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कश्मीर में 370 हटाने की संवैधानिक वैधता को चुनौती
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल और अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के फ़ैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
याचिकाकर्ताओं में सबसे प्रमुख नाम हैप्रोफ़ेसर राधा कुमार का, जो जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारत सरकार की ओर से (2010-11 में) वार्ताकार रह चुकी हैं.
भारत प्रशासित कश्मीर के विभिन्न गुटों से बातचीत करने के लिए गृह मंत्रालय ने वार्ताकारों की तीन सदस्यीय बनाई थी. इस समिति में राधा कुमार के साथ पूर्व सूचना आयुक्त एमएम अंसारी और जाने-माने पत्रकार दिलीप पडगांवकर शामिल थे.
दूसरे याचिकाकर्ता हैं हिंदल हैदर तैय्यबजी जो जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं.
इससे पहले वो राज्यपाल एनएन वोहरा के सलाहकार के रूप में भी काम कर चुके हैं.
तीसरे याचिकाकर्ता एयर वाइस मार्शल कपिल काक (सेवानिवृत्त) हैं.
कपिल काक जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी हैं और 35 साल तक भारतीय वायुसेना में काम कर चुके हैं.
भारतीय सेना में अपनी सेवाओं के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल और अति विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया है.
चौथे याचिकाकर्ता मेजर जनरल अशोक कुमार मेहता (सेवानिवृत्त) हैं.
1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में शिरकत कर चुके अशोक कुमार मेहता ने उड़ी, रजौरी के पीर पंजाल, करगिल और लद्दाख में भी लंबे वक्त तक काम किया है.
पांचवें याचिकाकर्ता हैं भारत सरकार के इंटर स्टेट्स काउंसिल में सचिव रह चुके अमिताभ पांडे. ये काउंसिल केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच और दो राज्य सरकारों के बीच बातचीत बढ़ाने और अलग-अलग मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए काम करती है.
छठे याचिकाकर्ता हैं गोपाल कृष्ण पिल्लई जो पूर्व गृह सचिव हैं. अपने 39 साल के लंबे कार्यकाल के दौरान पिल्लई ने पूर्वोत्तर भारत के संवेदनशील इलाकों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत बढ़ाने पर काम किया.
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