धर्म और जाति से परे यहां लोग लिखते हैं अपने प्यार की कहानियां

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- Author, गीता पांडे
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
भारत में जाति और धर्म से बाहर शादी टकराव का कारण बनती रही है. समाज में इन्हें लेकर बहुत कम स्वीकृति देखने को मिलती है.
लेकिन, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर ऐसी शादियों को सेलिब्रेट करने की एक मुहिम शुरू की गई है जिनमें मान्याताओं, जाति, धर्म, नस्ल और लैंगिकता की बेड़ियों से ऊपर प्यार को रखा गया.
अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह हमेशा से रूढ़िवादियों के निशाने पर रहे हैं. लेकिन, हाल के समय में ये कट्टरता और बढ़ गई है.
हाल ही में भारतीय आभूषण ब्रैंड तनिष्क को बड़े स्तर पर विरोध के बाद अपना एक विज्ञापन वापस लेना पड़ा था.
इस विज्ञापन में एक मुस्लिम परिवार को दिखाया गया था जो अपनी हिंदू बहू के लिए गोद भराई की रस्म का आयोजन करता है, जिसे देखकर उनकी बहू बहुत खुश हो जाती है.
कंपनी का कहना था कि उन्होंने इस विज्ञापन के ज़रिए एकता बढ़ाने की कोशिश की लेकिन बड़े स्तर पर इस विज्ञापन को लेकर आपत्ति जताई गई.
इसका विरोध करने वालों का कहना था कि ये विज्ञापन 'लव जिहाद' को बढ़ावा देता है. विरोध करने वालों में अधिकतर कट्टरवादी हिंदू समूह शामिल थे.
'लव जिहाद' शब्द का इस्तेमाल ऐसी स्थिति के लिए किया जाता है जिसमें मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों से सिर्फ़ इसलिए शादी करते हैं ताकि उनका इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराया जा सके.
इसके बाद तनिष्क के बहिष्कार की अपील की गई और ये ट्विटर पर ट्रॉप ट्रेंड बन गया. विवाद बढ़ता देख कंपनी ने कहा कि उसने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को देखते हुए विज्ञापन वापस ले लिया है.
कैसे शुरू हुआ 'इंडिया लव प्रोजेक्ट'
इस विवाद के दो हफ़्ते बाद एक पत्रकार दंपति समर हलरंकर और प्रिया रमानी और उनकी पत्रकार-लेखक दोस्त निलोफर वेंकटरमन ने इंस्टाग्राम पर 'इंडिया लव प्रोजेक्ट' शुरू किया.
इस प्रोजेक्ट का एक इंस्टाग्राम अकाउंट है जिस पर सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर प्यार और शादी करने वाले जोड़े अपनी कहानी साझा करते हैं.
समर हलरंकर कहना है कि उन्होंने इस नफ़रत भरे माहौल में अंतरधार्मिक और अंतरजातीय प्यार और शादियों को सेलिब्रेट करने के लिए इस प्रोजेक्ट को बनाया है.

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समर हलरंकर ने बीबीसी को बताया, "हम इस प्रोजेक्ट के बारे में पिछले एक साल से ज़्यादा समय से सोच रहे थे और तनिष्क के विज्ञापन पर विवाद होने के बाद हमें लगा कि अब इसका सही समय आ गया है."
"हम इस प्रोजेक्ट को लेकर बेहद गंभीर थे और प्यार और अंतरधार्मिक शादियों को लेकर फैलाए जा रहे झूठ से बहुत परेशान थे."
"ऐसा झूठ फैलाया जा रहा है कि शादी में धोखेबाजी हो रही है और प्यार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन, हम ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं जानते जो इस तरह की सोच रखता हो, जिसका शादी के लिए प्यार के अलावा कोई और मकसद हो."
वह कहते हैं, "इंडिया लव प्रोजेक्ट के ज़रिए हम सिर्फ़ एक मंच उपलब्ध करा रहे हैं जहां लोग अपनी कहानियां साझा कर सकें."

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हर रोज़ प्यार की एक कहानी
28 अक्तूबर को निलोफर वेंकेटरमण की पारसी मां बख्तावर मास्टर और हिंदू पिता एस वेंकटरमण की कहानी के साथ इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी. अब इस पर हर दिन एक कहानी शेयर होती है.
समर हलरंकर बताते हैं कि उन्हें गज़ब की प्रतिक्रिया मिल रही है. वह कहते हैं, "हर दिन लोग हमसे संपर्क करके कह रहे हैं कि वो अपनी, अपने माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी की कहानी शेयर करना चाहते हैं."
"इतने लोग आगे आ रहे हैं कि संभालना मुश्किल हो गया है. इससे ये भी पता चलता है कि अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादियां भारत में नई नहीं हैं. ये बहुत पहले से होती आ रही हैं. हालांकि, अब इनके बारे में बात करना और ज़रूरी हो गया है."
भारत में 90 प्रतिशत शादियां अरेंज्ड, होती हैं जिनमें परिवारों की कोशिश होती है कि वो अपनी जाति और धर्म में ही रिश्ता ढूंढें.
भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण के मुताबिक, सिर्फ़ पांच प्रतिशत शादियां ही अंतरजातीय होती हैं और अंतरधार्मिक शादियां अब भी दुर्लभ बनी हुई हैं. एक अध्ययन इन्हें 2.2 प्रतिशत के क़रीब बताता है.
जो लोग इन सीमाओं के बाहर शादी करने का फैसला लेते हैं उन्हें अक्सर हिंसा का सामना करना पड़ता है. कई बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है.

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जब धीरे-धीरे बदली सोच
हाल के बरसों में बीजेपी सरकार के दौरान ऐसी शादियों का विरोध ज़्यादा देखने को मिला है. ख़ासकर हिंदू लड़की और मुसलमान लड़के की शादी के पीछे ग़लत मक़सद होने की बात की जाती है.
समर हलरंकर कहते हैं, "फ़रवरी में सरकार ने संसद में कहा था कि क़ानून में न तो 'लव जिहाद' का ज़िक्र है और न ही सरकारी एजेंसियों को ऐसे कोई मामले मिले हैं, लेकिन लोगों में ऐसा विचार बना हुआ है. हाल के दिनों में, बीजेपी सरकार वाले कम से कम चार राज्यों ने इस 'सामाजिक बुराई' पर रोक लगाने के लिए क़ानून लाने की घोषणा की है."
इंडिया लव प्रोजेक्ट में इन निजी कहानियों के ज़रिए 'नफ़रत' की इस धारणा को चुनौती दी जी रही है.
लोग 150 शब्दों में प्यार और हंसी-मज़ाक के साथ अपनी कहानियां बताते हैं और ये दिखाते हैं कि मानव-निर्मित बेड़ियां प्यार के आड़े नहीं आ सकतीं.
रूपा एक एक हिंदू ब्राह्मण हैं, वो अपनी मां की उस पहली प्रतिक्रिया के बारे में बताती हैं, जब उन्होंने बताया था कि वो एक मुस्लिम लड़के रज़ा अब्दी के साथ शादी करना चाहती हैं.
उनकी मां ने कहा था, "वो तुम्हें तलाक़, तलाक़, तलाक़ कहकर बाहर निकाल देगा."
रूपा की मां को इस्लाम में तीन तलाक़ के तरीक़े को लेकर चिंताएं थीं. फिलहाल भारत में तलाक़ के इस तरीके को अमान्य कर दिया गया है.
रूपा बताती हैं, "हालांकि, जब मेरे माता-पिता राज़ी से मिले तो उन्हें पता चला कि वो कितने बेहतरीन इंसान हैं. घरवालों की ग़लतफ़हमियां दूर हो गईं."
रूपा और राज़ी की शादी को 30 साल हो गए हैं. उनके दो बेटे हैं. यह परिवार अपने घर में ईद और दिवाली दोनों मनाता है.

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दही चावल बनाम मटन बिरयानी
सलमा के साथ अपनी शादी के बारे में लिखते हुए पत्रकार टीएम वीरराघव कहते हैं कि उनके घर में धर्म "दही चावल बनाम मटन बिरयानी जितना महत्वपूर्ण नहीं है!"
वह कहते हैं, "मैं शाकाहारी हूं, वो अपने मटन का मज़ा उठाती हैं और हमारे बेटे एनीश को इन दोनों दुनियाओं की बेहतरीन चीज़ें मिल रही हैं. एनीश हिंदू है या मुस्लिम, ये इस बात पर निर्भर करता है कि घर में क्या पक रहा है."
एक हालिया पोस्ट में मुस्लिम तनवीर एजाज़ और उनकी हिंदू पत्नी विनीता शर्मा ने अपनी बेटी कुहु का नाम रखने की कहानी लिखी है.
इस जोड़े से पूछा गया था कि ये हिंदू नाम है या मुस्लिम? और उनकी बेटी बड़ी होने पर कौन-सा धर्म मानेगी?
तनवीर लिखते हैं, "हमारी हिंदू-मुस्लिम शादी धर्मनिरपेक्षता के लिए एक आदर्श हो सकती है. लेकिन, वो निराश हैं कि उनके प्यार को लव कहा जाएगा या लव जिहाद."
इस इंस्टाग्राम अकाउंट पर अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादियों की और भी कहानियां हैं.

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केरल की मारिया मंजिल एक खुली सोच रखने वाले कैथोलिक परिवार से हैं. मारिया मांसाहारी हैं. उन्होंने उत्तर भारत के रहने वाले शाकाहारी संदीप जैन से शादी की है. संदीप का परिवार थोड़ी रूढ़ीवादी सोच रखता था.
मारिया ने उन चुनौतियों के बारे में बताया जिनका उन्होंने अपनी शादी के 22 सालों में सामना किया है. लेकिन, वो मानती हैं कि संदीप जैन से शादी करने का उनका फैसला बिल्कुल सही था.
वह लिखती हैं, "मैंने उनका नेक दिल, शराफ़त, बौद्धिक समानता और मेरे लिए गहरा लगाव देखा. मैं उन्हें सिर्फ़ इसलिए नहीं जाने दे सकती थी क्योंकि वो किसी दूसरे भगवान की पूजा करते हैं और कोई दूसरी भाषा बोलते हैं."
समर हलरंकर कहते हैं कि इस तरह कि कहानियां आपको दुनिया और भारत के बारे में अच्छा महसूस कराती हैं.
वह कहते हैं, "ये सभी भारत की बेहिसाब वास्तविकताओं की खूबसूरत कहानियां हैं. लोग प्यार करने के लिए कई अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं. ये याद दिलाती हैं कि भारत वाकई क्या है."
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