कोरोना संकट: अपने 'देस' लौटकर आया 'बिदेसिया' आगे क्या करेगा? - बिहार से ग्राउंड रिपोर्ट

प्रवासी मज़दूर

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    • Author, नीरज प्रियदर्शी
    • पदनाम, छपरा (बिहार) से, बीबीसी हिंदी के लिए

भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के नाटक 'बिदेसिया' में एक प्रवासी मज़दूर जिसे 'बिदेसी' नाम दिया गया है, उसकी पत्नी 'प्यारी सुंदरी' अपने गांव (देस) में पति के लिए परेशान रहती है.

पति की खोज-ख़बर पाने के लिए व्याकुल प्यारी सुंदरी गांव के नाई 'बटोही' से जो ख़ुद परदेस (दूसरे शहर) से लौटे थे, उनसे 'बिदेसी' (प्रवासी मज़दूर पति) की पहचान कुछ इस तरह बताती है,

'करिया न गोर बाड़ें, लम्बा ना ही हवन नाटे,

मझिला जवान, श्याम सुंदर रे बटोहिया.

घुठी पर ले धोती कोर, नकिया सुगा के ठोर,

सिरवा प टोपी, छाती चाकर रे बटोहिया.

पिया के सकल के तू, मन में नकल लिखअ,

हुलिया के पुलिया बनाई ल बटोहिया'

भिखारी ठाकुर के इस नाटक की प्रथम प्रस्तुति को 100 साल से भी अधिक वक़्त बीत चुका है.

उस वक़्त के समाज में मज़दूरों की स्थिति और पलायन की प्रवृत्ति को आधार बनाकर रचे गए नाटक की ये लाइनें 100 बरस बाद भी चरितार्थ होती लगती हैं, जब हम कोरोना वायरस के लॉकडाउन के कारण वापस लौटे प्रवासी मज़दूरों के चेहरे क्वारंटीन सेंटरों में देखते हैं.

वीडियो कैप्शन, प्रवासी मज़दूर आखिर शहरों में क्यों नहीं रुक रहे?

अपना घर-बार छोड़ पैसे की चाहत में दूसरे शहरों में कमाने गए प्रवासी मज़दूर जो लौटकर वापस आ गए हैं उनका हाल जानने के लिए हम निकले.

हम "बिदेसिया" नाटक के रचनाकार भिखारी ठाकुर की जन्मस्थली कुतुकपुर और गंगा के दियारे में बसे आस-पास के दूसरे गांवों में पहुंचे. कहा जाता है कि भिखारी ठाकुर ने बिदेसिया की रचना अपने गांव और समाज के हालात को दर्शाते हुए की थी.

छपरा ज़िले के इन गांवों कुतुकपुर, चकिया, सूरतपुर, महाजी, बलवन टोला के क्वारंटीन सेंटर पर रह रहे प्रवासी मज़दूरों के चेहरे, कद-काठी, वेश-भूषा यह कहने के लिए काफ़ी हैं कि वो ही आज के समय के "बिदेसिया" हैं. जो अपने गांव-घर (देस) तो लौट आए हैं, लेकिन अभी तक परिवार के बीच नहीं जा पाए हैं, नियमों के मुताबिक 21 दिनों का क्वारंटीन पीरियड पूरा कर रहे हैं.

अगर काम मिला तो यहीं रहेंगे, नहीं तो जाना ही पड़ेगा!

इस वक़्त का सबसे बड़ा सवाल यह है कि लौटकर आए ये मज़दूर क्या वापस दूसरे शहर काम करने जाएंगे? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रवासियों के लौटकर आ जाने से कल-कारखानों, उद्योग-धंधों पर बुरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को ख़ुद ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कुछ चुने गए क्वारंटीन सेंटरों पर रह रहे प्रवासियों से बात की.

बातचीत में मुख्यमंत्री ने जब भी किसी प्रवासी मज़दूर या कामगार से आगे के काम को लेकर सवाल किया, प्रवासियों की तरफ़ से हर बार एक जैसा ही जवाब आया, "अब यहीं रहकर काम करेंगे."

हालांकि, मुख्यमंत्री ने जिन क्वारंटीन सेंटर के प्रवासियों से बात की, वे चुने हुए क्वारंटीन सेंटर थे.

लेकिन, हमारी बात जिस भी प्रवासी से हुई, वह आगे के सवाल पर कुछ इस तरह जवाब देता है, "फ़िलहाल तो बाहर जाने का सवाल ही नहीं है, लेकिन यहां काम नहीं मिलेगा तो फिर से जाना ही पड़ेगा."

मज़दूर, बिहार

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इमेज कैप्शन, आलोक महतो

भिखारी ठाकुर के गांव से कुछ ही दूरी के फ़ासले पर गंगा के दियारे में बसे छपरा ज़िले के गांव महाजी के रहनेवाले आलोक महतो 19 अप्रैल को ही दिल्ली से पैदल चलकर अपने गांव आए थे. वहां स्पोर्ट्स प्रोडक्ट बनाने वाली एक कंपनी में सिलाई का काम करते थे.

वापस लौटने के बाद आलोक ने नियमों के मुताबिक़ 14 दिनों का क्वारंटीन पीरियड भी पूरा कर लिया है, सबूत के तौर पर वो अपनी पर्ची दिखाते हैं जो उन्हें क्वारंटीन सेंटर से निकलने पर मिली है.

आलोक कहते हैं, "क्वारंटीन से निकले लगभग एक महीना हो गया. लेकिन अब तक कोई काम नहीं मिला है. घर का जो कुछ था उससे ही गुज़ारा चल रहा है. पर वह भी कितने दिन टिकेगा!"

बिहार सरकार की तरफ़ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 16 मई तक चार लाख से अधिक प्रवासियों को मनरेगा के तहत काम मुहैया कराया जा चुका है. तीन लाख से अधिक मनरेगा के नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं.

लेकिन आलोक कहते हैं, "हमारा अभी तक जॉब कार्ड नहीं बना है. मेरे आस-पास के कई लोग हैं जिनका जॉब कार्ड नहीं बना है. जबकि हम लोगों ने मुखिया और बीडीओ के स्तर पर कई बार काम की मांग की है."

'मनरेगा में मज़दूरों के पास काम नहीं'

आलोक की ही तरह भोजपुर ज़िले के रामशहर गांव के रहने वाले अभय रंजन पासवान को वापस लौटे एक महीने से भी अधिक का वक्त हो गया है.

क्वारंटीन का पीरियड पूरा करने के बाद वो अब अपने घर में परिवारवालों के साथ रहने लगे हैं. पिता के साथ सब्ज़ी उगाने में उनकी मदद कर रहे हैं.

मज़दूर, बिहार

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इमेज कैप्शन, अभय रंजन पासवान

अभय रंजन कहते हैं, "कोई काम नहीं है तो यही करते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन में सब्ज़ियों का रेट बहुत गिर गया है, इसलिए इसमें भी काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ रहा है. बुआई का ख़र्च भी निकलना मुश्किल है."

मनरेगा के काम के बारे अभय रंजन बताते हैं, "मेरे पास तो मनरेगा का जॉब कार्ड नहीं है, लेकिन मेरे घरवालों के पास है. पर उन्हें भी काम कहां मिलता है. देख रहे हैं कि कोई काम मनरेगा के तहत होने वाला भी है, तो उसे जेसीबी मशीन से करा लिया जा रहा है. जिसका कार्ड है, उसको बस मामूली सा कमिशन दे दिया जाता है और यह कहा जाताहै कि बिना काम के इतना तो मिला!"

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कोरोना वायरस ट्रांसलेटर

इन सभी शब्दों का क्या मतलब है?

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  • एंटीबॉडीज टेस्ट

    ऐसा मेडिकल टेस्ट जिससे साबित हो सके कि किसी शख्स को कोरोना वायरस था और अब उसमें कुछ इम्युनिटी आ गई है. यह टेस्ट खून में एंटीबॉडीज का पता लगाता है, जिन्हें बीमारी से लड़ने के लिए शरीर पैदा करता है.

  • बिना लक्षण वाले

    ऐसा शख्स जिसे बीमारी हुई मगर उसमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए. कुछ स्टडीज से पता चला है कि कोरोना वायरस का शिकार हुए कुछ लोगों में तेज़ बुखार या कफ़ जैसे आम लक्षण नहीं नज़र आए.

  • कोरोना वायरस

    वायरस समूह में से एक वायरस जिससे मनुष्यों या जानवरों में गंभीर या हल्की बीमारी हो सकती है. पूरी दुनिया में फैले कोरोना वायरस से कोविड-19 बीमारी हो रही है. सामान्य सर्दी या इंफ्लूएंजा (फ़्लू) फैलाने वाले दूसरे तरह के कोरोना वायरस हैं.

  • कोविड-19

    कोरोना वायरस की वजह से फैल रही बीमारी का सबसे पहले पता 2019 के अंत में चीन के वुहान में लगा. यह मूलरूप में फ़ेफ़ड़ों पर असर डालता है.

  • संक्रमण की तेज़ी को रोकना

    ट्रांसमिशन की दर को कम करना ताकि चार्ट पर प्रदर्शित किए जाने पर मामलों की संख्या के आधार पर पीक को फ्लैट कर कर्व को नीचे लाया जाए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सके.

  • फ़्लू

    इंफ्लूएंजा का संक्षिप्त नाम. एक वायरस जो कि सीजनल बीमारियों में मनुष्यों और जानवरों में फैलता है.

  • सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता

    एक बड़ी आबादी तक पहुंचने के बाद किस तरह से एक बीमारी का फैलाव सुस्त पड़ता है.

  • लड़ने में सक्षम

    ऐसा शख्स जिसका शरीर किसी बीमारी के सामने टिक सके या उसे रोक दे वह इससे इम्यून कहा जाता है. एक बार जब कोई शख्स कोरोना वायरस से उबर जाता है तो ऐसा माना जाता है कि वह एक निश्चित अवधि तक इस बीमारी का फिर से शिकार नहीं हो सकता.

  • वायरस के असर करने की अवधि

    किसी बीमारी का शिकार होने और उसका लक्षण दिखाई देना शुरू होने के बीच की अवधि

  • लॉकडाउन

    आवाजाही या रोज़ाना की ज़िंदगी पर पाबंदियां, जिनमें सार्वजनिक इमारतें बंद हैं और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए कहा गया है. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन को कड़े उपायों के तौर पर लागू किया गया है."

  • शुरुआत

    किसी क्लस्टर या अलग-अलग इलाकों में तेज रफ्तार से बीमारी के कई मामले सामने आना.

  • महामारी

    किसी गंभीर बीमारी का कई देशों में एकसाथ तेजी से फैलना महामारी कहलाता है.

  • एकांतवास

    किसी संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए इसकी जद में आए लोगों को अलग रखना.

  • सार्स

    सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम एक कोरोना वायरस का ही प्रकार है जो कि एशिया में 2003 में शुरू हुआ था.

  • सेल्फ-आइसोलेशन

    घर पर ही रहना और अन्य लोगों से सभी तरह के संपर्क से बचना ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके.

  • सामाजिक दूरी

    अन्य लोगों से दूर रहना ताकि बीमारी के ट्रांसमिशन की रफ्तार कम की जा सके. सरकार की सलाह है कि अपने साथ रह रहे लोगों के अलावा दोस्तों और रिश्तेदारों से न मिलें. साथ ही सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल से भी बचें.

  • आपातकालीन स्थिति

    किसी संकट के वक्त सरकार द्वारा रोज़ाना की जिंदगी पर पाबंदी लगाने के मकसद से उठाए गए कदम. इसमें स्कूलों और दफ्तरों को बंद करना, लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाना और यहां तक कि सैन्य बलों को तैनात करना ताकि रेगुलर इमर्जेंसी सेवाओं को सपोर्ट किया जा सके."

  • लक्षण

    संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की कोशिश के तौर पर इम्यून सिस्टम से किसी बीमारी के संकेत. कोरोना वायरस का मुख्य लक्षण बुखार, सूखी खांसी और सांस लेने में दिक्कत होना है."

  • टीका

    ऐसा इलाज जिससे शरीर एंटीबॉडीज पैदा करता है, जो कि बीमारी से लड़ता है और आगे के संक्रमण से लड़ने की इम्युनिटी देता है."

  • वेंटीलेटर

    ऐसी मशीन जो कि ऐसे वक्त पर शरीर के लिए सांस लेने का काम करती है जब फ़ेफ़ड़े काम करना बंद करने लगते हैं.

  • विषाणु

    एक छोटा सा एजेंट जो कि किसी जीवित सेल के भीतर अपनी कॉपी बना लेता है. वायरस की वजह से ये सेल मरने लगती हैं और शरीर की सामान्य केमिकल प्रक्रियाओं को अवरुद्ध कर देती हैं जिससे बीमारी हो जाती है.

मुख्य कहानी नीचे जारी है

अभय की तरह ही भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के चातर गांव के रहने वाले मजदूर उदय पासवान कहते हैं, "हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है. जल-जीवन-हरियाली के लिए काम तो मनरेगा के तहत हो रहा है, लेकिन काम मज़दूरों से लेने के बजाय ठेकेदार मशीनों से करवा रहा है. हमारे पास केवल कार्ड है, लेकिन जिस खाते में पैसा आता है उसके सारे अधिकार पंचायत के अधिकारियों और ठेकेदार के पास हैं."

दूसरे शहरों से लौटकर आए प्रवासियों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई बातचीत से यह तो समझ में आ गया है कि कष्ट और तकलीफ़ सहकर आए इन प्रवासियों को फिर से बाहर जाने का मन नहीं है, सरकार यह कह भी रही है कि वह उनके रोज़गार का समुचित प्रबंध करेगी.

पर क्या वे रुक पाएंगे?

मज़दूर, बिहार

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इमेज कैप्शन, अभय रंजन पासवान अपने पिता सिंहासन पासवान के साथ.

काग़ज़ पर काम के रिकॉर्ड को ज़मीन पर काम की हक़ीक़त से जोड़कर देखने पर जवाब "नहीं" मिलता है.

जैसा कि हमसे बातचीत में एक मज़दूर आलोक महतो कहते भी हैं, "घर-परिवार छोड़ बाहर कौन रहना चाहता है? लेकिन यहां काम भी तो मिलना चाहिए. परिवार और पेट पालने के लिए बाहर तो जाना ही पड़ेगा."

सवाल और जवाब

कोरोना वायरस के बारे में सब कुछ

आपके सवाल

  • कोरोना वायरस क्या है? लीड्स के कैटलिन से सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले

    कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है जिसका पता दिसंबर 2019 में चीन में चला. इसका संक्षिप्त नाम कोविड-19 है

    सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं

    कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.

    ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.

    कोरोना वायरस के अहम लक्षणः ज्यादा तेज बुखार, कफ़, सांस लेने में तकलीफ़

    लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.

  • एक बार आप कोरोना से उबर गए तो क्या आपको फिर से यह नहीं हो सकता? बाइसेस्टर से डेनिस मिशेल सबसे ज्यादा पूछे गए सवाल

    जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.

    यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.

    ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.

    यह नया वायरस उन सात कोरोना वायरस में से एक है जो मनुष्यों को संक्रमित करते हैं.
  • कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड क्या है? जिलियन गिब्स

    वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.

    कोविड-19 के कुछ लक्षणों में तेज बुख़ार, कफ़ और सांस लेने में दिक्कत होना शामिल है.

    वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.

    इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.

  • क्या कोरोना वायरस फ़्लू से ज्यादा संक्रमणकारी है? सिडनी से मेरी फिट्ज़पैट्रिक

    दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.

    ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.

    फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.

    • बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
    • जब तक आपके हाथ साफ न हों अपने चेहरे को छूने से बचें
    • खांसते और छींकते समय टिश्यू का इस्तेमाल करें और उसे तुरंत सीधे डस्टबिन में डाल दें.
  • आप कितने दिनों से बीमार हैं? मेडस्टोन से नीता

    हर पांच में से चार लोगों में कोविड-19 फ़्लू की तरह की एक मामूली बीमारी होती है.

    इसके लक्षणों में बुख़ार और सूखी खांसी शामिल है. आप कुछ दिनों से बीमार होते हैं, लेकिन लक्षण दिखने के हफ्ते भर में आप ठीक हो सकते हैं.

    अगर वायरस फ़ेफ़ड़ों में ठीक से बैठ गया तो यह सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया पैदा कर सकता है. हर सात में से एक शख्स को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.

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मेरी स्वास्थ्य स्थितियां

आपके सवाल

  • अस्थमा वाले मरीजों के लिए कोरोना वायरस कितना ख़तरनाक है? फ़ल्किर्क से लेस्ले-एन

    अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.

    अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.

  • क्या ऐसे विकलांग लोग जिन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं है, उन्हें कोरोना वायरस होने का डर है? स्टॉकपोर्ट से अबीगेल आयरलैंड

    ह्दय और फ़ेफ़ड़ों की बीमारी या डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों से जूझ रहे लोग और उम्रदराज़ लोगों में कोरोना वायरस ज्यादा गंभीर हो सकता है.

    ऐसे विकलांग लोग जो कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और जिनको कोई रेस्पिरेटरी दिक्कत नहीं है, उनके कोरोना वायरस से कोई अतिरिक्त ख़तरा हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.

  • जिन्हें निमोनिया रह चुका है क्या उनमें कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं? कनाडा के मोंट्रियल से मार्जे

    कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.

    लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.

    कोरोना वायरस की वजह से वायरल निमोनिया हो सकता है जिसके लिए अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
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अपने आप को और दूसरों को बचाना

आपके सवाल

  • कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकारें इतने कड़े कदम क्यों उठा रही हैं जबकि फ़्लू इससे कहीं ज्यादा घातक जान पड़ता है? हार्लो से लोरैन स्मिथ

    शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.

    क्वारंटीन उपायों को लागू कराते पुलिस अफ़सर

    फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.

  • क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए? मैनचेस्टर से एन हार्डमैन

    पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.

    मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.

    फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.

    यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.

  • अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए? लंदन से ग्राहम राइट

    अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.

    सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.

End of अपने आप को और दूसरों को बचाना

मैं और मेरा परिवार

आपके सवाल

  • मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा? बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल

    गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.

    यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.

    गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.

  • मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए? मीव मैकगोल्डरिक

    अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.

    अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.

    ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.

  • बच्चों के लिए क्या जोखिम है? लंदन से लुइस

    चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.

    ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.

    हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.

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