15.5 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट लोन पर ख़तरा: प्रेस रिव्यू

15.5 लाख करोड़ के कॉरपोरेट लोन जोखिम में

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इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, कोविड-19 के प्रकोप और लॉकडाउन की वजह से कॉरपोरेट सेक्टर का 15.52 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ जोखिम में आ गया है.

ये कितना ज़्यादा है इसे ऐसा समझा जा सकता है कि ये बैंकिग सेक्टर द्वारा इस इंडस्ट्री को दिए पूरे कर्ज़ का 29.4 प्रतिशत है.

लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए फाइनेंशियल पैरामीटर्स बनाने वाली के वी कामथ कमेटी ने कहा कि 23.71 लाख करोड़ रुपये का बैंकिंग ऋण यानी बैंकिंग सेक्टर के कर्ज़ का 45 प्रतिशत कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर असर से पहले ही जोखिम में था.

कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक़ इसका मतलब ये हुआ कि बैंकिग सेक्टर के कर्ज़ का 72 प्रतिशत जो 37.72 लाख करोड़ रुपये होता है वो जोखिम में है. ये कुल नॉन-फूड बैंक क्रेडिट का क़रीब 37 प्रतिशत हिस्सा है.

कामथ कमेटी ने कहा है कि रिटेल ट्रेड, होलसेल ट्रेड, रोड और टेक्सटाइल जैसे सेक्टरों की कंपनियां मुश्किल स्थितियों का सामना कर रही हैं.

वहीं जो सेक्टर कोविड से पहले ही मुश्किलें झेल रहे थे उनमें एनबीएफ़सी, पावर, स्टील, रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन शामिल है.

प्रेस रिव्यू

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सोमवार को हाइपरसोनिक टेक्नॉलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का फ्लाइट टेस्ट किया है. इसके ज़रिए हाइपरसोनिक एयर-ब्रिदिंग स्क्रैमजेट तकनीक का सफल प्रदर्शन किया गया.

द हिंदू अख़बार के मुताबिक़, इसकी मदद से भविष्य में हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल और व्हीकल विकसित किए जा सकेंगे.

डीआरडीओ ने अपने इस मिशन को ऐतिहासिक क़रार दिया है. डीआनडीओ ने ट्वीट कर कहा, "इस मिशन के साथ ही ये साबित हो गया है कि डीआरडीओ बेहद पेचीदा तकनीक के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन कर सकता है."

वहीं डीआरडीओ के चेयरमैन जी.सतीश रेड्डी ने कहा कि ये भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करता है, जिन्होंने इस तकनीक का प्रदर्शन किया है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को इस कामयाबी पर बधाई दी. राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा, "डीआरडीओ ने आज स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग कर हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. ये औद्योगिक जगत के साथ अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक वाहनों के निर्माण का रास्ता खोलने वाला है."

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एचएसटीडीवी ने सोमवार को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम लॉन्च कॉम्पलेक्स से सुबह 11.03 पर उड़ान भरी थी.

लद्दाख में हालात 'बहुत गंभार' - विदेश मंत्री एस जयशंकर

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लद्दाख में हालात 'बहुत गंभार' - विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस होते हुए मंगलवार को ईरान पहुंचेंगे, जहां वो एसीसीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे. वो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद दूसरे कैबिनेट मंत्री हैं जो मॉस्को यात्रा से लौटते हुए तेहरान में रुकेंगे.

वहीं अधिकारियों का कहना है कि ईंधन भरने के लिए तकनीकी कारण से तेहरान में रुकना पड़ा, जयशंकर वहां अपने समकक्ष जावेद ज़रीफ से मिलेंगे. महामारी के बाद ये उनकी पहली बैठक होगी. महामारी के बाद विदेश मंत्री पहली बार देश से निकले हैं.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़, सोमवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर स्थिति "बहुत गंभीर" है और राजनीतिक स्तर पर "गहन बातचीत" की ज़रूरत है.

आगामी दौरे का फोकस जयशंकर और वांग यी के बीच बैठक और पूर्वी लद्दाख के संकट के समाधान की संभावना पर होगा. ज़रीफ के साथ छोटी बैठक होगी, लेकिन उतनी ही महत्वपूर्ण होगी.

'जीएसटी भुगतान पर राज्यों को दिए दो विकल्प ही एकमात्र रास्ता'

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'जीएसटी भुगतान पर राज्यों को दिए दो विकल्प ही एकमात्र रास्ता'

वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि इस वित्तीय वर्ष में जीएसटी राजस्व में जो 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है, उसमें राज्यों की हिस्सेदारी के भुगतान के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता बरक़रार है. अधिकारियों का कहना है कि ज़रूरी नहीं है कि आने वाले समय में केवल फौरी मुआवाज़ा ही दी जाए.

हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार को वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, "हम कोविड-19 के कारण बने हालात की वजह से भी मुआवज़े का भुगतान कर सकते हैं और करेंगे लेकिन ये टैक्स के दायरे के विस्तार के बाद ही हो पाएगा."

वो लग्ज़री सामानों, तम्बाकू उत्पादों, फास्ट फूड जैसी चीज़ों पर लगाए जाने वाले टैक्स का हवाला दे रहे थे जिनसे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल राज्यों को हुए नुक़सान की भरपाई में किया जाता है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और राज्य के वित्त मंत्रियों की मौजूदगी में 27 अगस्त को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिए थे - पहला विकल्प है कि आरबीआई के साथ विचार-विमर्श कर राज्यों को तार्किक ब्याज़ दर पर 97000 करोड़ रुपये मुहैया कराने के लिए स्पेशल विंडो उपलब्ध कराई जाए. दूसरा विकल्प है कि इस साल के 2.35 लाख करोड़ रुपये के पूरे कंपंजेशन गैप को RBI के साथ ​सलाह मशविरा कर राज्य भरें.

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