वैक्सीन कंपनियों को दी जा रही एंडेम्निटी क्या है, आपके लिए इसके क्या मायने हैं?

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- Author, दिलनवाज़ पाशा
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
कई दिनों से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि भारत सरकार वैश्विक दवा कंपनी फ़ाइज़र और मॉडेर्ना को वैक्सीन के निर्यात के लिए एंडेम्निटी दे सकती है.
इसका मतलब ये है कि अगर इन कंपनियों की वैक्सीन लगाने से किसी व्यक्ति पर दुष्प्रभाव होते हैं तो वो भारत में उन पर मुक़दमा नहीं कर सकेगा.
रिपोर्टों के मुताबिक फ़ाइज़र और मॉडेर्ना ने भारत के लिए अपनी वैक्सीन के निर्यात के लिए एंडेम्निटी की शर्त रखी है.
इस मामले में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि किसी विदेशी या भारतीय वैक्सीन निर्माता को 'हर्जाने से क्षतिपूर्ति से क़ानूनी संरक्षण' देने पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि ऐसे फैसले 'देश और लोगों के हित में लिए' जाते हैं.
इस साल दिसंबर के अंत तक अपनी समूची बालिग आबादी का टीकाकरण करने की घोषणा करने वाला भारत इस समय वैक्सीन की भारी किल्लत का सामना कर रहा है. ये लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को रोजाना औसतन 86 लाख लोगों को टीके लगाने होंगे.
इन्हीं हालात में भारत सरकार ने फ़ाइज़र और मॉडेर्ना की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी दी है. हालांकि अभी दोनों ही कंपनियों की वैक्सीन भारत नहीं पहुंची है.
फ़ाइज़र भारत को कितने डोज़ देगा अभी ये जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है. यदि भारत सरकार और फ़ाइज़र के बीच सब कुछ ठीक रहा तो फाइज़र जुलाई से अक्तूबर के बीच भारत को वैक्सीन निर्यात कर सकती है.
भारत सरकार और फ़ाइज़र के बीच होने वाले अनुबंध के एंडेम्निटी क्लॉज़ में क्या है, ये अभी सार्वजनिक नहीं है. फ़ाइज़र के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा है कि "फ़ाइज़र भारत में अपनी वैक्सीन उपलब्ध करवाने के लिए भारत सरकार से बातचीत कर रही है. चूंकि अभी बातचीत चल ही रही है, इसलिए हम इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दे सकते हैं."

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क्या होता है एंडेम्निटी क्लॉज़?
एंडेम्निटी का सीधा-सीधा मतलब होता है हानि से सुरक्षा यानी अगर किसी कंपनी को अपने किसी प्रॉडक्ट के लिए एंडेम्निटी हासिल है तो उससे कोई हानि होने पर उस पर मुक़दमा दायर नहीं किया जा सकता.
दो पक्षों के बीच क़ानूनी अनुबंधों में यदि इंडेमनिटी क्लॉज भी शामिल है तो इसका मतलब ये है कि सुरक्षा प्राप्त पक्ष किसी तीसरे पक्ष को होने वाली हानि की भरपाई नहीं करेगा.
लेकिन इसे ऐसे समझ सकते हैं कि यदि फ़ाइज़र (पहला पक्ष) की भारत में (दूसरा पक्ष) वैक्सीन लगाने से किसी भारतीय नागरिक (तीसरा पक्ष) को कोई दुष्प्रभाव होता है तो तीसरा पक्ष यानी आम लोग फ़ाइज़र पर भारत में कोई मुक़दमा नहीं कर सकेंगे. यानी फ़ाइज़र की वैक्सीन को भारत में क़ानूनी सुरक्षा प्राप्त होगी.
उधर, डॉक्टर पॉल ने शुक्रवार को कहा, "सैद्धांतिक रूप से विदेशी वैक्सीन निर्माताओं को ये उम्मीद है कि उन्हें 'हर्जाने से क्षतिपूर्ति से क़ानूनी संरक्षण' दिया जाना चाहिए. उनकी दलील है कि दुनिया भर में उन्हें ये क़ानूनी संरक्षण दिया जा रहा है."
"हमने दूसरे देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन से इसकी पुष्टि करने के लिए कहा है. ये सच है कि उन्होंने इस तरह के कानूनी संरक्षण के बाद ही वैक्सीन की आपूर्ति की है. ये बात हकीकत लगती है. कुछ कंपनियों ने इसके लिए आग्रह किया है और हम उनके साथ बात कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है."
आम तौर पर एंडेम्निटी क्लॉज संभावित नुकसान की भरपाई से बचने के लिए लागू किए जाते हैं ताकि संबंधित पक्ष का जोख़िम कम हो सके.
लेकिन अब सवाल उठता है कि जिसका नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा?
एंडेम्निटी अनुबंध आम तौर पर दो पक्षों को बीच होता है जिसमें एक पक्ष को सुरक्षा प्राप्त होती है और दूसरा पक्ष उस सुरक्षा की गारंटी देता है.
अब तक अनुमान ये था कि फ़ाइज़र और भारत सरकार के बीच होने वाले अनुबंध में भारत सरकार गारंटर की भूमिका में होगी, यानी नुकसान की भरपाई करने की ज़िम्मेदारी भारत सरकार की होगी. लेकिन ये भी अनुबंध के सार्वजनिक होने पर ही और अधिक स्पष्ट हो सकेगा.
स्वस्थ भारत ट्रस्ट से जुड़े डॉक्टर मनीष कुमार दावा करते हैं कि भारत सरकार पहले ही वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है, ऐसे में लोगों को इसके प्रति सुरक्षा प्राप्त नहीं होगी.
डॉ. मनीष कहते हैं, "भारत सरकार ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी है. ऐसे में ये एक तरह का ट्रायल ही है. पिछले साल सरकार ने जो महामारी नियम जारी किए थे, उनके अनुसार किसी भी अस्पताल, डॉक्टर या दवा कंपनी के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज नहीं होगी."
डॉ. मनीष कहते हैं, "सरकार एंडेम्निटी दे रही है, यदि सरकार नहीं भी देती, तब भी एक बात तो साफ है कि अभी वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति है, यानी वैक्सीन को लेकर मुकदमे दायर नहीं हो पाएंगे."
डॉ. मनीष मानते हैं कि जनता के पास भी बहुत अधिक विकल्प नहीं हैं. वो कहते हैं, "पूरी व्यवस्था जनता की सुनने के लिए राजी ही नहीं है. आम लोगों के पास सरकार के निर्णय को मानने के अलावा कोई रास्ता है नहीं. सरकार पर भी जनता को वैक्सीन लगवाने का दबाव है. यदि सरकार एंडेम्निटी नहीं देगी तो हो सकता है कि वैक्सीन कंपनियां वैक्सीन दे ही ना. ये सरकार के साथ हुए सौदे का हिस्सा है."
वे कहते हैं, "सरकारों के पास, हमारे पास वैक्सीन को ट्राई करने के अलावा और कोई उपाय नहीं है. सरकार के सामने दोहरी चुनौती है. एक तो वैक्सीन नहीं है और दूसरा लोग मर रहे हैं. सरकार को लोगों को वैक्सीन भी लगानी है और क़ानून व्यवस्था भी संभालनी है. सरकार महामारी के इस वक्त ये अहसास कराना चाहती है कि वह मौजूद है."

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दूसरी कंपनियों ने भी मांगी एंडेम्निटी
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने भी अपनी वैक्सीन कोवीशील्ड के लिए सरकार से एंडेम्निटी मांगी है. सीरम इंस्टीट्यूट का तर्क है कि सभी वैक्सीन निर्माताओं, भले ही वो देसी हों या विदेशी, सभी को बराबर सुरक्षा मिलनी चाहिए. सीरम इंस्टीट्यूट एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड की निर्माता है और दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी है.
भारत सरकार ने अभी तक अधिकारिक तौर पर किसी भी कंपनी को वैक्सीन के दुष्प्रभावों से सुरक्षा नहीं दी है. हालांकि मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि सरकार जल्द से जल्द वैक्सीन प्राप्त करने के लिए फ़ाइज़र और मॉडेर्ना को एंडेम्निटी दे सकती है.
वहीं फ़ाइज़र ने दुनिया भर के जिन भी देशों को वैक्सीन दी है, वहां उसे एंडेम्निटी प्राप्त है. इनमें अमेरिका और ब्रिटेन भी शामिल हैं.
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