कांग्रेस ने फिर खोली येदियुरप्पा की ‘रिश्वत डायरी’, बीजेपी का पलटवार

    • Author, इमरान कुरैशी
    • पदनाम, बेंगलुरु से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

बीएस येदियुरप्पा की ओर से बीजेपी नेताओं को कथित रूप से 1800 करोड़ रुपये के रिश्वत देने के मामले में कांग्रेस और बीजेपी के बीच फिर से बयानबाज़ी शुरू हो गई है.

मीडिया में आई एक रिपोर्ट के हवाले से लगाए गए कांग्रेस के आरोपों को बीजेपी ने ख़ारिज कर दिया है.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने इन आरोपों को 'आधारहीन, बेमतलब और छवि धूमिल करने वाला' बताया है.

उनके अनुसार, कांग्रेस को एहसास हो गया है कि 2019 का चुनाव शुरू होने से पहले ही वो हार गई है, इसलिए वो ऐसा कर रही है.

उन्होंने धमकी दी है कि अगर आरोप वापस नहीं लिए जाते तो वो मानहानि का मुकदमा करेंगे.

येदियुरप्पा ने कहा, "कांग्रेस पार्टी और इसके नेताओं के पास कोई मुद्दा नहीं है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी पहले ही दस्तावेजों और हस्ताक्षकर की जांच कर चुके हैं और हाथ से लिखा नोट जाली है."

हालांकि कांग्रेस ने एक पत्रिका में छपी रिपोर्ट को मुद्दा बना लिया है और इसकी जांच नवनियुक्त लोकपाल के हाथों कराने की मांग की है.

आरोप क्या हैं?

कारवां मैग्ज़ीन के अनुसार, "कर्नाटक में शीर्ष बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की हाथ से लिखी डायरी की प्रतियां इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास हैं. इसमें बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, केंद्रीय कमेटी और जजों और वकीलों को दिए गए कुल 1800 करोड़ रुपये का ब्योरा दर्ज है."

येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने में मदद करने वाले जिन नेताओं को पैसे दिए जाने का दावा किया गया है, उनमें लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी (50-50 करोड़ रु.) और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (150 करोड़ रु.), राजनाथ सिंह (100 करोड़ रु.), नितिन गडकरी ( 150 करोड़ और बेटे की शादी में 10 करोड़ रु.) का नाम शामिल है.

मैग्ज़ीन की ख़बर के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व के अलावा जिन्हें पैसा दिया गया उनमें निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने 2008 में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने में मदद कर बीजेपी को सत्ता में पहुंचाया.

चूंकि वो बहुमत साबित करने में असफल हो गए थे, इसलिए येदियुरप्पा ने कथित रूप से विधायकों को रिश्वत दी.

मैग्ज़ीन की रिपोर्ट का आधार क्या है?

मैग्ज़ीन ने दावा किया है कि उसकी रिपोर्ट का आधार वो डायरी है जो कांग्रेस के अहम नेता और राज्य में जल संसाधन मंत्री डीके शिव कुमार पर इनकम टैक्स के छापे के दौरान मिली थी.

हालांकि रिपोर्ट में ये साफ़ नहीं है कि डायरी में लेन देन का ब्योरा येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री रहने के दौरान (2008-2011) का है या 17 जनवरी 2009 या इसके बाद का है.

ये कथित दस्तावेज़ डीके शिव कुमार से मिले थे.

इसमें कहा गया कि येदियुरप्पा के एक करीबी और उनके पार्टी सहयोगी केएस ईश्वरप्पा के बीच लड़ाई की वजह से शिव कुमार के पास ये दस्तावेज आए.

पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और केंद्र की बीजेपी सरकार अगस्त 2017 से ही इस डायरी पर चुप्पी साधे बैठी है.

मैग्ज़ीन के अनुसार, "एक वरिष्ठ इनकम टैक्स अधिकारी येदियुरप्पा की डायरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास, बिना हस्ताक्षर वाले एक आवेदन के साथ ले गया था. आवेदन में लिखा गया था कि क्या इसकी जांच ईडी से कराई जानी चाहिए."

2017 की वो रिकॉर्डिंग!

"लेकिन जेटली ने, जिनका नाम खुद उस डायरी में कथित रूप से 150 करोड़ रुपये पाने वालों की सूची में था, इस मामले में कुछ न करना ही बेहतर समझा."

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2004 से 2013 के बीच जेटली कर्नाटक बीजेपी के इनचार्ज थे और इस दौरान हुए चुनावों के समय वो प्रदेश इकाई को देखते थे.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फ़रवरी 2017 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में येदियुरप्पा को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार से ये कहते सुना गया कि उन्होंने दिल्ली में नेताओं को भी पैसे दे दिये थे. एक स्थानीय टीवी चैनल के कैमरे में ये रिकॉर्ड हो गई क्योंकि ये बात स्टेज पर हो रही थी.

उस समय कांग्रेस ने सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ बीजेपी के उस प्रचार का काउंटर करने के लिए इस्तेमाल किया जिसमें कहा जा रहा था कि सिद्धारमैया ने कांग्रेस हाई कमान को 1,000 करोड़ रुपये भेजे थे.

सिद्धारमैया ने इस रिकॉर्डिंग को फॉरेंसिक लैबोरेटरी एफ़एसएल भेजा, जिसमें इसकी पुष्टि हुई कि ये आवाज़ अनंत कुमार और येदियुरप्पा की ही है.

इनकम टैक्स डिपार्टमें का क्या कहना है?

दिलचस्प है कि कारवां मैग्ज़ीन ने 'द येद्दी डायरीज़' की तारीख़ 22 मार्च की है जबकि इनकम टैक्स विभाग ने 20 मार्च को ही एक बयान जारी कर कहा था कि उसने 25 नवंबर 2017 को येदियुरप्पा से पूछताछ की थी.

येदियुरप्पा ने आईटी डिपार्टमेंट को बताया कि उन्हें डायरी लिखने की आदत नहीं है और ये साजिश है. उनकी हैंडराइटिंग को एफ़एसएल भेजा गया लेकिन उन्होंने मूल कॉपी की मांग की जोकि उपलब्ध नहीं थी.

बयान में कहा गया है कि "अलग से मिले ये पन्ने प्रथम दृष्टया संदिग्ध लग रहे हैं और ये ऐसे व्यक्ति ने दिए हैं जिस पर खुद इनकम टैक्स का छापा पड़ा था."

ये मामला तब फिर से गरमाया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सैम पित्रोदा के बयान को लेकर ट्वीट किया, "विपक्ष बार बार हमारे जवानों का अपमान कर रहा है. मैं देश वासियों से अपील करता हूं कि वो विपक्ष से उनके बयानों पर सवाल पूछें. उन्हें बताएं कि 130 करोड़ भारतीय विपक्ष को उनके सवालों के लिए कभी नहीं माफ़ करेंगे या भूलेंगे. भारत अपने सुरक्षाबलों के साथ मज़बूती से खड़ा है."

पित्रोदा ने कहा था, "मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स और अन्य अख़बारों में जो पढ़ा, उससे पता चलता है कि हमने 300 लोगों को मार गिराया था. "

लोकसभा के चुनाव की घोषणा हो चुकी है और इस आरोप प्रत्यारोप से ऐसा लगता है कि दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दल अपनी रणनीति के हिसाब से माहौल बनाने की कोशिश में हैं.

बीजेपी अपने एजेंडा में राष्ट्रवाद को सबसे ऊपर रख कर चल रही है.

जबकि कांग्रेस 'चौकीदार चोर है' की धारणा को लोकप्रिय बनाने की कोशिश में जुटी है.

राजनीतिक विश्लेषक और जैन विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉ संदीप शास्त्री कहते हैं, "इस चुनाव में हम दो तरह की धारणाएं देख रहे हैं. दोनों राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही हैं लेकिन बीजेपी और कांग्रेस और स्थानीय पार्टियां उन्हें अपने अपने तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं. ये बिना जाने की कौन की धारणा जनता को पसंद आएगी, धारणा के स्तर पर एक लड़ाई लड़ी जा रही है."

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