4 लाख ही नौकरियां, तो 22 लाख नौकरियां कहां से देंगे राहुल गांधी

    • Author, टीम बीबीसी हिंदी
    • पदनाम, नई दिल्ली

कांग्रेस पार्टी आम चुनाव में बेरोज़गारी को एक बड़ा मुद्दा बना रही है.

यही वजह है कि राहुल गांधी ने 31 मार्च को ट्वीट करके बताया कि मौजूदा समय में सरकार के पास 22 लाख रिक्त पद हैं और अगर उनकी सरकार बनी तो 31 मार्च, 2020 तक वे इन सभी पदों को भरेंगे.

लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी जितने खाली पदों को भरने का वादा कर रहे हैं, उतनी संख्या में नौकरियां हैं कहां?

इसका जवाब कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में दिया है. इसके मुताबिक पहली अप्रैल 2019 तक केंद्र सरकार करीब चार लाख नौकरियां दे सकती हैं.

ऐसे में राहुल गांधी के पास 22 लाख का आंकड़ा कहां से आ रहा है, दरअसल राहुल गांधी जब 22 लाख नौकिरियों की बात कर रहे हैं तो उनमें वो राज्य सरकार की नौकिरियों को भी गिन रहे हैं.

अपने ट्वीट में उन्होंने साफ़ लिखा है कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में आवंटन बढ़ाया जाएगा और इन दो सेक्टर में नौकरियों की खाली जगहों को भरा जाएगा.

पार्टी का चुनावी घोषणापत्र भी इसकी तस्दीक कर रहा है, कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र के मुताबिक स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में आवंटन बढ़ाया जाएगा और राज्य सरकारों से करीब 20 लाख लोगों को नौकरियां मिलेगी.

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बताया कि राज्य सरकारों से अनुरोध करके राज्यों में सेवा मित्र का पद सृजित होगा और इन पदों पर करीब दस लाख लोगों को तैनात किया जाएगा.

लेकिन मौजूदा समय में कांग्रेस शासित राज्यों की संख्या देश भर में बेहद कम हैं- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक के अलावा पुड्डुचेरी में ही राहुल गांधी की पार्टी की सरकार है.

ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू के अलावा वामपंथी शासन वाले केरल और त्रिपुरा को छोड़कर पूरे देश में बीजेपी या बीजेपी की सहयोगियों की सरकार है.

ऐसे में राहुल गांधी अगर केंद्र में सरकार बना भी लेते हैं तो बीजेपी औऱ उनके सहयोगी शासित राज्यों में अपनी नीतियों को कैसे लागू करा पाएंगे, ये सवाल बना रहेगा.

दरअसल मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन ये वादा पूरा नहीं हो पाया.

इसलिए कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है लेकिन उसके सामने भी नई नौकरियों को सृजित करने की चुनौती बनी हुई है.

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