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कश्मीरी युवाओं का चरमपंथी बनना बीजेपी-पीडीपी की नाकामी: असदुद्दीन ओवैसी
- Author, गुरप्रीत सैनी
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के पाकिस्तान से भारत लौटने के बाद से बीजेपी इसे अपनी सरकार की विदेश नीति की सफ़लता के रूप में दिखा रही है.
लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दल कश्मीर में अस्थिरता और तनाव के माहौल में राजनीतिक प्रचार करने के लिए बीजेपी को आड़े हाथों ले रहे हैं.
AIMIM के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है.
हैदराबाद में अपनी पार्टी के 61वें स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने कहा है कि अगर कोई सियासी पार्टी हिंदुस्तान के बहादुर सिपाहियों की कुर्बानियों पर राजनीति करेगी तो वह इसका कड़ा विरोध करेंगे.
इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर भी तंज कसते हुए कहा कि इमरान ख़ान कहते हैं कि उनके पास एटम बम है, तो क्या हिंदुस्तान के पास नहीं है और वह जैश-ए-शैतान और लश्कर-ए-शैतान को ख़त्म करें.
बीबीसी हिंदी ने पुलवामा हमले के बाद बिगड़े भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर होती राजनीति पर असदुद्दीन ओवैसी के साथ ख़ास बातचीत की.
सवालः जैश का नाम क्यों नहीं लेते इमरान ख़ान?
पाकिस्तान में चरमपंथ को लेकर पाक सरकार का रुख बेहद ही सेलेक्टिव है.
क्योंकि उनके विदेश मंत्री ने खुद एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि उनके पास मसूद अज़हर हैं और वह काफ़ी बीमार हैं.
इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि उन्हें गिरफ़्तार क्यों नहीं किया जाता तो उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कार्रवाई करने लायक सबूत दिया जाएगा तो वह उस पर कार्रवाई करेंगे.
वो ये नहीं कहते हैं कि मसूद अज़हर के संगठन पर यूनाइटेड नेशंस ने पाबंदी लगाई है जो कि अपने आप में एक बड़ा सबूत है.
लश्कर-ए-तैयबा के चीफ़ हाफ़िज सईद के सिर पर ईनाम है. उनके संगठन पर भी यूएन ने प्रतिबंध लगाया हुआ है.
और मुंबई हमले में उनका रोल साबित हो चुका है. इसके अलावा वहां पर लखवी भी है.
ऐसे में अगर इमरान ख़ान को ये सब कुछ नज़र नहीं आता है तो ये ताज्जुब की बात नहीं है.
बल्कि, इससे साफ़ पता चलता है कि वह इनकी हिफ़ाज़त करते हैं.
सवालः पुलवामा हमले की क्या वजहें रहीं?
पुलवामा हमले की बात करें तो इस आत्मघाती धमाके से जुड़े एक वीडियो में हमलावर ने स्वीकार किया है कि वह किस चरमपंथी संगठन से जुड़ा हुआ था.
ऐसे में प्रधानमंत्री को ये सोचना चाहिए कि इतनी बड़ी मात्रा में आरडीएक्स वहां पर कैसे पहुंचा और इसका ज़िम्मेदार कौन है?
इसके बाद हमले के लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.
लेकिन ये हमला एक सियासी नाकामी भी है क्योंकि फ़िलहाल वहां पर गवर्नर रूल है. इससे पहले बीजेपी और पीडीपी की सरकार थी जिसने किसी तरह की गवर्नेंस नहीं की.
अगर ये सरकार काम करती तो घाटी के युवा इतनी बड़ी तादाद में चरमपंथ की ओर न बढ़ते.
सवालः मसूद अज़हर को क्यों बचाता है चीन?
ये भारत की कूटनीतिक विफलता है. क्योंकि चीन मौलाना मसूद अज़हर को ब्लैक लिस्ट किए जाने के लिए तैयार नहीं हो रहा है.
जबकि भारत ने वुहान सम्मेलन में हिस्सा लिया.
चीनी राष्ट्रपति के भारत आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अहमदाबाद में झूला भी झुला दिया लेकिन इसके बाद भी कोई बात नहीं बनी.
सवालः मुख्यधारा में कैसे आएं कश्मीरी युवा?
कश्मीर में युवाओं को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं.
इसमें सबसे पहली बात ये है कि वहां पर प्रशासन को दुरुस्त किया जाए. जब पैलट गन का इस्तेमाल किया गया और कई युवाओं के आंखों की रोशनी चली गई तब मैं कश्मीर गया था.
मुझे अच्छी तरह याद है कि जब राजनाथ सिंह के साथ एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल कश्मीर गया था तो अलग-अलग दलों के राजनेताओं ने अपनी-अपनी राय पेश की. उस वक्त मैंने भी अपनी ओर से 11-12 पॉइंट दिए थे.
मगर अफ़सोस कि हमारी राय किस कोने में धूल खा रही हैं, ये मुझे आज तक नहीं पता.
ये बहुत ज़रूरी है कि वहां की सरकार युवाओं में अपने प्रति भरोसा पैदा करे और उन्हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश करे.
सवालः क्या वर्तमान हालातों में पाकिस्तान के साथ बातचीत संभव है?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान लगातार बातचीत करने की बात करते हैं. लेकिन जब तक इमरान ख़ान मुंबई हमले के दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करते तब तक दोनों देशों के बीच संबंध कैसे बेहतर हो सकते हैं?
इसके बाद मसूद अज़हर का संगठन लगातार हिंदुस्तान में दहशतगर्दी को बढ़ावा देने की बात करता है.
भारत सरकार का रुख़ भी यही है कि जब तक पाकिस्तान दहशतगर्दी के ख़िलाफ़ क़दम नहीं उठाता है तब तक दोनों मुल्कों के बीच कोई बात नहीं हो सकती.
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