परमबीर सिंह: सुशांत सिंह राजपूत से लेकर मुकेश अंबानी-सचिन वाझे मामले तक 5 विवाद

परमबीर सिंह

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    • Author, हर्षल अकुड़े
    • पदनाम, बीबीसी मराठी

मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है. अब हेमंत नागाराले मुंबई पुलिस के नए कमिश्नर होंगे. वहीं रजनीश सेठ को राज्य के पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. परमबीर सिंह अब राज्य में होम गार्ड के प्रमुख होंगे.

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर का ट्रांसफ़र उस मामले के चलते किया गया है जिसमें पहले तो मुंबई के पॉश इलाक़े में स्थित मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक बरामद हुए, उसके बाद जिस गाड़ी से विस्फोटक बरामद हुए थे, उसके मालिक मनसुख हीरेन की मौत हो गई और फिर नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने सचिन वाझे को गिरफ़्तार किया.

सचिन वाझे लगभग 16 साल तक मुंबई पुलिस में निलंबन का सामना करने वाले अधिकारी थे, उनकी वापसी परमबीर सिंह के नेतृत्व में बनी कमेटी की अनुशंसा के बाद पिछले साल जून में हुई थी.

उसके बाद से सचिन वाझे मुंबई पुलिस क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के साथ काम कर रहे थे, यह टीम सीधे मुंबई पुलिस कमिश्नर को रिपोर्ट करती है. सचिन वाझे इसके प्रमुख भी थे, लिहाजा उन्हें परमबीर सिंह का नज़दीकी माना जा रहा था. लेकिन मुकेश अंबानी-मनसुख हीरेन मामले की जांच सीधे सचिन वाझे तक पहुंची और यह मुंबई पुलिस कमिश्नर के तौर पर परमबीर सिंह के लिए बड़ी समस्या बन गया.

सबसे बड़ा सवाल तो यही उठ रहा है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर को कैसे इस बात की भनक तक नहीं थी कि सीधे उनके अधीन काम करने वाले अधिकारी की संलिप्ता इतने बड़े मामले में है. हालांकि विपक्ष की ओर से किसी राजनीतिक दल ने सीधे परमबीर सिंह पर कोई आरोप नहीं लगाया है लेकिन उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे थे.

कहा जा रहा है कि इसी चलते ही उनकी विदाई हुई है.हालांकि इस मामले से पहले भी परमबीर सिंह विवादों में रहे हैं. परमबीर सिंह फरवरी 2020 में मुंबई पुलिस के कमिश्नर बने थे. बीते 13 महीनों के अपने कार्यकाल के दौरान एक या दो बार नहीं बल्कि कुल पांच बार विवादों आए. उनसे जुड़े पांच विवादास्पद मामले इस तरह से हैं-

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1. मुंबई पुलिस के डिप्टी कमिश्नरों के तबादले

परमबीर सिंह 29 फरवरी, 2020 को मुंबई पुलिस के कमिश्नर बने थे. इसके 15 दिनों के बाद ही देश भर में कोरोना संक्रमण फैलना शुरू हुआ था. अगले तीन या चार महीने तो कोरोना संक्रमण को लेकर रोकथाम से जुड़ी व्यवस्था में बीत गए.

इसके बाद जुलाई की शुरुआत में मुंबई पुलिस के 10 डिप्टी कमिश्नरों के तबादले किए गए. तब पहली बार परमबीर सिंह के फ़ैसले पर सवाल उठे थे. राजनीतिक हल्के में इस बात की चर्चा भी उठी थी कि सतारूढ़ गठबंधन इस तबादले से खुश नहीं है. बताया गया था कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दो जुलाई को किए गए तबादलों की जानकारी नहीं थी और यहां तक कहा गया कि शिवसेना नेताओं के विरोध पर उन्होंने तबादले को निरस्त करने तक का मन बना लिया था.

इतना ही नहीं, कोरोना संक्रमण के दौरान मुंबई में वाहन मालिकों पर काफ़ी कार्रवाई हुई थी. दरअसल मुंबई पुलिस ने आदेश जारी किया था कि मुंबई के लोग ज़रूरत का सामान दो किलोमीटर के दायरे से ही ख़रीदें. यह आदेश मुंबई पुलिस कमिश्नर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निर्देश के बाद दिया था लेकिन इसकी जानकारी गृह मंत्री अनिल देशमुख को नहीं थी. अनिल देशमुख ने इस निर्देश का विरोध किया था.

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2. सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला

14 जून को बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत का शव उनके अपने अपार्टमेंट में पाया गया था. इसके डेढ़ महीने बाद इस मामले में परमबीर सिंह का नाम सुर्खियों में आने लगा.

सुशांत सिंह की मौत के मामले में मुंबई पुलिस के डिप्टी कमिश्नर अभिषेक त्रिमुखे ने कहा था, "पोस्टमार्ट्म की रिपोर्ट से पता चलता है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत फांसी लगाने के चलते दम घुटने से हुई है."

क्या सुशांत सिंह ने आत्महत्या की? उन्होंने क्यों आत्महत्या की? इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा देखने को मिली. सुशांत सिंह के परिवार वालों ने मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठाए. यह सवाल पूछे जा रहे थे कि मुंबई पुलिस इस मामले में केस क्यों नहीं दर्ज कर रही है? मुंबई पुलिस पर मामले को दबाने के आरोप भी लग रहे थे. यह सवाल भी पूछा जा रहा था कि अभियोजन पक्ष को क्यों बचाया जा रहा है?

सोशल मीडिया पर मामले की सीबीआई जांच की मांग शुरू हो गई. बिहार के नेताओं ने सीबीआई जांच की मांग की और बिहार में इस मामले में एक एफ़आईआर दर्ज की गई. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच की अनुमति दी और कहा कि मामले की निष्पक्षता से पूरी जांच होनी होनी चाहिए. सुशांत की मौत के 45 दिनों के बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया था.

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3. टीआरपी स्कैम

मुंबई पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाया कि रिपब्लिक टीवी ने टीआरपी रेटिंग को इसे आंकने वाली कंपनी के साथ मिलकर प्रभावित किया है. हालांकि रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों का खंडन किया. परमबीर सिंह ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, "रिपब्लिक टीवी ने टीआरपी आंकने वाली कंपनी के साथ मिलकर अपने चैनल की टीआरपी बढ़वाई है. अशिक्षित लोगों के घरों में अंग्रेजी चैनल चलाने के लिए इन लोगों ने पैसे ख़र्च किए हैं. हम चैनल के मालिक और निदेशकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे."

उन्होंने इस बात की आशंका जताई कि मुंबई में टीआरपी रैकेट के ज़रिए टीवी चैनल पैसे ख़र्च करके टीआरपी बढ़वाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि टीवी चैनलों को देखने के लिए प्रति घर 500 रुपये का भुगतान किया जा रहा है और इस मामले की जांच की जा रही है. इस मामले को भी काफ़ी सुर्खियां मिलीं.

हाईकोर्ट ने इस मामले में सवाल पूछा है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कांफ्रेंस क्यों बुलाई थी? क्या पुलिस की ड्यूटी है कि वह पत्रकारों से चर्चा करे? पुलिस कमिश्नर को पत्रकारों से चर्चा करने की ज़रूरत क्यों हुई?

4. अन्वय नायक मामला

अक्टूबर, 2020 में टीआरपी स्कैंडल सामने आया, इसके अगले महीने नवंबर में दिवाली के समय एक बार फिर परमबीर सिंह सुर्खियों में थे. चार नंवबर की सुबह छह बजे रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्णब गोस्वामी को उनके घर से पुलिस ने गिरफ़्तार किया था.

इस मामले में सचिन वाझे की एंट्री हुई थी. रायगढ़ की पुलिस टीम अर्णब को गिरफ़्तार करने मुंबई पहुंची थी. उन्हें अर्णब को गिरफ़्तार करने के लिए मुंबई पुलिस की मदद की ज़रूरत थी. अर्णब गोस्वामी को मुंबई पुलिस के अस्सिटेंट इंस्पेक्टर सचिन वाझे की मदद से गिरफ़्तार किया गया था. उस वक्त सचिन वाझे, परमबीर सिंह के विश्वासपात्र अधिकारी माने जाते थे. बाद में कथित तौर पर यह आरोप भी लगा कि इन घटनाक्रमों के तार टीआरपी स्कैम से जुड़े थे. इस मुद्दे पर विपक्ष ने विधानसभा का बहिष्कार तक किया था.

5. मुकेश अंबानी- मनसुख हीरेन- सचिन वाझे मामला

परमबीर सिंह को लेकर यह सबसे विवादास्पद मामला रहा. मुकेश अंबानी के घर एंटिलिया के बाहर 25 फरवरी को एक स्कॉर्पियो कार बरामद की गई, जिसमें विस्फोटक मौजूद थे. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि उस वाहन में जिलेटिन की 20 छड़ें मौजूद थीं.

विस्फोटक जिस वाहन से बरामद हुआ, उस वाहन के मालिक मनसुख हीरेन का शव इसके कुछ दिन बाद बरामद किया गया. यह मामला महाराष्ट्र विधानसभा में खूब उछला.

वीडियो कैप्शन, मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक मामले में पुलिस अधिकारी की पेशी

पुलिस के मुताबिक मनसुख हीरेन का शव समुद्री खाड़ी में 50-60 फ़ीट अंदर से निकाला गया था. शव को क्रेन की मदद से बाहर निकाला गया था. नेशनल इंवेस्टिगेशन एंजेंसी ने आरोप लगाया है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरे वाहन को खड़ा करने में सचिन वाझे की संलिप्ता थी. सचिन वाझे फ़िलहाल नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी की हिरासत में हैं.

सचिन वाझे को हिरासत में घाटकोपर ब्लास्ट के अभियुक्त ख़्वाजा यूनुस की मौत के मामले में मई, 2004 में निलंबित किया गया था. इसके करीब 16 साल बाद जून, 2020 में मुंबई पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर परमबीर सिंह के नेतृत्व में बनी कमेटी ने सचिन वाझे के निलंबन को वापस ले लिया था. जिसके बाद मुंबई पुलिस में सचिन वाझे की वापसी हुई थी.

इसके बाद, वाझे को सीधे मुंबई क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख पद पर तैनात किया गया था. लेकिन मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक की बरामदगी से जुड़े मामले में वाझे की गिरफ़्तारी के बाद परमबीर सिंह की मुश्किलें काफ़ी बढ़ गई थीं, जिसके चलते आख़िरकार उनकी विदाई हो गई.

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