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मोदी बनाम राहुल: 'रेप इन इंडिया' की राजनीति
- Author, गीता पांडे
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को सदन में मुद्दा उठा 'रेप इन इंडिया' का, लेकिन इस मुद्दे की गंभीरता पर नहीं बल्कि एक दिन पहले एक चुनावी रैली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के उस भाषण को लेकर जिसमें उन्होंने कहा था कि "नरेंद्र मोदी ने कहा था- मेक इन इंडिया. लेकिन अब आप जहां भी देखो... अब मेक इन इंडिया नहीं... रेप इन इंडिया है.
शुक्रवार को इसी मुद्दे को लेकर सदन में हंगामा होता रहा और बार बार इसे स्थगित किया जाता रहा.
'मेक इन इंडिया' एक सरकारी परियोजना है जिसका उद्देश्य देश को दुनिया का विनिर्माण केंद्र यानी मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना है.
नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के कई सांसदों ने राहुल गांधी पर 'भारत का अपमान' करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी यह बोली लोगों को भारत में महिलाओं के रेप के निमंत्रण के रूप में ली जा सकती है, साथ ही उन्होंने मांग की कि वो अपने इस बयान के लिए माफ़ी मांगें.
केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि गांधी परिवार का ये बेटा कहता है कि आओ हिंदुस्तान में रेप करो. क्या राहुल यह कहना चाहते हैं कि हिंदुस्तान का हर व्यक्ति रेप करना चाहता है. बीजेपी के सांसदों ने मांग की कि राहुल अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगें.
लेकिन राहुल गांधी ने माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया, बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी के उस भाषण का ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने खुद दिल्ली को 'रेप कैपिटल' कहा था. इसके प्रमाण के रूप में उन्होंने 2014 के आम चुनाव से पहले मोदी के भाषण का एक वीडियो क्लिप ट्वीट भी किया.
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि बीजेपी के सांसद रेप पर उनकी टिप्पणी को लेकर संसद को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि वे देश की आर्थिक सुस्ती और देश के कई हिस्सों में उबाल लाने वाले विवादास्पद नागरिकता संशोधन क़ानून जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहते थे.
रेप की गूंज संसद के गलियारे तक पहुंची
हाल के दिनों में भारत में महिलाओं की स्थिति को लेकर ख़बरें चर्चा में रही हैं, ख़ास कर हैदराबाद में अभियुक्तों ने 27 वर्षीय पशुओं की डॉक्टर के साथ पहले रेप किया और बाद में हत्या कर आग लगा दी थी.
उनकी मौत पर संसद में भी हंगामा हुआ था, तब सभी राजनीतिक दलों के सांसदों ने इसकी निंदा की थी. सांसद जया बच्चन ने तो यहां तक कह दिया था कि रेप करने वालों की लिंचिंग कर दी जानी चाहिए.
हैदराबाद की घटना के कुछ दिनों बाद, उन्नाव में रेप की शिकार एक पीड़िता को हमलावरों ने तब ज़िंदा जला दिया जब वह मामले की सुनवाई के लिए जा रही थी ,बाद में उसकी भी मौत हो गई.
और तो और इसी सोमवार को ही नरेंद्र मोदी की पार्टी के एक विधायक और रेप के अभियुक्त कुलदीप सेंगर पर भी अदालती फ़ैसला आने की उम्मीद है.
'लेकिन प्रधानमंत्री तब भी चुप रहे'
गुरुवार की रैली में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर अपने इस विधायक के मामले में लगातार चुप रहने का आरोप लगाया, यहां तक कि जब पीड़ित महिला की एक संदिग्ध सड़क दुर्घटना में घायल होने पर भी जिसमें उनकी दो मौसी की मौत हो गई और उनके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए.
इन आरोपों में कुछ तो दम है, हाल के दिनों में, महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रही हिंसाओं के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी बेहद हैरान करने वाली रही है.
जिस दिन नाराज़ सांसदों ने संसद में हैदराबाद में डॉक्टर से गैंगरेप और उनकी हत्या का मुद्दा उठाया उस दिन प्रधानमंत्री मोदी सदन में उपस्थित नहीं थे.
पीएम बनने से पहले और बाद में किए वादों की यादें
2014 के चुनावों से पहले मोदी अपने भाषणों में अकसर महिलाओं की सुरक्षा की बातें करते थे. दिसंबर 2013 में मोदी ने विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले लोगों को दिल्ली बस रेपकांड पीड़िता को दिमाग में रख कर वोट देने की अपील की थी.
मई 2014 में प्रधानमंत्री का पद संभालने के कुछ ही दिनों बाद उनकी सरकार ने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर 'ज़ीरो टॉलरेंस' की नीति की घोषणा भी की.
जब पहली बार लाल क़िले की प्राचीर से उन्होंने 15 अगस्त 2014 को भाषण दिया तो उन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा की निंदा करते हुए माता-पिता को उनके बेटों के पालन पोषण की कुछ सलाहें दी थीं.
तब उन्होंने रेप ख़त्म करने की दिशा में माता-पिता को उनके बेटों से अधिक से अधिक सवाल पूछने और सामाजिक एवं पारिवारिक ज़िम्मेदारी के प्रति सजग करने की नसीहत दी थी.
उनके इस भाषण ने कई लोगों में यह उम्मीदें जगाई थी कि भारत में इससे महिलाओं के प्रति चीज़ें बेहतर हो सकती हैं.
आधी आबादी में बेहद नाराज़गी
लेकिन हाल ही में सरकार की तरफ़ से जारी क्राइम डेटा पर नज़र डाले तो उन उम्मीदों पर पानी फिरता दिखता है क्योंकि 2017 के आंकड़े बताते हैं कि 'भारत में हर 15 मिनट में एक रेप होता है.'
देश की महिलाएं चाहती हैं कि इस पर राजनीति न हो. वे बेहद नाराज़ हैं. वे चाहती हैं कि देश की आधी आबादी को सुरक्षित बनाने के लिए कुछ बेहद ठोस कार्रवाई हो.
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