मेघालय: 17 दिन बाद 15 मज़दूरों को नहीं तलाश पाए नौसेना के गोताख़ोर

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

    • Author, दिलीप कुमार शर्मा
    • पदनाम, मेघालय के लुमथरी गांव से, बीबीसी हिंदी के लिए

मेघालय की लुमथरी की कोयला खदान में 15 मज़दूरों को निकालने पहुंची भारतीय नौसेना के स्पेशल गोताखोरों की टीम ने 15 दिन बाद अपना अभियान शुरू किया.

ये मजदूर 13 दिसंबर से कोयला खदान में फंसे हुए हैं.

नए उपकरणों का इंतज़ार कर रही नौसेना और एनडीआरएफ़ की टीमों ने 29 दिसंबर को बचाव अभियान शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन खदान का मुआयना कर के वापस लौट आई.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

इसके बाद रविवार को नौसेना के दो गोताखोरों ने खदान में 70 फ़ीट तक भीतर तक जा कर खोजबीन की लेकिन लापता मज़दूरों के संबंध में कोई सुराग उनके हाथ नहीं लगा.

शाम को छह बजे के आसपास नौसेना के दोनों गोताखोर और एनडीआरएफ़ की टीम लौट आई.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

एनडीआरएफ़ के सहायक कमांडेंट संतोष कुमार सिंह ने बीबीसी को बताया कि खदान में 100 फीट तक पानी भरा हुआ है और इस कारण वो खदान की ज़मीन तक नहीं पहुंच पाए हैं, मात्र 70 फीट तक ही जा पाए. उनका कहना है कि बचाव कार्य अब सोमवार को फिर से चलाया जाएगा.

पहले अनुमान ये लगाया जा रहा था कि 70 फीट तक ही पानी है लेकिन दो-ढाई घंटे के बाद गोताखोर खदान से बाहर निकल आए.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

कोयला खदान में फंसे मज़दूरों को निकालने के काम में मदद के लिए ओडिशा से तूफ़ान प्रभावित जगहों पर काम करने वाली ख़ास फायर ब्रिगेड की टीम को भी बुलाया गया है.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

खदान में फंसे मज़दूरों के परिजनों को शनिवार तक ये उम्मीद थी कि नौसेना के गोताख़ोर कुछ नतीजे तक पहुचेंगे. लेकिन उनके चेहरों पर उदासी साफ देखी जा सकती है.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

अभियान में जो सबसे बड़ी कमी दिख रही है वो ये है कि बचाव कार्य के लिए कई एजेंसियां तो वहां हैं लेकिन उनमें तालमेल की कमी दिख रही है.

ईस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले के साइपुंग क्षेत्र में जिस कोयले की खदान में ये हादसा हुआ है वहां पहुंचना आसान नहीं है.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

ये इलाक़ा सड़क मार्ग से कटा हुआ है. मेघालय के जुवाई-बदरपुर नेशनल हाईवे से होते हुए खलिरियाट तक पहुँचा जा सकता है.

खलिरियाट से करीब 35 किलोमीटर अंदर गाड़ी से पहुंचने के बाद बाकी का चार किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है.

पहाड़ और जंगलों के बीच टूटी-फूटी कच्ची सड़कें और तीन नदियों को पार करने के बाद अप कोयला खदान तक पहुंच सकते हैं.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

ना तो यहां बिजली है, ना सड़क है. एजेंसियां अपनी तरफ से यहां तैयार होकर पहुंच रही हैं लेकिन मौक़े पर पहुंचने के बाद उनके पास कुछ ना कुछ कमी दिख रही है.

वहां के स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी अब तक रस्सियों और नट-बोल्ट जैसी चीज़ों के इंतज़ाम में लगे हुए थे. इसे देखने पर लगता है कि योजनाबद्ध तरीके से काम करने की कमी का असर बचाव कार्य पर पड़ रहा है.

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

मेघालय के लुमथरी में कोयला खदान, बचाव कार्य

इमेज स्रोत, Dilip Sharma/BBC

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)