पुरुष नेताओं ने कब-कब दिए महिलाओं पर विवादित बयान

    • Author, वंदना
    • पदनाम, बीबीसी टीवी संपादक, भारतीय भाषाएँ

पिछले दिनों मौक़ा तो राजस्थान में चुनावी सभा का था लेकिन बातों-बातों में जनता दल (यू) के नेता शरद यादव कुछ ऐसा बोल गए, "वसुंधरा को आराम दो, बहुत थक गई हैं. बहुत मोटी हो गई है, पहले पतली थी. हमारे मध्य प्रदेश की बेटी है."

शरद यादव के लफ़्ज़ों में कहें तो ये सिर्फ़ मज़ाक भर था पर वसंधुरा राजे ने कड़ा एतराज़ जताते हुए कहा कि वे इस बयान से अपमानित महसूस कर रही हैं. शरद यादव की कमान से ऐसा तीर पहली बार नहीं निकला है.

वज़न का घटना-बढ़ना एक स्वभाविक सी बात है लेकिन क्या पुरुष राजनेताओं के मोटे होने पर इस तरह के सार्वजनिक बयान दिए जाते हैं ?

बात सिर्फ़ वज़न की नहीं , अपने पहनावे, अपने रूप रंग या बर्ताव को लेकर भी अकसर महिलाएँ और महिला राजनेता पुरुष नेताओं के हाथों अश्लील, अभद्र और तौहीन भरी टिप्पणओं की शिकार होती रही हैं.

परकटी महिलाएँ

शुरुआत अगर शरद यादव से ही करें तो उन्हें जैसे इसमें महारत हासिल है. ये शरद यादव ही थे जिन्होंने जून 1997 में संसद में महिला आरक्षण बिल पर बहस में कहा था, "इस बिल से सिर्फ़ पर-कटी औरतों को फ़ायदा पहुंचेगा. परकटी शहरी महिलाएँ हमारी (ग्रामीण महिलाओं) का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगी."

20 साल बाद 2017 में उनका बयान कुछ यूँ था, "वोट की इज़्ज़त आपकी बेटी की इज़्ज़त से ज़्यादा बड़ी होती है. अगर बेटी की इज़्ज़त गई तो सिर्फ़ गांव और मोहल्ले की इज़्ज़त जाएगी लेकिन अगर वोट एक बार बिक गया तो देश और सूबे की इज़्ज़त चली जाएगी.'

इतना ही नहीं शरद यादव संसद में औरतों के रंग और शरीर की बनावट पर कटाक्ष करने से नहीं चूके. उनका बयान था, "दक्षिण की महिला जितनी खूबसूरत होती है.. जितना उसकी बॉडी देखने में ( हाथ से शरीर की बनावट बताते हुए)..वो नृत्य जानती है..मैं तो उनकी ख़ूबसूरती की तारीफ़ कर रहा हूँ ( इस बीच सांसदों के ठहाके सुने जा सकते हैं.)"

वैसे इन तमाम बयानों के बीच यह बताते चलें कि शरद यादव को सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवॉर्ड मिल चुका है.

50 करोड़ की गर्लफ़्रेंड

चुनावी रैलियों में अकसर राजनीतिक बयानबाज़ी में महिलाओं को निशाना बनाया जाता रहा है.

2012 में जब नरेंद्र मोदी चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे तो शशि थरूर की पत्नी सुनंदा थरूर के बारे में उन्होंने कहा था, ''वाह क्या गर्लफ़्रेंड है. आपने कभी देखी है 50 करोड़ की गर्लफ़्रेंड?''

पलटवार करते हुए शशि थरूर ने ट्विटर पर लिखा था, "मोदी जी मेरी पत्नी 50 करोड़ की नहीं बल्कि अनमोल है, लेकिन आप को यह समझ में नहीं आएगा क्योंकि आप किसी के प्यार के लायक नहीं हैं.

डेंटेड-पेंटेड महिलाएँ

2012 में दिसंबर गैंगरेप के बाद दिल्ली में औरतों ने बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन किया था. लेकिन इन प्रदर्शनों पर भी राजनेता टिप्पणी करने से नहीं चूके.

पश्चिम बंगाल के जांगीपुर से कांग्रेस सांसद अभिजीत मुखर्जी ने कथित रूप से कहा था, "दिल्ली में 23-वर्षीय युवती के साथ बलात्कार के विरोध में प्रदर्शनों में हिस्सा ले रही छात्राएं 'सजी-संवरी महिलाएं हैं जिन्हें असलियत के बारे में कुछ नहीं पता.''

साथ ही उन्होंने कहा था, ''हाथ में मोमबत्ती जला कर सड़कों पर आना फ़ैशन बन गया है. ये सजी संवरी महिलाएं पहले डिस्कोथेक में गईं और फिर इस गैंगरेप के ख़िलाफ़ विरोध दिखाने इंडिया गेट पर पहुंची."

हालांकि इसके बाद अभिजीत मुखर्जी ने अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांग ली थी.

रेणुका चौधरी की हँसी और शूर्पणखा

हाल की बात करें तो 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में आधार पर बयान दे रहे थे.

इसी दौरान कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगीं. मुस्कुराते हुए मोदी बोले, "सभापति जी रेणुका जी को आप कुछ मत कहिए रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का आज सौभाग्य मिला है."

बाद में केंद्र सरकार में राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने फ़ेसबुक पर एक वीडियो शेयर कर रेणुका चौधरी की हंसी की तुलना रामायण के किरदार शूर्पणखा से कर डाली.

इसके बाद भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने रामायण में शूर्पणखा की नाक काटे जाने का दृश्य भी ट्विटर पर शेयर किया.

'फ़िल्मों में नाचनेवाली'

'फ़िल्मों में नाचने वाली'- भाजपा नेता नरेश अग्रवाल ने अभिनेत्री और सासंद जया बच्चन के लिए यही शब्द इस्तेमाल किए थे.

इन्हीं जया बच्चन को सिनेमा में योगदान के लिए पदमश्री मिल चुका है. अभिमान, हज़ार चौरासी की माँ, कोशिश, कोरा काग़ज़ जैसी फ़िल्मों में बेहतरीन अभिनय के लिए और भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं.

लेकिन जब 2018 में जया बच्चन को समाजवादी पार्टी की ओर से राज्य सभा में फिर से नामांकित किया गया तो नरेश अग्रवाल ने जया बच्चन को 'फिल्मों में नाचने वाली' बताया.

जिस समय अग्रवाल ने ये बयान दिया था तो उनका कार्यकाल खत्म हो रहा था जबकि समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन को एक बार फिर राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया था.

'टीवी पे ठुमके लगाती थी'

जया बच्चन अकेली अभिनेत्री और सांसद नहीं है जिन्हें लेकर आपत्तिजनक बयान दिया गया हो.

2012 में गुजरात चुनावों के नतीजों पर चल रही एक टीवी बहस के दौरान काँग्रेस सांसद संजय निरुपम ने स्मृति ईरानी को कहा था, "कल तक आप पैसे के लिए ठुमके लगा रही थीं और आज आप राजनीति सिखा रही हैं."

बाद में आलोचना होने पर संजय निरुपम ने सफ़ाई देते हुए कहा था कि लोग केवल एक टिप्पणी को ना देखें और अगर संदर्भ समझना हो तो पूरा कार्यक्रम देखें.

'बलात्कार कराने का पैसा'

महिला राजनेताओं पर अभद्र टिप्णपियाँ करने वाले नेताओं में हर पार्टी के लोग शामिल हैं.

2012 में एक चुनावी रैली चल रही थी तो सीपीआईएम नेता अनिसुर रहमान महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचार पर बात कर रहे थे.

उनका बयान था कि प्रताड़ित महिलाओं को शायद न्याय नहीं मिलेगा क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बलात्कार की कीमत तय की हुई है.

उनका कहना था, ''हम ममता दी से पूछना चाहते हैं उन्हें कितना मुआवजा चाहिए. बलात्कार के लिए कितना पैसा लेंगी?''

महिलाओं पर विवादित बयानों की ये फ़ेहरिस्त लंबी है.. मसलन मुलायम सिंह का बलात्कार पर बयान कि 'लड़कों से ग़लती हो जाती है और इसके लिए उन्हें मौत की सज़ा नहीं देना चाहिए' या सांसद साक्षी महाराज की टिप्पणी कि हिंदू महिलाओं को अपने धर्म की रक्षा करने के लिए 'कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए.'

ऐसे बयानों के बावजूद अकसर ये राजनेता हल्की फुल्की फ़टकार के बाद बच निकलते हैं. ये बयान कभी महिलाओं की बॉडी शेमिंग करते नज़र आते हैं तो कभी बलात्कार जैसे गंभीर अपराध को मामूली बताने की कोशिश और साथ ही ये संदेश भी जाता है कि महिलाओं के बारे में हल्के और आपत्तिजनक बयान देना सामान्य बात है.

जब बयानबाज़ी के लिए मिली सज़ा

ऐसा नहीं है कि दूसरे देशों में ऐसा नहीं होता. जैसे 2017 में ब्रिटेन के एक पार्षद के बयान पर अच्छा खासा बवाल मचा था.

पार्षद ने सांसद का चुनाव लड़ रही एक गर्भवती महिला राजनेता के बारे में कह दिया था, "वो गर्भवती हैं और उनका समय तो नैपी बदलने में ही बीत जाएगा, वो आम लोगों की आवाज़ क्या उठाएंगी." इसके लिए पार्षद को माफ़ी माँगनी पड़ी.

ब्रिटेन जैसे कई देशों में अकसर ऐसे बयानों पर कार्रवाई होती है. मिसाल के तौर पर 2017 में यूरोपियन संसद के एक सांसद ने बयान दिया था कि महिलाओं को कम पैसा मिलना चाहिए क्योंकि वो कमज़ोर, छोटी और कम बुद्धिमान होती हैं.

इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था और उन्हें मिलने वाला भत्ता भी बंद हो गया था. हालांकि बाद में यूरोपीयन कोर्ट ने कहा था कि इतनी कड़ी सज़ा की ज़रूरत नहीं थी.

जब जेंडर को लेकर इस तरह की संवेदनशीलता हो तो देश की राजनीति में, संसद में और नीतियों में भी इसकी झलक दिखती है फिर वो ऑस्ट्रेलिया या आईसलैंड जैसे देशों के संसद में बच्चों को स्तनपान कराने के अधिकार से लेकर बलात्कार पर गंभीर बहस जैसे मुद्दे हों.

या फिर स्पेन में इस साल नई सरकार का गठन जहाँ 17 में से 11 मंत्री महिला थीं.

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