स्वतंत्र भारत में पहली महिला को फांसी देने की तैयारी, क्या था शबनम का जुर्म – प्रेस रिव्यू

फांसी

स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जा सकती है.

अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने मथुरा जेल के वरिष्ठ जेल अधिकारी अख़िलेश कुमार के हवाले से ख़बर प्रकाशित की है कि साल 2008 में अपने परिवार की हत्या के मामले में दोषी शबनम को जल्द फांसी दी जा सकती है.

आगरा के डीआईजी (जेल) अखिलेश कुमार ने कहा कि मथुरा की ज़िला जेल में शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारियां चल रही हैं.

अमरोहा के रहने वाले शबनम और उनके प्रेमी सलीम ने 14-15 अप्रैल 2008 की दरमियानी रात को परिवार के सात लोगों को नशीला पदार्थ देकर उनका गला काट दिया था. इनमें एक 10 महीने का बच्चा भी था जिसका गला घोंट दिया गया था.

उस समय 24 वर्षीय शबनम एक स्कूल में पढ़ाती थीं और सलीम से प्रेम करती थीं लेकिन उनके घरवाले उनके संबंध के ख़िलाफ़ थे. 2010 में ट्रायल कोर्ट ने दोनों को मौत की सज़ा सुनाई थी जिसको 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरक़रार रखा था.

राष्ट्रपति भवन उनकी दया याचिका को ठुकरा चुका है और पिछले साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने कहा था कि दोनों शादी के बाद शबनम के परिजनों की संपत्ति हथियाना चाहते थे.

डीआईजी अखिलेश कुमार ने मथुरा जेल में फांसी का कोई एक वक़्त और शख़्स का नाम नहीं बताया लेकिन कहा कि अमरोहा की शबनम हो सकती हैं.

उन्होंने कहा कि मथुरा जेल में महिला दोषियों को फांसी देने के लिए व्यवस्था है लेकिन वह बहुत जर्जर स्थिति में है क्योंकि स्वतंत्र भारत में आज तक किसी महिला को फांसी नहीं हुई है.

उन्नाव: पोस्टमार्टम में मौत के कारणों का नहीं चला पता

यूपी पुलिस

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उन्नाव मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस प्रमुख ने कहा है कि पोस्टमार्टम में मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है.

बुधवार को उन्नाव के असोहा ब्लॉक में एक खेत में तीन लड़कियां बेहोश मिली थीं जिसमें से दो की मौत हो गई थी और एक की हालत गंभीर है.

द हिंदू अख़बार ने लिखा है कि यूपी के डीजीपी एचसी अवस्थी ने बताया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है और रासायनिक परीक्षण के लिए विसरा को सुरक्षित रख लिया गया है. उन्होंने कहा कि ऑटोप्सी में मृत लड़कियों पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए हैं.

डीजीपी ने बताया कि बेहतर इलाज के लिए लड़की को कानपुर के अस्पताल में भेज दिया गया है और मेडिकल बुलेटिन के अनुसार यह ज़हर दिए जाने का मामला लग रहा है और जीवित बची लड़की की हालत गंभीर है.

इसके साथ ही उन्होंने उन रिपोर्टों को भी ख़ारिज किया जिसमें कहा जा रहा था कि पीड़ित परिवारों को पुलिस थाने में हिरासत में लिया गया है और उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं है.

इंजेक्शन के लिए 16 करोड़ रुपये जुटाने का एक और अभियान

तीरा का इंजेक्शन अगले सप्ताह तक मुंबई पहुंच जाएगा

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मुंबई के एक जोड़े से प्रेरित होते हुए हैदराबाद में रहने वाले पति-पत्नी ने अपने बच्चे के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये जुटाने का अभियान शुरू किया है.

अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के अनुसार, योगेश गुप्ता का 2 साल का बेटा आयांश स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी (एसएमए) से जूझ रहा है. इसके लिए दवा निर्माता कंपनी नोवार्टिस ने ज़ोलगेंस्मा नामक जीन थेरेपी बनाई है जो दुनियाभर की सबसे महंगी दवाई है.

इस दवा की क़ीमत 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर है जो भारतीय रक़म में लगभग 15.24 करोड़ रुपये बनती है. एक इंजेक्शन के ज़रिए शरीर की जेनेटिक त्रुटि को ठीक किया जा सकता है.

एसएमए एक आनुवंशिक विकार है इसमें एक ख़राब जीन के कारण मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं और साधारण तरह से काम नहीं कर पाती हैं. यह असाधारण डिसॉर्डर 10,000 बच्चों में से एक में पाया जाता है और अधिकतर बच्चे कुछ साल भी नहीं जीवित रह पाते हैं.

ज़ोलगेंस्मा जीन थेरेपी में एक बार इंजेक्शन दिया जाता है जिसमें ख़राब जीन को साधारण जीन से बदल दिया जाता है जो बीमारी को दूर कर देता है.

हाल ही में मुंबई स्थित पति-पत्नि ने अपनी छह वर्षीय बेटी तीरा के लिए क्राउडफ़ंडिंग के ज़रिए 14.92 करोड़ रुपये जुटाए थे. तीरा भी टाइप-1 एसएमए से जूझ रही है और उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक उसके लिए इंजेक्शन मुंबई पहुंच जाएगा.

पंजाब और हरियाणा में जियो उपभोक्ताओं में आई गिरावट

जियो

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पंजाब और हरियाणा में भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम ऑपरेटर कंपनी रिलायंस जियो की उपभोक्ता संख्या में ज़बरदस्त गिरावट दर्ज की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिसंबर 2020 में इसमें कमी दर्ज की गई है और इसकी एक बड़ी वजह किसान प्रदर्शनों को माना जा रहा है.

टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया यानी ट्राई के दिसंबर 2020 के आंकड़े बताते हैं कि पंजाब और हरियाणा ऐसे केवल दो राज्य हैं जिनमें रिलायंस जियो के उपभोक्ताओं में गिरावट देखी गई है.

नवंबर 2020 में पंजाब में जहां जियो के 1.40 करोड़ उपभोक्ता थे वहीं दिसंबर के आख़िर में इनकी संख्या 1.25 करोड़ हो गई थी.

वहीं, हरियाणा में नवंबर में जहां 94.48 लाख उपभोक्ता थे उनकी संख्या दिसंबर में 89.07 लाख हो गई.

BBC ISWOTY

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