केरल: एक दिन जन्मीं चार बहनें, अब एक ही दिन करेंगी शादी

केरल की चार बहनें

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    • Author, स्वामीनाथन नटराजन
    • पदनाम, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस

दक्षिण भारतीय राज्य केरल की ये चार बहनें एक ही दिन जन्मीं, चारों ने अपना पूरा जीवन एक ही छत के नीचे साथ गुजारा, एक ही खाना खाया और एक ही जैसे कपड़े पहने. इतना ही नहीं 15 साल की उम्र तक स्कूल में भी एक साथ बैठती रहीं. अब ये चारों बहनें एक ही दिन शादी करने वाली हैं.

ये चार बहनें और इनका एक भाई एक ही दिन पैदा हुए थे और इसी वजह से यह परिवार हमेशा से ही स्थानीय मीडिया में चर्चित रहा है.

इन चार बहनों: उत्तरा, उत्तरजा, उत्तारा, उत्तामा और उनके भाई उत्तराजन का जन्म 18 नवंबर 1995 को हुआ था.

अब ये चारों बहनें अगले साल की 26 अप्रैल को एकसाथ ही शादी करने की योजना बना रही हैं.

उत्तरा ने बीबीसी को बताया, "हमारे घर पर होने वाली ज़्यादातर बातचीत अब सिर्फ़ शादी की योजनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है. हमें शादी के दिन के लिए सिल्क की साड़ियां खरीदनी हैं. हम एक ही रंग और एक ही डिज़ाइन के कपड़े खरीदेंगे."

उत्तरा एक पत्रकार हैं और उनके होने वाले पति भी एक रिपोर्टर हैं.

हमेशा एक जैसे कपड़े पहनने की आदत

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शादियों में सबकुछ एक जैसा होने की चाहत

शादी पूरे रीति-रिवाज़ और पारंपरिक तरीक़ों से होगी. आमतौर पर यहाँ लोग खु़द अपने साथी को नहीं चुनते बल्कि परिवार के सदस्य शादियाँ तय करते हैं. ये भी एक अरेंज्ड शादी है.

इन बहनों की माँ रेमा देवी ने अपनी बेटियों को एक मैट्रिमोनियल (वैवाहिक) वेबसाइट के ज़रिए उनने लिए पतियों को ढूंढने में मदद की है.

इस तरह की शादियों में आमतौर पर समान आर्थिक-शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले और एक ही जाति के लोगों के बीच शादियाँ होती हैं.

ज्योतिषों से दूल्हे और दुल्हन की कुंडली मिलवाई जाती है और वे परिवारों को बताते हैं कि क्या लड़का-लड़की एक-दूसरे के लिए बने हैं या नहीं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शादियां जबरदस्ती कराई जाती हैं. दूल्हा और दुल्हन को अपनी बात रखने और मर्ज़ी बताने का मौक़ा दिया जाता है.

इस साल सितंबर में चारों बहनों के लिए सगाई समारोह रखा गया था, लेकिन चार दूल्हों में से तीन नहीं आ पाए क्योंकि वो मध्य-पूर्व में नौकरी करते हैं.

अब ये चारों यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहीं हैं कि उनकी शादियों में सब कुछ एक जैसा हो.

बहनों के साथ भाई उत्तराजन

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इमेज कैप्शन, बहनों के साथ भाई उत्तराजन

एकसाथ ही जीवनसाथी ढूंढा

इन चारों बहनों ने जीवन के हर उतार-चढ़ाव को एक साथ देखा है. कभी-कभी उन्होंने एक-दूसरे के साथ मुक़ाबला भी किया और इसी वजह से अपने-अपने व्यक्तित्व को भी संवारा.

उत्तरजा पढ़ाई में हमेशा ही अव्वल रहीं और उत्तमा ने संगीत में रूचि दिखाई और वायलिन सीखना शुरू कर दिया, जबकि उनके भाई उत्तराजन ने तबला सीखने में रुचि ली.

उत्तरा ने फ़ैशन डिज़ाइनिंग की पढ़ाई भी की. उत्तराजा और उत्तामा एनेस्थीशिया टेक्नीशियन बन गई हैं.

जब इन चारों ने ख़ुद के लिए जीवनसाथी चुनने की तलाश शुरू की तब उत्तरजा ने लगभग एक साल पहले अपने लिए सबसे पहले पार्टनर तालाशा था लेकिन उन्होंने इस मामले में जल्दबाज़ी ना करने का फ़ैसला किया.

उत्तरजा कहती हैं, "हमारी मां की इच्छा है कि हम सब एक ही दिन शादी करें इसलिए हमने इंतज़ार करने का फ़ैसला किया."

भारत में शादियों में बहुत पैसा ख़र्च होता है और कई परिवार ख़र्चे को कम करने के लिए भाई-बहनों की शादी एक ही दिन साथ में करवा देते हैं.

इन बहनों का कहना है कि चार अलग-अलग शादियों का आयोजन करने में जो ख़र्चा होगा वो उनकी माँ के लिए ज़्यादा तो है ही, लेकिन एक ही दिन शादी के फ़ैसले के पीछे एक भावनात्मक कारण भी है.

बचपन साथ बीता

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इमेज कैप्शन, पांचों भाई-बहन के बचपन की तस्वीर

एक नई शुरुआत

उत्तरजा और उनके पति ने शादी जल्दी कराने के लिए कभी ज़ोर नहीं दिया.

उनकी शादी आकाश कुमार से हो रही है, जो मध्य-पूर्व में एक एनेस्थीशिया टेकनीशियन के तौर में काम करते हैं.

वो बताती हैं, "हम आकाश के कुवैत जाने से पहले एक ही अस्पताल में काम किया करते थे. एक-दूसरे को जानते थे. मेरे मां से बात करने के बाद उनका परिवार ख़ुश था."

उत्तरजा देश छोड़ने से पहले अपनी इस नौकरी में दो साल का अनुभव ले लेना चाहती हैं. इसका मतलब है कि वह अपनी शादी के कुछ महीने बाद अपने पति के साथ जाकर बसेंगी.

वो कहती हैं, "यह थोड़ा कठिन हैऔर मैं थोड़ी दुखी हूं. थोड़ा डर भी है. मैं कभी किसी दूसरे देश में नहीं गई हूं लेकिन शादी के लिए मैं काफ़ी उत्सुक हूं."

उत्तरजा को उम्मीद है कि कुवैत में नौकरी पाना उनके लिए आसान होगा. उत्तरा और उत्तामा भी मध्य पूर्व में काम करने वाले युवकों से शादी कर रहीं हैं.

चारों बहनें एक नई शुरुआत करने के लिए उत्साहित हैं. हालांकि इनके भाई उत्तराजन को अभी शादी की कोई जल्दी नहीं है और वो पारिवारिक जीवन शुरू करने से पहले कुछ वर्षों तक विदेश जाकर काम करना चाहते हैं.

पांचों बच्चों के साथ रमा देवी

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घर का नाम रखा था पंचरत्न

चार बहनों और एक भाई के माता-पिता इन पांचों के जन्म पर बहुत ख़ुश हुए और उन्होंने अपने घर का नाम 'पंचरत्न' रखा. पंचरत्न का अर्थ है: पांच रत्नों से बना हुआ.

पांचों बच्चों ने अपनी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन उनका स्वास्थ्य मां-बाप के लिए बहुत बड़ी चिंता थी. रमा देवी याद करती हैं, "वे बहुत कम वजन के साथ पैदा हुए थे और अक्सर बीमार पड़ जाते थे."

उनके पिता प्रेम कुमार और मां रमा देवी ने एकसाथ पांच बच्चों को पालने के लिए बहुत संघर्ष किया और रमा देवी के स्वास्थ्य पर इसका बहुत असर पड़ा.

उनके पास बहुत कम पैसे हुआ करते थे और उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा और पैसा बच्चों की शिक्षा पर लगा दिया.

भारत में परिवारों में लड़के के पैदा होने को अच्छा माना जाता है. कई परिवारों में लड़कों को कई तरह से अहमियत दी जाती है और लड़कियों की तुलना में उनसे अच्छा व्यवहार किया जाता है. लेकिन इन सभी बहनों का कहना है कि उनके माता-पिता ने सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया. बच्चों के लिए एक जैसे कपड़े भी खरीदे, जिसकी वजह से कभी-कभी बहनों के कपड़े आपस में मिल जाते थे.

पिता प्रेम कुमार और मां रमा देवी

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इमेज कैप्शन, पिता प्रेम कुमार और मां रमा देवी

मीडिया और पड़ोसियों ने मदद की

इस परिवार पर दुखों का पहाड़ तब टूटा जब बच्चे केवल नौ साल के थे. उनके पिता एक स्टेशनरी की दुकान चलाते थे, जो परिवार के लिए आय का स्त्रोत थी.

लेकिन उन्होंने व्यवसाय में बहुत बड़ा नुकसान हुआ और उन्होंने साल 2004 में इस सदमे से ख़ुदखुशी कर ली.

परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति जब दुनिया से चला गया तब इस परिवार की कहानी मीडिया ने ख़ूब दिखाई.

सरकार ने इस मामले में सहायता करने के लिए रमा देवी को स्थानीय बैंक में नौकरी दे दी.

वो बताती हैं, "मैंने अपने बच्चों को पालने में अपना पूरा ध्यान लगा दिया. नौकरी के ज़रिए उनके खाने और शिक्षा की व्यवस्था की."

उनके संघर्ष से प्रभावित होकर पड़ोस के एक डॉक्टर ने उन्हें रहने के लिए एक अपना घर दे दिया. रमा देवी कहती हैं, "मुसीबत के समय आप अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं."

सभी बच्चों ने स्कूल में अच्छा प्रदर्शन किया और अपने चुने हुए क्षेत्रों में स्नातक डिग्री ली.

उत्तरा कहती हैं, "हमारी मां बहुत खुश हैं. वह हमेशा चाहती थीं कि हम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनें."

मां के साथ पांचों बच्चे

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'कभी एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे'

यह एक हिंदू परिवार है और उनकी शादी एक प्रसिद्ध मंदिर में कराई जाएगी. शादी में सिर्फ़ करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों को आमंत्रित किया जाएगा.

पत्रकार और फ़ोटोग्राफर्स के आने की भी उम्मीद है.

उत्तरा कहती हैं, "सुर्खियों में होना एक आशीर्वाद की तरह है." पाँच बच्चों का एकसाथ होना बहुत दुर्लभ है और इस वजह से मीडिया ने अक्सर इस परिवार में रुचि ली है.

उनका जन्म, जिस दिन वे स्कूल गए और जिस दिन उनका स्कूल ख़त्म हुआ... ये सब कुछ स्थानीय मीडिया ने कवर किया.

बहनें अब सोच रही हैं कि वो किस तरह से अपनी माँ की मदद कर सकती हैं.

उत्तरा कहती हैं, "जब हम अलग-अलग जगहों पर जाकर रह रहें होंगे तब भी हम हमेशा भावनात्मक रूप से एक-दूसरे के साथ रहेंगे और एक-दूसरे के बारे में सोचे रहे होंगें.''

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