DDC Elections: गुपकर गठबंधन को 100 से ज़्यादा सीटें, बीजेपी अकेली सबसे बड़ी पार्टी

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- Author, रियाज़ मसरूर
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
जम्मू और कश्मीर के ज़िला विकास परिषद की 280 सीटों के लिए हुए चुनाव में फारूक़ अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले सात पार्टियों के गुपकर गठबंधन को सबसे ज़्यादा 112 सीटों पर कामयाबी मिली है.
74 सीटों के साथ बीजेपी अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
बीजेपी ने पहली बार कश्मीर घाटी की तीन सीटों पर भी जीत हासिल की है.
फ़ारूक़ अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ़्रेंस 67 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है.
महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीडीपी को 27 सीटों पर जीत मिली है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक़, पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने 100 सीटें जीत ली हैं जबकि अन्य 12 पर आगे चल रही है.
अब तक 49 निर्दलीय उम्मीदवारों को विजेता घोषित किया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार जम्मू और कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. इस पार्टी ने 12 सीटों पर जीत हासिल की है और एक पर आगे चल रही है.
कांग्रेस अब तक 26 सीटें जीत चुकी है.
आठ चरणों में हुए डीडीसी चुनाव 28 नवंबर से शुरू हुए थे.
पिछले साल जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द होने और इसके केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद ये पहला चुनाव है.
जम्मू और कश्मीर क्षेत्र की 140-140 सीटों पर चुनाव हुए थे.
डीडीसी चुनावों में अधिकांश सीटों के रुझान उम्मीदों के मुताबिक़ ही रहे. हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र के नतीजे बीजेपी के पक्ष में दिखे, वहीं मुसलमान बहुल कश्मीर क्षेत्र में पीएजीडी का दबदबा दिखा.
बीजेपी के उम्मीदवार एजाज़ हुसैन ने पीएजीडी के अपने प्रतिद्वंदी को हरा दिया है. उन्होंने अपनी जीत पर कहा, "मैं खूश हूँ. मैं लोगों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ. यह पीएजीडी के सामने एक नैतिक चुनौती है जो अब भी अनुच्छेद 370 को लेकर लोगों को बेवकूफ़ बना रहे हैं."
दूसरी ओर पीएजीडी के नेताओं का कहना है कि नतीजें अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की मांग पर जनता के समर्थन को दर्शाता है. 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया था. यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को एक अर्ध-स्वायत्त राज्या का दर्जा प्रदान करता है.
चुनावी मैदान मेंपाकिस्तानी औरतें भी

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इन चुनावों में कम से कम आधे दर्जन पाकिस्तानी औरतें भी हिस्सा ले रही हैं. इन औरतों ने पूर्व कश्मीरी चरमपंथियों से शादी की हुई है. ये वो चरमपंथी थे जो पाकिस्तान हथियारों की ट्रेनिंग लेने गए थे लेकिन वहाँ वे चरमपंथी गुट में शामिल नहीं हुए और वापस लौट आए. ऐसे कम से कम 800 चरमपंथी अपने पाकिस्तानी बीवी और बच्चों के साथ मनमोहन सिंह सरकार की ओर से चलाए गए पुनर्वास नीति के तहत लौट आए थे.
ऐसी ही एक पाकिस्तानी महिला सोमिया सदफ ने कुपवाड़ा के दरागमुला सीट से चुनाव लड़ा है. लेकिन मतगणना के दिन वो उदास हैं क्योंकि उनका कहना है, "मैंने सभी दस्तावेज जमा किए हुए थे लेकिन आज उन्होंने मतगणना यह कहते हुए रोक दिया है कि उनके दस्तावेजों की फिर से जांच होगी. मैं शांति और लोकतंत्र में यकीन रखती हूँ लेकिन फिर भी मेरी राष्ट्रीयता मेरे लिए समस्या बनी हुई है."
एक पूर्व चरमपंथी हबीबुल्ला भट्ट और उनकी पाकिस्तानी बीवी नूराइन दोनों ही डीडीसी का चुनाव लड़ रहे हैं. हबीबुल्ला ने बीबीसी से कहा, "हम जानते हैं कि हम चुनाव हार जाएंगे लेकिन हम लोगों की मदद करना चाहते हैं और उनके पुराने जख्म भरना चाहते हैं."
उनके दस्तावेज़ों की भी मतगणना के दिन फिर से जांच हो रही है.
जम्मू में रहने वाले हज़ारों पाकिस्तानी शरणार्थी जो नागरिकता और मतदान के अधिकार के लिए दशकों से जूझ रहे थे, उन्हें पहली इन चुनावों में मतदान का अवसर मिला है.
पश्चिमी पाकिस्तान से आए ऐसे ही एक शरणार्थी रवि कुमार ने कहा, "हमारे पास मोदी जी को शुक्रिया अदा करने के लिए शब्द नहीं है. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद हमें यहाँ रहने का अधिकार मिला है और हम दूसरे नागरिकों की तरह अब वोट दे सकते हैं."

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जम्मू में मौजूद पत्रकार मोहित कंधारी ने बताया कि दूसरे नंबर पर कश्मीर की सबसे बड़े क्षेत्रीय दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 29 सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपनी बढ़त बना कर रखी हुई है. कांग्रेस पार्टी अब तक 18 सीटों पर अपनी बढ़त बनाये हुए है. अंतिम परिणाम देर शाम तक आने की उम्मीद है.
अगर अंतिम नतीजे भाजपा के हक में आते हैं तो जम्मू संभाग में 10 में से चार जिला विकास परिषद में भाजपा का चेयरमैन बनना तय है. जम्मू, साम्बा, कठुआ और उधमपुर में भाजपा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा. यहाँ भाजपा ने 56 में से 44 सीटों पर बढ़त बना रखी है. वहीं, दूसरी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने राजोरी, किश्तवार, रामबन, रिआसी और पुंछ ज़िलों में बेहतर प्रदर्शन किया है.
राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध ताज़ा जानकारी के अनुसार, पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन (PAGD) ने जम्मू संभाग में अच्छा प्रदर्शन कर 31 सीटों पे अपनी बढ़त बना कर रखी हुई है.
जम्मू और कश्मीर अपनी पार्टी और जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी ने तीन तीन सीटों पर बढ़त बना कर रखी हुई है. वहीं, अन्य 20 सीटों पर आगे चल रहे हैं. आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर में पहली बार जिला विकास परिषद् के चुनाव करवाए गए हैं.
280 सीटों पर यह चुनाव आठ चरणों में करवाए गए जिसमें लगभग 51% मतदाताओं ने हिस्सा लिया था. 28 नवंबर को पहले फेज की वोटिंग हुई थी, जबकि 19 दिसंबर को 8वें और आखिरी फेज की वोटिंग हुई थी.

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बीजेपी को जीत का भरोसा
जम्मू और कश्मीर में हुए पहले जिला विकास परिषद चुनाव की मतगणना 9 बजे सुबह से हो रही है. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के अंदर सभी जिला मुख्यालयों में मतगणना हो रही है.
डोडा में क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 लगाया गया है. अलग-अलग राजनीतिक दलों के एजेंट मतगणना केंद्रों पर पहुँच चुके हैं.
राज्य चुनाव आयुक्त के के शर्मा ने सोमवार को कहा था कि मंगलवार को होने वाली इस मतगणना को लेकर सभी जरूरी बंदोबस्त कर लिए गए हैं.
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जम्मू और कश्मीर के सभी चुनाव उप-आयुक्तों के साथ समीक्षा बैठक की और तैयारी का जायजा लिया.
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की ओर से जम्मू और कश्मीर में हुए इस जिला विकास परिषद चुनाव के प्रभारी अनुराग ठाकुर ने चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर विश्वास जताया है.
उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर की जनता राज्य में नया नेतृत्व चाहती है जो उनकी क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने में मदद करे.
उन्होंने समचार एजेंसी एएनआई से कहा, "आज नतीजे आएंगे और मैं भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त हूँ. जनता जम्मू और कश्मीर में नया नेतृत्व चाहती है जो उनके निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में मदद पहुँचाने वाली होगी."

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जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहाँ पहली बार चुनाव हुए हैं. 19 दिसंबर को संपन्न हुए इस चुनाव में आठ चरणों में मतदान हुआ. 28 नवंबर को पहले चरण का मतदान हुआ था. चुनाव आयुक्त केके शर्मा ने चार नवंबर को इन चुनावों की घोषणा की थी.
इन चुनावों में बीजेपी और जम्मू और कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) को छोड़कर मुख्यधारा की सभी राजनीतिक पार्टियों ने एक साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा है.
सात पार्टियों नेशनल कॉन्फ़्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी), पीपल्स कॉन्फ़्रेंस, सीपीआई, सीपीआईएम, अवामी नेशनल कॉन्फ़्रेंस और जम्मू और कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) ने मिलकर इस चुनाव में पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) बनाया है.
कांग्रेस इस एलायंस का हिस्सा नहीं है.

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डीडीसी चुनाव क्या है?
जम्मू और कश्मीर में पहली बार डीडीसी चुनाव हो रहे हैं. अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने से पहले जम्मू और कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली (ग्राम स्तरीय, ब्लॉक स्तरीय, ज़िला स्तरीय) नहीं थी.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते महीने जम्मू और कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन के लिए अपनी सहमति दे दी थी. अब इन चुनाव के ज़रिए जम्मू क्षेत्र के 10 और कश्मीर घाटी के 10 समेत कुल 20 ज़िलों में डीडीसी का गठन किया जाएगा.
केंद्र शासित प्रदेश के प्रत्येक ज़िले में 14 निर्वाचन क्षेत्र होंगे. इस प्रकार समूचे जम्मू और कश्मीर में कुल 280 निर्वाचन क्षेत्र के लिए इन चुनावों के माध्यम से लोग डीडीसी के प्रतिनिधियों का चयन करेंगे.
पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी ने 2018 में नगर निगम और पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया था. तब दोनों दलों, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रैटिक पार्टी, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुच्छेद 35-ए की सुरक्षा को लेकर आश्वासन माँगा था.
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