कश्मीर में हिमस्खलन: 'अपने सामने दो लोगों को बर्फ़ में दफ़न होते देखा'

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- Author, माजिद जहांगीर
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए, कश्मीर से
"हम चार लोग एक साथ थे. शाम के 5.30 बज रहे थे. तभी हमारे पोस्ट से बर्फ़ का एक बड़ा टुकड़ा टकराया. हम सभी एक ही कमरे में नीचे दब गये. परवेज़ अहमद, शिराज़ अहमद के साथ एक और शख़्स था. वो जम्मू से था. मैं जम्मू वाले उस शख़्स के साथ किसी तरह दूसरे कमरे में जाने में कामयाब रहा. वो दोनों लंगर (किचन) में फंस गये. हम बच गये. मैंने दूसरे कमरे का दरवाज़ा तोड़ा और फिर हमने आवाज़ लगाई."
ये उस पुलिसकर्मी गुलज़ार अहमद ने बताया जो हिमस्खलन के बाद नीचे दबे हुए थे और बचाव दल उन्हें जीवित बाहर निकालने में कामयाब रहा.

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गुरुवार की शाम को 300 किलोमीटर लंबे श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर जवाहर सुरंग के पास स्थित पुलिस पोस्ट में 10 लोग हिमस्खलन की चपेट में आ गये थे.
इनमें आठ पुलिसकर्मी और दो क़ैदी शामिल थे.

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हिमस्खलन वाले इलाके पर पहुंचे एक स्थानीय मीडियाकर्मी खुर्शीद आलम ने बीबीसी को बताया कि वहां बेहद दर्दनाक मंजर था.
उन्होंने बताया, "शुक्रवार को मैं घटनास्थल पर पहुंचा. राहतकर्मी लोगों की तलाश में जुटे थे. मेरे सामने ही दो शवों को निकाला गया. यह बेहद दर्दनाक था. राहतकर्मियों ने बर्फ़ में फंसे दो पुलिसवालों को जीवित बचा लिया था और उन्हें ले जा रहे थे."
ख़ुर्शीद आलम ने बताया, "शवों को देखकर ऐसा लग रहा था कि मौत से पहले जीवित बचने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया था."
जवाहर टनल के पास हिमस्खलन की चपेट में आए पुलिस पोस्ट से बाद चल रहे बचाव अभियान में शनिवार को एक और शव बरामद हुआ. इससे अब इस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है.
राहत और बचाव दल बर्फ़ में दबे दो लोगों को जीवित निकालने में कामयाब रहे.

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अनंतनाग के पुलिस उपायुक्त मोहम्मद यूनिस मलिक ने बचाव अभियान के बारे में बीबीसी को बताया, "हमने पोस्ट के हिमस्खलन की चपेट में आने के तुरंत बाद ही बचाव अभियान शुरू कर दिया था. पुलिस, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल प्रशासन, अग्निशमन और आपातकालीन सेवा के साथ स्थानीय स्वयंसेवी खोज और बचाव अभियान में शामिल थे."
उन्होंने बताया, "शुक्रवार शाम तक हमने सात शव बरामद किए थे और दो लोगों को जीवित बचा लिया था. एक की तलाश जारी थी जिसका शव शनिवार की सुबह बरामद किया गया. अब ऑपरेशन बंद कर दिया गया है."
जवाहर टनल के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग के रामसू-रामबन सेक्टर में भूस्खलन से दो और लोगों की मौत हो गई थी.

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इसके अलावा, शनिवार को उत्तर कश्मीर में सोपोर इलाके में छत से भारी बर्फ फिसल कर गिरने से एक सात वर्षीय बच्चे की इसकी चपेट में आने से मौत हो गई.
इस साल बर्फ़बारी का सबसे बड़ा क़हर देखा जा रहा है और अब तक इसमें 14 लोगों की जानें गई हैं.
शुक्रवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में दो अलग-अलग हिमस्खलन में एक दंपती और एक शख़्स जीवित दफ़न हो गए.

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पहले भी हुई ऐसी बर्फ़बारी
इन दिनों भारी बर्फ़बारी की वजह से जवाहर टनल को बंद किया गया है. पहले भी कई बार इसे बर्फ़बारी की वजह से बंद किया जा चुका है.
1995 में ऐसे ही एक हिमस्खलन के दौरान कई लोगों की जानें गई थीं. तब भी इस रास्ते को बंद किया गया था.
लेकिन बर्फ़बारी का सबसे बड़ा क़हर साल 2005 में देखने को मिला. तब कुलगाम ज़िले में जवाहर टनल के पास वालटेंगु नार में हिमस्खलन की वजह से क़रीब 200 लोगों की मौत हुई थी.
गुरुवार को कश्मीर घाटी में सबसे अधिक बर्फ़बारी हुई. श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर बर्फ़बारी और भूस्खलन के मलबे की वजह से लगाचार चौथे दिन भी यातायात बंद रखा गया है.
रोज़मर्रा की ज़रूरतों की चीज़ों से भरे क़रीब दो हज़ार ट्रक पिछले चार दिनों से इस राजमार्ग पर जगह-जगह फंसे हुए हैं.
कश्मीर के स्थानीय प्रशासन ने कई ज़िलों के लिए हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है.
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