महाराष्ट्र कोई गोवा या मणिपुर नहीं है, हम उन्हें सबक सिखाएंगे: शरद पवार

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महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के तौर-तरीकों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फ़ैसला सुना सकता है.
इस मामले पर रविवार को शुरू हुई सुनवाई सोमवार को जारी रही और कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रखते हुए मंगलवार का दिन मुक़र्रर किया है. सुप्रीम कोर्ट के इस रुख़ के बाद मुंबई में सोमवार को देर रात तक काफी हलचल रही.
मुंबई के ग्रांड हयात होटल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और कांग्रेस ने एक तरह से 'शक्ति प्रदर्शन' करते हुए अपने सभी 162 विधायकों की परेड कराई और ये जताया कि महाराष्ट्र में शासन करने का 'असल जनादेश' उन्हें ही मिला है.
इस मौके पर मौजूद सभी 162 विधायकों ने अपनी पार्टी के प्रति वफ़ादार रहने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल ना होने की सौगंध ली.
इस पर बीजेपी के नेता और पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने कहा, ''हमें पूरा भरोसा है कि हम विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे. होटल में इस तरह की परेड कराने से सदन में बहुमत साबित नहीं हो जाता.''
'सबक सिखाएंगे'

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने कहा कि सभी 162 विधायक उनके साथ हैं, इसलिए अजित पवार को किसी तरह का व्हिप जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा, ''महाराष्ट्र कोई गोवा या मणिपुर नहीं है, हम उन्हें सबक सिखाएंगे.''
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस-कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी ताक़त का अहसास कराना चाहता है.
कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा, ''हम सिर्फ 162 नहीं इससे भी ज्यादा हैं. हम सभी सरकार का हिस्सा होंगे. मैं सोनिया गांधी का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन के लिए मंज़ूरी दी. अब राज्यपाल को चाहिए कि वो सरकार बनाने के लिए हमें आमंत्रित करें.''

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दूसरी ओर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए 5380 करोड़ रूपये के पैकेज की घोषणा की है.
सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक

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महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम, उसमें राज्यपाल की भूमिका और संविधान की कथित अवहेलना का मुद्दा मुंबई से लेकर दिल्ली तक दिनभर गूंजता रहा.
सुप्रीम कोर्ट ने जब ये कह दिया फ़ैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा, बारी आई संसद की जहां शीतकालीन सत्र जारी है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में 'लोकतंत्र की हत्या' की गई है.
कांग्रेस के सांसदों ने महाराष्ट्र में जारी घटनाक्रम को असंवैधानिक बताते हुए लोकसभा में जमकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने कार्यवाही स्थगित कर दी.
इसी तरह राज्यसभा में भी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विरोध जताते हुए बीजेपी विरोधी नारे लगाए जहां सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा.
अब सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर लगी हैं जिसका संसद के भीतर और बाहर असर देखने को मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट में किसने क्या कहा
सोमवार को दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में शिव सेना की ओर से दलील देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुबह 5.17 बजे राष्ट्रपति शासन हटाने की क्या जल्दी थी?
सिब्बल ने कहा, ''ऐसी कौन सी आपातकाल की स्थिति आ गई थी कि देवेंद्र फडणवीस को सुबह आठ बजे शपथ दिलवाई गई. जब ये बहुमत का दावा कर रहे हैं तो इसे साबित करने से क्यों बच रहे हैं.''
राज्यपाल के सचिवालय की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 22 नवंबर को अजित पवार ने चिट्ठी लिखा समर्थन देने की घोषणा की थी. तुषार मेहता ने अजित पवार के समर्थन की चिट्ठी को भी कोर्ट के सामने पेश किया.
'वो हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं'

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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से पैरवी करते हुए मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा कि एनसीपी के 54 विधायक अजित पवार और फडणवीस के साथ हैं.
उन्होंने देवेंद्र फडणवीस की ओर से कहा, "एक पवार उनके साथ हैं, एक पवार हमारे साथ हैं. यह एक पारिवारिक झगड़ा हो सकता है. हम नहीं बल्कि वो हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं. हम 170 विधायकों के समर्थन के साथ राज्यपाल के पास गए और उन्होंने हमारे दावे को स्वीकार किया. लिहाज़ा राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया और मैंने शपथ ली."
मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल की आलोचना की ज़रूरत नहीं थी और बहुमत परीक्षण तो होना ही है.
इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है कि अभी असल सवाल ये है कि मुख्यमंत्री के पास बहुमत है या नहीं और इसके लिए फ्लोर टेस्ट होना चाहिए.
इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट होना ही है लेकिन वो चार दिन में होगा या दस दिन में या पांच दिन में, क्या कोई कोर्ट इस बारे में फैसला ले सकती है?

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मुकुल रोहतगी ने देवेंद्र फडणवीस की ओऱ से कहा कि वे शपथ पत्र दे सकते हैं कि राज्यपाल और बीजेपी ने क़ानून-सम्मत तरीक़े से काम किया है. किसी ने नहीं कहा कि समर्थन की चिट्ठी फ़र्ज़ी है.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम इस अर्ज़ी पर शपथ पत्र दाख़िल करेंगे और अभी अंतरिम आदेश की ज़रूरत नहीं है.
'तो देर किस बात की'

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राज्यपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की और जवाब देने के लिए दो-तीन दिनों का वक़्त मांगा. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने अपने अधिकार के तहत सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौक़ा दिया था.
तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा है कि राज्यपाल को सौंपी गई चिट्ठी में अजित पवार ने ख़ुद को एनसीपी के विधायक दल का नेता बताया है और 54 विधायकों के समर्थन के साथ देवेंद्र फडणवीस को समर्थन देने की बात कही है. इस चिट्ठी के साथ एनसीपी के 54 विधायकों के हस्ताक्षर हैं.
सुप्रीम कोर्ट में 80 मिनट की सुनवाई में सभी पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें दीं. ग़ैर-बीजेपी गठबंधन की ओर से दलील देते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने 48 एनसीपी विधायकों के समर्थन की चिट्ठी दिखाते हुए कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि उनके पास 54 विधायकों का समर्थन है और हमारे पास भी 48 विधायकों का.
उन्होंने कहा, ''क्या सुप्रीम कोर्ट इसकी अनदेखी कर सकता है. जब दोनों ही पक्ष बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं तो देर किस बात की है.''
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