निज़ामुद्दीन तबलीग़ी जमात मरकज़: कोरोना वायरस के कारण चर्चा में आई तबलीग़ी जमात क्या है?

    • Author, टीम बीबीसी हिंदी
    • पदनाम, नई दिल्ली

मरकज़ का मतलब है केंद्र

तबलीग़ का मतलब धर्म का प्रचार

जमात का अर्थ समूह या झुंड

बीते दो दिनों में ये तीन शब्द सबसे अधिक चर्चा में रहे.

दिल्ली का निज़ामुद्दीन इलाक़ा कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी के इस दौर में चर्चा में आ गया है. मार्च के महीने में इस इलाक़े में स्थित तबलीग़ जमात के मरकज़ में एक धार्मिक आयोजन हुआ था. जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे. देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ ही विदेश से भी लोग यहां पहुंचे थे.

यहां धार्मिक आयोजन होना नया नहीं है लेकिन ये आयोजन उस वक़्त हुआ जब देश में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ था.

ये एक पक्ष है. दूसरा पक्ष यानी तबलीग़ जमात का कहना है कि जनता कर्फ़्यू के एलान के साथ ही उन्होंने अपना धार्मिक कार्यक्रम रोक दिया था. लेकिन पूरी तरह लॉकडाउन की घोषणा के कारण बड़ी संख्या में लोग वापस नहीं जा सके.

एक साथ इतनी बड़ी संख्या में जब लोगों के जमा होने का पता चला तब पुलिस ने कार्रवाई की और लोगों को यहां से बाहर निकाला. सभी को कोरोना वायरस की जांच के लिए भेजा गया. जिसमें से 24 लोगों के टेस्ट पॉज़ीटिव मिले हैं.

इसके साथ ही भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में एकाएक उछाल आ गया.

लेकिन क्या है तबलीग़ी जमात जो अचानक से चर्चा में आ गया...

तबलीग़ी जमात का जन्म भारत में 1926-27 के दौरान हुआ. एक इस्लामी स्कॉलर मौलाना मुहम्मद इलियास ने इस काम की बुनियाद रखी थी. परंपराओं के मुताबिक़, मौलाना मुहम्मद इलियास ने अपने काम की शुरुआत दिल्ली से सटे मेवात में लोगों को मज़हबी शिक्षा देने के ज़रिए की. बाद में यह सिलसिला आगे बढ़ता गया.

तबलीग़ी जमात की पहली मीटिंग भारत में 1941 में हुई थी. इसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज अविभाजित भारत तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसकी शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैल गईं. जमात का काम तेज़ी से फैला और यह आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया.

तबलीग़ी जमात का सबसे बड़ा जलसा हर साल बांग्लादेश में होता है. जबकि पाकिस्तान में भी एक सालाना कार्यक्रम रायविंड में होता है. इसमें दुनियाभर के लाखों मुसलमान शामिल होते हैं.

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे ज़फ़र सरेशवाला तबलीग़ी जमात से सालों से जुड़े हैं. उनके मुताबिक़ ये विश्व की सबसे बड़ी मुसलमानों की संस्था है. इसके सेंटर 140 देशों में हैं.

भारत में सभी बड़े शहरों में इसका मरकज़ है यानी केंद्र है. इन मरकज़ों में साल भर इज़्तेमा (धार्मिक शिक्षा के लिए लोगों का इकट्ठा होना) चलते रहते हैं. मतलब लोग आते जाते रहते हैं.

तबलीग़ी जमात का अगर शाब्दिक अर्थ निकालें तो इसका अर्थ होता है, आस्था और विश्वास को लोगों के बीच फैलाने वाला समूह. इन लोगों का मक़सद आम मुसलमानों तक पहुंचना और उनके विश्वास-आस्था को पुनर्जिवित करना है. ख़ासकर आयोजनों, पोशाक और व्यक्तिगत व्यवहार के मामले में.

कहां तक फैली हु है तबलीग़ी जमात?

स्थापना के बाद से तबलीग़ी जमात का प्रसार होता गया. इसका प्रसार मेवात से दूर के प्रांतों में भी हुआ.

तबलीग़ी जमात की पहली मीटिंग भारत में 1941 में हुई थी. इसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज अविभाजित भारत तक ही सीमित था, लेकिन बाद में जमात का काम तेज़ी से फैला और यह आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया.

फ़िलहाल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा अमरीका और ब्रिटेन में भी इसका संचालित बेस है. जिससे भारतीय उपमहाद्वीप के हज़ारों लोग जुड़े हुए हैं.

इसके अलावा इसकी पहुंच इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर में भी है.

जमात कैसे करता है धर्म का प्रचार?

तबलीग़ी जमात छह आदर्शों पर टिका हुआ है.

कलमा - कलमा पढ़ना

सलात - पांचों वक़्त की नमाज़ को पढ़ना

इल्म - इस्लामी शिक्षा

इक़राम ए मुस्लिम - मुस्लिम भाइयों का सम्मान करना

इख़्लास ए निय्यत - इरादों में ईमानदारी

दावत ओ तबलीग़ - प्रचार करना

जमात के आयोजन में क्या होता है?

जमात का काम सुबह से ही शुरू हो जाता है.

सुबह होने के साथ ही जमात को कुछ और छोटे-छोटे समूहों में बांट दिया जाता है. प्रत्येक समूह में आठ से दस लोग होते हैं. इन लोगों का चुनाव जमात के सबसे बड़े शख़्स द्वारा किया जाता है.

इसके बाद प्रत्येक ग्रुप को एक मुकम्मल जगह जाने का आदेश दिया जाता है. इस जगह का निर्धारण इस बात पर होता है कि उस ग्रुप के प्रत्येक सदस्य ने इस काम के लिए कितने पैसे रख रखे हैं.

इसके बाद शाम के वक़्त जो नए लोग जमात में शामिल होते हैं उनके लिए इस्लाम पर चर्चा होती है.

अंत में सूरज छिप जाने के बाद क़ुरान का पाठ किया जाता है और मोहम्मद साहब के आदर्शों को बताया जाता है.

किसी भी दूसरी संस्था की तरह यहां कोई लिखित ढांचा नहीं है लेकिन एक सिस्टम का पालन ज़रूर किया जाता है.

जहां जमात के बड़ों का पद सबसे ऊपर होता है. आमतौर पर अहम फ़ैसले 'अमीर' लेते हैं.

दो दिन पहले पाकिस्तान में भी हुआ था जमात का विरोध

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के ऐतिहासिक शहर थट्टा में मौजूद कोरोना कंट्रोल सेंटर में दो दिन पहले एक फ़ोन कॉल आई.

इस कॉल में शिकायत की गई कि मुहम्मद खान सूमरो गांव में तबलीग़ी जमात (धार्मिक समूह) के लोग मौजूद हैं और इससे स्थानीय आबादी को चिंता हो रही है.

ये शिकायत केंद्रीय बाजोरा परिषद के चेयरमैन हसन सुमरो ने कंट्रोल रूम में दर्ज कराई थी.

सुमरो ने बीबीसी को बताया कि लोग कोरोना वायरस के फैलने से डरे हुए थे और जब यह ख़बर मीडिया में आई कि रायविंड में हुए एक सालाना जलसे में शामिल होने वाले धार्मिक समूह के लोगों में कोरोना वायरस फैल गया है तो यह डर कई गुना बढ़ गया. उन्होंने कहा कि इन्हीं चिंताओं को देखते हुए उन्होंने कंट्रोल रूम में शिकायत की थी.

बाद में जब इन लोगों का टेस्ट कराया गया तो सिंध हेल्थ डिपार्टमेंट ने पुष्टि की है कि रायविंड में हुए जलसे से लौटे चार लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है. धार्मिक समूह का रायविंड में 10-12 मार्च के बीच अंतरराष्ट्रीय जलसा हुआ था. इसमें हज़ारों की तादाद में स्थानीय और विदेशी लोगों ने शिरकत की थी.

सिंध में थट्टा ही इक़लौता ऐसा ज़िला नहीं है जहां पर तबलीग़ी जमात के लोगों को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा है. लरकाना ज़िले के सैहर क़स्बे की मस्जिद में भी तबलीग़ी जमात के लोगों की मौजूदगी का विरोध किया गया और स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत प्रशासन से कर दी थी.

जमात की गतिविधियों पर रोक की मांग

सोशल डिवेलपमेंट पर काम करने वाले एक वैश्विक संगठन से जुड़े हुए मसूद लोहार ने फ़ेसबुक पर पोस्ट डाली की अगर तबलीग़ी जमात पर बैन नहीं लगाया गया तो कोरोना वायरस पूरे देश में फैल जाएगा. जिसका कई लोगों ने समर्थन किया.

बाद में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर सस्सी पलेजू ने भी तबलीग़ी जमात के लोगों से दरख्व़ास्त की कि वे अपने घरों में ही बंद रहें.

वहीं, भारत में मार्च महीने की शुरुआत में ही दिल्ली सरकार ने किसी भी तरह के धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आयोजनों पर 31 मार्च तक के लिए पाबंदी लगा दी थी. इसके अलावा विरोध-प्रदर्शनों में 50 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी गई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण के ख़तरे को देखते हुए 25 मार्च से 21 दिनों की लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है. लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस ड्रोन से नज़र रख रही है.

ऐसे में मार्च महीने में हुए जमात के इस कार्यक्रम ने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दिल्ली में हुए इस आयोजन से भारत के 20 से अधिक राज्यों में कोरोना वायरस का ख़तरा बढ़ गया है.

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