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कोरोना वायरस: मज़दूरों के लिए दूसरे राज्यों से भी चलेगी ट्रेन, रेलवे किराया भी वसूलेगा
- Author, सरोज सिंह
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
एक दिन पहले तक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केवल बसों के ज़रिए ही दूसरे राज्यों में फँसे आप्रवासी मज़दूरों को लाने ले जाने की बात की थी.
लेकिन अगले ही दिन, अपना फैसले पलट दिया. ताज़ा फैसले के मुताबिक़, रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए भी स्पेशल ट्रेन चलाएगी. गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम में दो दिन में दूसरी बार संशोधन करते हुए इसका रास्ता साफ़ किया.
इसके लिए रेल मंत्रालय एक नोडल अफ़सर तैनात करेगी, जो राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस दिशा में काम करेगा की कैसे अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाया जा सके.
गृह मंत्रालय ने इस बारे में नया ऑर्डर निकाला है. ऑर्डर में लिखा है कि रेल मंत्रालय इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए नए दिशानिर्देश जारी करेगा जिसमें टिकट बिक्री, सोशल डिस्टेंसिग और सुरक्षा के लिहाज़ से उठाए जाने वाले क़दमों की विस्तृत जानकारी होगी.
इसका मतलब साफ़ है कि घर जाने के इंतज़ार में दूसरे राज्यों में बैठे मज़दूरों से किराया भी वसूला जाएगा.
केन्द्र सरकार का नया फ़रमान आते ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर जानकारी दी की झारखंड के छात्रों के लेकर दूसरी ट्रेन आज ही राजस्थान के कोटा से रवाना होगी.
रेल मंत्रालय ने फंसे मज़दूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेन का नाम 'श्रमिक ट्रेन' रखा है. एक मई को ऐसी छह ट्रेनें चलाई जाएंगी.
- तेलंगाना से झारखंड के हटिया
- अलूवा, (केरल) से भुवनेश्वर
- नासिक से लखनऊ
- नासिक से भोपाल
- जयपुर से पटना और कोटा से हटिया
ज़ाहिर है बाकी राज्यों से भी मांग पहले से उठ रही है. वो सभी राज्य रेल मंत्रालय के संपर्क में हैं. जैसे-जैसे ट्रेन के डिब्बों और राज्यों की मंज़ूरी मिलेगी, रेलवे दूसरे राज्यों से भी लोगों को निकाल कर घर पहुंचाना शुरू करेगी.
तेलंगाना से झारखंड के लिए स्पेशल ट्रेन
आज तड़के सुबह 4: 50 बजे तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया के लिए एक स्पेशल ट्रेन 1200 प्रवासियों को लेकर चल दी है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने आरपीएफ़ के डीजी के हवाले से ये जानकारी दी. ये भी बताया गया कि इस ट्रेन में 24 कोच हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि एक दिन में ही आख़िर ऐसा क्या बदल गया.
दरअसल 29 तारीख़ को गृह मंत्रालय के आदेश के तुरंत बाद ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रेस वार्ता में साफ़ कहा था, "हर राज्य में फँसे मज़दूरों, छात्रों, टूरिस्ट और तीर्थ यात्रियों को अकेले लाने में राज्य सरकार सक्षम नहीं है. हमारे पास सीमित संसाधन हैं. हमारे पास ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन भी नहीं है. अगर हम कहीं से बसों की व्यवस्था भी करते हैं तो हमें अपने मज़दूरों को लाने में ही 6 महीने का वक़्त लग जाएगा."
राज्य सरकार का आकलन है कि उनके तकरीबन 5 लाख मज़दूर, छात्र, तीर्थ यात्री दूसरे राज्यों में फँसे हैं.
इस समस्या को लेकर हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात भी की थी और उन्होंने इसकी जानकारी ट्विटर पर साझा की.
ऐसी ही गुज़ारिश महाराष्ट्र, राजस्थान और केरल सरकार ने भी की है. नए सरकारी आदेश से अब दूसरे राज्यों के लिए भी रास्ता साफ़ हो जाएगा. हालांकि पहली स्पेशल ट्रेन चलाने के बाद रेलवे ने कहा था ये अनुरोध तेलंगाना सरकार का था.
स्पष्टीकरण में आगे कहा गया है, "आज सुबह एक स्पेशल ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया के लिए तेलंगाना सरकार के निवेदन पर रेल मंत्रालय के आदेश पर चलाई गई. इस दौरान सारे एहतियात बरते गए. पैसेंजर की स्क्रीनिंग की गई, स्टेशन और ट्रेन दोनों पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया गया. ऐसी केवल एक ही ट्रेन चलाई गई है. और आगे की ट्रेनें रेल मंत्रालय के आदेश पर ही चलाई जाएंगी, लेकिन इसके लिए दोनों जगहों की राज्य सरकारों की स्वीकृति की ज़रूरत होगी."
सोशल डिस्टेंसिंग का ख़याल
सवाल ये भी उठ रहा है कि 1200 लोगों के साथ एक ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे कर रही है सरकार?
तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया की दूरी लगभग 1300 किलोमीटर की है.
दरअसल, ये पूरी ट्रेन 24 कोच की स्लीपर ट्रेन है. वैसे हर कोच में 72 लोगों की अमूमन बैठने की व्यवस्था होती है. लेकिन इस स्पेशल ट्रेन में एक कोच में 50 लोगों को ही लाया जा रहा है.
ट्रेन की शुरुआती तस्वीरें समाचार एजेंसी एएनआई ने भेजी है, जिसके मुताबिक़ ट्रेन के डिब्बों में मिडिल बर्थ ख़ाली है. इस ट्रेन को हर स्टेशन पर रुकने की इजाज़त भी नहीं दी गई है.
ये नॉन स्टॉप ट्रेन है जो सिर्फ़ ऑपरेशल हॉल्ट ही लेगी. ट्रेन में पैसेंजर को खाना और पानी सब मुहैया कराया जाएगा. ट्रेन विलासपुर, रायगढ़, झारसुगुड़ा होते हुए हटिया पहुंचेगी.
स्पेशल ट्रेन में दिन का सफ़र इसलिए रखा है, ताकि बेड रोल का इस्तेमाल ना किया जा सके. इससे संक्रमण का ख़तरा कम होगा.
आपको याद होगा कि कोरोना संक्रमण के देश में फैलने के शुरुआती दिनों में रेलवे ने बेड रोल और एसी पर पहले से ही पाबंदी लगा दी थी.
सेंट्रलाइज्ड एसी से संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है, इसलिए स्लीपर कोच का इस्तेमाल ही किया गया है.
लोगों की सुरक्षा में आरपीएफ़ के जवानों को तैनात भी किया गया है. वो भी हाथ में दस्ताने और मास्क पहने हुए हैं.
ये ट्रेन आज रात 10 से 11 बजे के बीच हटिया स्टेशन पहुंचेगी.
झारखंड के हटिया में पहुंचने पर सभी पैसेंजर की दोबारा से स्क्रीनिंग होगी, ज़रूरत के हिसाब से पैसेंजर को होम क्वारंटीन या अस्पताल के क्वारंटीन में भेजने की व्यवस्था की जाएगी.
गृह मंत्रालय के आदेश में भी ऐसा करना अनिवार्य किया गया है.
इतना ही राज्य सरकार को इन मज़दूरों के लिए रेगुलर चेकअप की भी व्यवस्था करनी होगी.
किराया कौन देगा?
गृह मंत्रालय के ऑर्डर में ये साफ कहा गया है कि रेल मंत्रालय टिकट बिक्री को लेकर नया आदेश जारी करेगी. ऐसे में अभी ये स्पष्ट नहीं है कि किराया फंसे मजदूरों और छात्रों से लिया जाएगा, या फिर राज्य सरकारों से.
लेकिन पिछली बार बसों से जब मजदूरों को ले जाया गया था, तो किराया लोगों से वसूला गया था.
वैसे भी कोविड19 से लड़ाई में राज्य सरकारों का खजाना खाली हो गया है.
ऐसे में बहुत संभव है मजदूरों और छात्रों को घर पहुंचने के लिए खुद ही किराया देना पड़े. हालांकि इस पर सरकारी आदेश का इंतजार करना चाहिए..
कांग्रेस के नेता ने जताई नाराज़गी
वहीं, कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने रेल मंत्री पियूष गोयल को ख़त लिखकर नाराज़गी जताई है.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद से उन्होंने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री से फ़ोन पर बात की है और दूसरे राज्यों में फंसे मज़दूरों और लोगों का मुद्दा उठाया है. बीते चार दिनों से फ़ोन पर वो रेल मंत्री से बात करना चाहते हैं लेकिन उन्हें वक़्त नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने ख़त में लिखा है कि वो दूसरे राज्यों में फंसे पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए उनसे फ़ोन पर बात करना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें वो वक़्त दें.
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