीख मांगकर गुज़ारा करता है. चारों तरफ़ सैन्य प्रतिष्ठान हैं, चूँकि ये छावनी का इलाक़ा है. बस्ती में जिस घर में परिवार रहता है, उसमें एक पुरानी टूटी फूटी चारपाई, पुराने कपड़े और बर्तन पड़े थे.

घर की बिखरी हुई चीज़ें परिवार की हालत की गवाही दे रही थी. आसपास के लोग बताते हैं कि आम तौर पर कूड़ा चुनकर अपना जीवन यापन करने वाले इस परिवार के सामने कोरोना की वजह से ख़ुद को जिंदा रखने की चुनौती आ गई, चूँकि सब कुछ बंद हो गया था. इसलिए जब चीज़ें फिर खुलीं, तो वो पीर बाबा की मज़ार पर भीख मांगकर गुज़ारा करने लगे.

पड़ोस के नितिन बागहा बताते हैं कि जब खाने को कम पड़ जाता, तो परिवार दूसरे घरों से मांग कर पेट भर लेता था. घटना के बाद से पूरे इलाके में शोक साफ़ दिख रहा है.

दिल्ली में 9 साल की बच्ची से रेप और हत्या का आरोप

"मामला रफ़ा दफ़ा करने को कहा था"

बच्ची के पिता कहते हैं कि चूँकि गर्मी काफ़ी पड़ रही थी और शमशान घाट में पीने के पानी का कूलर लगा हुआ था, तो अक्सर उनकी बेटी वहाँ से पानी भरकर लाती थी. वो अकेली ही जाती थी. उस दिन भी गई.

वे बताते हैं कि पहले अभियुक्तों ने "पैसे लेकर मामला रफ़ा दफ़ा" करने के लिए कहा था. वो कहते हैं कि उन्हें पड़ोस के लोगों से पता चला कि शमशान घाट में कुछ हुआ है. चूँकि बेटी गई थी और फिर पत्नी उसे ढूँढते हुए गई थी, तो वे भी वहाँ दौड़ पड़े. ये शाम के 7.30 बजे की बात है.

उनका कहना था कि जब वो वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने पुजारी से पूछा कि क्या हुआ तो पुजारी ने कहा कि बात को आगे ना बढाएँ.

वर्ष 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया बलात्कार और हत्या के मामले को लड़ने वाली वकील सीमा कुशवाहा का कहना था कि शक इसी बात से पैदा होता है कि लड़की को जलाने की कोशिश की गई.

वो कहती हैं, "अगर सिर्फ़ करंट लगने से ही मौत हुई होती तो फिर अभियुक्तों ने उसे जलाने की कोशिश क्यों की? क्यों पुलिस को ख़ुद से सूचना नहीं दी या फिर अस्पताल ले जाने की कोशिश क्यों नहीं की. ये भी पता नहीं कि जलाने से पहले वो जिंदा थी या नहीं. इन सब बातों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि क्या हुआ होगा."

वीडियो कैप्शन, रेप के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कितने कारगर?

लोगों में ग़ुस्सा

लोगों में पुलिस की भूमिका को लेकर भी आक्रोश है. दलित संगठन और स्थानीय लोग उन अधिकारियों को बर्ख़ास्त करने की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने मामला दर्ज करने में आनाकानी की थी और पीड़ित परिवार को घंटों थाने में रखा. इस बात पर भी उत्तेजना है कि पहले हल्की प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसकी प्रति भी पीड़ित परिवार को नहीं दी गई.

सामाजिक कार्यकर्ता और बलात्कार की घटनाओं के ख़िलाफ़ काम करने वाली योगिता भयाना कहती हैं कि पुलिस ने पीड़ित परिवार पर दबाव बनाया कि वो यही कहे कि 'करंट लगने' से ही मौत हुई है.

उन्होंने बीबीसी को बताया, "थाने में 15 घंटों तक परिवार पर दबाव बनाने का काम किया गया. उनकी मदद करने की बजाय उनको ही परेशान किया गया. दबाव डालकर धारा 164 के तहत बयान भी करवाया, जिसमें कहने पर मजबूर किया कि वो यही कहें कि करंट लगने से मौत हुई. शुरू की प्राथमिकी में सिर्फ़ हत्या और साक्ष्य मिटाने की धाराएँ ही लगाई गई थीं."

सोमवार 3 अगस्त को इस मामले में फिर से नई प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसकी प्रति एसीपी दलीप सिंह ने ख़ुद प्रदर्शन स्थल पर जाकर पीड़ित परिवार को दी.

इससे पहले एसीपी ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि प्राथमिकी में अनुसूचित जाति, जनजाति उत्पीड़न अधिनियम के अलावा धारा 302, 376, 506 के अलावा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (2012) की धाराएँ भी जोड़ी गई हैं. उनका कहना था कि जिस दिन घटना घटी उसी दिन पुलिस ने सभी अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया था और अब उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

एसीपी कहते हैं कि पीड़ित परिवार का बयान थाने में नहीं बल्कि मजिस्ट्रेट के सामने हुआ है इसलिए दबाव के आरोप ग़लत हैं.

वीडियो कैप्शन, उन्नाव की बलात्कार पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई है.

क्या है लोगों की मांग?

लेकिन लोगों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है. भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद का कहना था कि जब तक सरकार दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित नहीं करती है और जब तक पीड़ित परिवार को मुआवज़ा नहीं मिलता है, आंदोलन जारी रहेगा.

'पुरानी नांगल' बस्ती में पड़ोसी राज्यों से भी दलित और महिला संगठनों के कार्यकर्ताओं के पहुँचने का सिलसिला जारी है.

शारदा दीक्षित सांस्कृतिक संगठन से हैं और विरोध प्रदर्शन में शामिल होने आई हैं. वे कहती हैं कि समाज के दबे और कुचले वर्ग के लोगों को इंसाफ़ के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है वो इस घटना से उजागर होता है.

उनका कहना है कि सिर्फ़ जाति ही नहीं, महिलाओं के उत्पीड़न की जब बात आती है तो सरकारी तंत्र का रवैया एक जैसा ही होता है.

इसलिए ये संगठन पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

छोड़िए X पोस्ट, 1
X सामग्री की इजाज़त?

इस लेख में X से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले X cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.

चेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं.

पोस्ट X समाप्त, 1

बुधवार को सुबह-सुबह कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी भी घटना स्थल पहुँचे और पीड़ित परिवार से मुलाक़ात की. वहीं दिल्ली सरकार ने भी मामले की जाँच एक मजिस्ट्रेट से कराने का निर्णय लिया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे और उन्होंने 10 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा भी की.

छोड़िए X पोस्ट, 2
X सामग्री की इजाज़त?

इस लेख में X से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले X cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.

चेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं.

पोस्ट X समाप्त, 2

लेकिन पूर्व सांसद और अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों के महासंघ के अध्यक्ष उदित राज कहते हैं कि दिल्ली सरकार को चाहिए कि वो एक करोड़ रुपये बतौर मुआवज़ा दे.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)