दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा, सरकारें अदालतों में झूठ क्यों बोलती हैं? – प्रेस रिव्यू

दिल्ली हाई कोर्ट ने अदालतों में सरकारों के 'झूठे दावे' करने पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि उन अधिकारियों की जवाबदेही तय हो, जो ऐसी चूक करते हैं.

अंग्रेज़ी अख़बार, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इस ख़बर को पहले पन्ने पर प्रकाशित किया है.

अख़बार ने लिखा है कि 'शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जब भी सरकारें अदालत में कोई झूठा दावा करती हैं, तो इससे याचिकाकर्ता के साथ बड़ा अन्याय होता है.'

ख़बर के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट ने रेल दावा न्यायाधिकरण के दिये मुआवज़ों को सरकार की ओर से दी गई चुनौती और लीज़ पर ली गई एक प्रॉपर्टी को लेकर सीमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के झूठे दावों से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान ये बात कही.

अदालत ने केंद्र और दिल्‍ली सरकार से कहा कि मुक़दमेबाज़ी की एक ऐसी नीति बनाएं जिससे अदालती मामलों में चूक करने वाले अधिकारियों को ज़िम्‍मेदार ठहराया जा सके.

31 पन्नों के आदेश में जस्टिस जे आर मिधा ने कहा कि 'इन सभी मामलों में सरकार ने इस अदालत के सामने झूठे दावे पेश किये, जो बड़ी चिंता की बात है. इन सभी मामलों ने अदालत की आत्‍मा को हिलाकर रख दिया है. ऐसा लगता है कि झूठे दावे इसलिए किये जाते हैं क्‍योंकि ऐसा करने पर किसी सरकारी अधिकारी की कोई जवाबदेही नहीं है. अदालतें ऐसे झूठे दावे करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कम ही करती हैं.'

जस्टिस मिधा ने सुझाव दिया कि 'अगर अधिकारियों की तरफ से दिये गए तथ्य ग़लत पाये जाते हैं तो सरकार कार्रवाई की सोचे और इस आदेश की कॉपी उस अधिकारी की एसीआर फ़ाइल में ज़रूर रखी जाये. इससे यह सुनिश्चित होगा कि वो अधिकारी अदालती मामलों में अपने काम के लिए जवाबदेह रहेगा.'

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने सिक्किम और हरियाणा का उदाहरण दिया. कोर्ट ने कहा कि वहाँ मुक़दमेबाज़ी की ऐसी नीतियाँ हैं जो ज़्यादा जवाबदेही लाती हैं.

कोर्ट ने कहा कि केंद्र के साथ-साथ दिल्‍ली सरकार को भी ऐसे नियम लागू करने की ज़रूरत है. हालांकि, केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि अभी मुक़दमेबाज़ी को लेकर उसकी कोई नीति नहीं है.

कोवैक्सीन की क्षमता का पता चला, डेल्टा वेरिएंट के ख़िलाफ़ 65.2 प्रतिशत प्रभावी

हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता कंपनी, भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन - कोवैक्सीन की क्षमता का अंतिम आकलन पूरा कर लिया गया है. कोविड-19 के लक्षण वाले मामलों के ख़िलाफ़ यह 77.8 प्रतिशत और नये डेल्टा वेरिएंट के ख़िलाफ़ इसे 65.2 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है.

अंग्रेज़ी के अख़बार, द हिन्दू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि शनिवार को तीसरे चरण के परीक्षण पूरे होने के बाद कंपनी ने यह जानकारी दी.

टीके के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण भारत के 25 स्थानों पर किये गए जिनमें दूसरी ख़ुराक लेने के कम से कम दो सप्ताह बाद सामने आये 130 लाक्षणिक कोविड-19 मामलों का स्थिति आधारित विश्लेषण किया गया.

यह टीका भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पुणे की राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है.

भारत बायोटेक के प्रमुख एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने कहा कि हमें यह कहते हुए गर्व है कि भारत का नवोन्मेष अब वैश्विक आबादी को सुरक्षित करने के लिए उपलब्ध होगा.

आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रभावी सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत आईसीएमआर और बीबीआईएल द्वारा विकसित कोवैक्सीन भारत के अब तक के सबसे बड़े तीसरे चरण के कोविड क्लिनिकल परीक्षणों में 77.8 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है.

भार्गव ने कहा कि मैं इस बात को लेकर प्रसन्न हूँ कि कोवैक्सीन सार्स-सीओवी-2 के सभी स्वरूपों के ख़िलाफ़ अच्छे से काम करती है.

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि देश में कोरोना वैक्सीन की 35 करोड़ से ज़्यादा डोज़ दी जा चुकी हैं.

सिद्धू ने जमा किया बिजली का बिल

हिन्दी अख़बार, दैनिक जागरण की ख़बर है कि काफ़ी फजीहत के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को अपने घर का बकाया बिजली का बिल जमा करा दिया.

सिद्धू के क़रीबी और उनके कार्यालय के सचिव राजी महाजन ने 8 लाख 67 हज़ार रुपये के बकाया बिजली बिल का ऑनलाइन भुगतान करने की जानकारी दी.

अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि स्थानीय बिजली अधिकारी को शनिवार सुबह सिद्धू ने फ़ोन किया था. इस बातचीत में उन्होंने ऑनलाइन भुगतान करने की जानकारी माँगी थी.

पिछले कई दिनों से नवजोत सिंह सिद्धू अपने बकाया बिजली बिल की वजह से ख़बरों में थे.

उनके बारे में कहा जा रहा था कि बिजली संकट पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को घेरने वाले सिद्धू ने ख़ुद 8 लाख से ज़्यादा का बिजली बिल नहीं भरा है.

इससे पहले, नवजोत सिंह सिद्धू बिजली संकट को लेकर पंजाब की मौजूदा कांग्रेस सरकार और पूर्व की अकाली सरकार, दोनों को घेर रहे थे.

शुक्रवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने एक साथ कई सारे ट्वीट किये थे. इस दौरान उन्होंने पंजाब में जारी बिजली संकट को लेकर राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किये और पिछली सरकार द्वारा की गई डील्स पर निशाना साधा.

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब अभी राष्ट्रीय औसत से महँगे रेट पर बिजली ले रहा है, जबकि अगर सही नीति से चला जाये तो राज्य में 24 घंटे बिजली दी जा सकती है और 300 यूनिट तक बिजली पर सब्सिडी भी दी जा सकती है.

संसद में पार्टी के नेता के तौर पर अधीर रंजन की जगह किस कांग्रेस नेता का नाम आगे?

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बड़ा क़दम उठाते हुए जल्द ही लोकसभा में पार्टी का नेता बदल सकती हैं.

हिन्दी अख़बार अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक़, अटकलें लगायी जा रही हैं कि सोनिया गांधी अधीर रंजन चौधरी को पद से हटाकर किसी और को लोकसभा में पार्टी के नेता की बागडोर सौंप सकती हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस में जल्द होने वाले कई बदलावों में से एक यह भी होगा, जो संसद के मानसून सत्र से पहले सामने आया है.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल के बरहामपुर से सांसद हैं. वे विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का चेहरा थे और राज्य कांग्रेस के प्रमुख हैं. अधीर रंजन कांग्रेस के बागी नेताओं के समूह जी-23 के बड़े आलोचक हैं. जब इन नेताओं ने संगठन में बड़े बदलावों के लिए सोनिया गांधी को पिछले साल अगस्त में पत्र लिखा था, तब चौधरी नेतृत्व के साथ खड़े थे. वे संसद में पब्लिक अकाउंट कमेटी के चेयरमैन भी हैं.

लोकसभा में कांग्रेस नेता बनने की रेस में सबसे आगे तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर और आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी हैं.

ये दोनों 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखे गये पत्र के हस्ताक्षरकर्ता भी हैं.

बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी की जगह कांग्रेसी नेता शशि थरूर या मनीष तिवारी को चुन सकती हैं.

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