सरकार एनआरसी की त्रुटियों को जल्द ठीक करे: आरएसएस

एनआरसी
    • Author, सलमान रावी
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मानना है कि देश में आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक इसके लाभान्वितों को लगता है कि इससे उन्हें फ़ायदा होगा.

संघ के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने राजस्थान के पुष्कर में आयोजित संघ की तीन दिनों की बैठक के समापन पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं.

उनका कहना था कि संस्था ने संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत को इस बारे में पत्र भी लिखा है.

होसाबले का कहना कि देश में आर्थिक और सामाजिक असमानता है. जब तक ये ठीक नहीं हो जाती, तब तक आरक्षण को जारी रहना चाहिए.

बैठक के दौरान कई अहम राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा भी हुई जिसमें संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सह कार्यवाह भैय्या जी जोशी सहित भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित संघ के विभिन्न संगठनों के प्रमुख शामिल थे.

चाहे वो असम में हुए 'नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स' यानी एनआरसी का मामला हो या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने की बात हो, सभी मुद्दों पर जमकर चर्चा चलती रही.

एनआरसी के मुद्दे पर होसाबले ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में काफ़ी त्रुटियां पाई गई हैं और त्रुटियों को जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए.

हालांकि उन्होंने एनआरसी का स्वागत किया है. एनआरसी की प्रक्रिया पर भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने बैठक में मौजूद लोगों को विस्तृत जानकारी दी. शामिल संगठनों के प्रतिनिधियों ने चिंता जताई और सरकार से हस्तक्षेप करने का सुझाव भी दिया.

वहीं, संघ के राजीव तुली का कहना था कि एनआरसी की प्रक्रिया में लगभग दस लाख बांग्ला भाषी हिंदुओं को बाहर कर दिया गया है. जो चिंता का विषय है. इसलिए इसमें की गई ग़लतियों को जल्द ठीक किया जाना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी 'सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल' को लेकर भी काफ़ी ज़ोर लगा रही थी. लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसक प्रदर्शनों के बाद वो इस मुद्दे से फ़िलहाल थोड़ा पीछे हट रही है.

असम में बैठक

इमेज स्रोत, CMOFFICEASSAM

राजीव तुली के अनुसार कोई भी हिंदू विश्व के किसी भी हिस्से में रहता हो भारत के द्वार उसके लिए खुले हैं. यहाँ वो रह भी सकता है और नागरिकता भी ले सकता है. उनका कहना है कि सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश करना चाह रही थी, लेकिन उस वक़्त मणिपुर, असम और नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों में इसे लेकर काफ़ी हिंसक प्रदर्शन भी हुए और बंद भी बुलाया गया. इस पर अब विचार किया जा रहा है.

जिस तरह से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया उसे लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में भी एक तरह से असमंजस का माहौल है. हालांकि संघ के सूत्रों का कहना है कि इस विषय पर भी बैठक में खुलकर चर्चा की गई.

लेकिन एक तरफ़ जहाँ संघ की बैठक पुष्कर में चल रही थी उसी दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 371 के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी.

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