जम्मू: कठुआ बलात्कार-हत्या मामला फिर से विवादों में क्यों है?

दीपिका राजावत और तालिब हुसैन

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इमेज कैप्शन, दीपिका राजावत वकील हैं और तालिब हुसैन सामजिक कार्यकर्ता
    • Author, माजिद जहांगीर
    • पदनाम, श्रीनगर से, बीबीसी हिंदी के लिए
  • कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में पीड़िता के पिता ने महिला वकील दीपिका राजावत को केस से अलग कर दिया है.
  • घटना के बाद दीपिका राजावत पीड़िता की वकील रही हैं.
  • बुधवार को पीड़िता के पिता ने पठानकोट की ट्रायल अदालत में एक याचिका दायर कर दीपिका राजावत को केस से हटा दिया.
  • पीड़िता के पिता ने अपनी याचिका में बताया है कि दीपिका राजावत सिर्फ़ दो बार अदालत में हाज़िर हुई हैं.

जम्मू के कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में दो प्रमुख चेहरे वकील दीपिका राजावत और कार्यकर्ता तालिब हुसैन चर्चा में रहे हैं. घटना के बाद दोनों की भूमिका को काफ़ी सराहा गया.

वहीं, दोनों पर अब अलग-अलग आरोप लग रहे हैं और दोनों पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

तालिब हुसैन कठुआ की घटना के बाद प्रदर्शनों के ज़रिए इस मुद्दे को उठाते रहे. वहीं, दीपिका राजावत ने क़ानूनी लड़ाई के ज़रिए इस मुद्दे को आगे बढ़ाया.

पीड़िता के एक और वकील मुबीन फ़ारूक़ी के मुताबिक़, पठानकोट की ट्रायल अदालत में पीड़िता की तरफ से अभी इस केस की पैरवी दो सरकारी प्रॉसिक्यूटर्स के अलावा क़रीब छह वकील कर रहे हैं.

फ़ारूक़ी ने बताया, "इस केस में नियुक्त किए गए दो सरकारी वकील हैं. उनको असिस्ट करने के लिए मैं, केके पुरी, हरभजन सिंह, पंकज तिवारी, पंकज शर्मा और इसके अलावाऔर भी तीन-चार वकील हैं. अभी ये मामला बहुत ही अच्छे तरीक़े से चल रहा है."

दीपिका राजावत को हटाने के लिए दी गई एप्लिकेशन

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इमेज कैप्शन, दीपिका राजावत को हटाने के लिए दी गई एप्लिकेशन

अब दोनों पर क्यों उठ रही उंगली?

दीपिका राजावत को जहां पीड़िता के पिता ने अपने केस से हटा दिया है. वहीं, तालिब हुसैन पर बलात्कार जैसे संगीन आरोप लगे हैं.

बीते बुधवार को पीड़िता के पिता ने पठानकोट की ट्रायल कोर्ट में एक एप्लीकेशन देकर दीपिका राजावत को केस से अलग कर दिया है. दीपिका राजावत इस केस में बच्ची को इंसाफ़ दिलाने की एक पहचान बन गई थीं.

पिता ने अपनी एप्लीकेशन में बताया है कि दीपिका राजावत के हवाले से बार-बार मीडिया में ये ख़बरें आ रहीं हैं कि उनकी जान को ख़तरा है और वो अब तक सिर्फ़ दो बार अदालत में हाज़िर हुई हैं.

पिता ने बताया कि दीपिका के ख़तरों और अदालत में सिर्फ़ दो बार आने को देखते हुए अब दीपिका उनके केस की वकील नहीं हैं.

हालाँकि, दोनों ही उठने वाले सवालों और आरोपों को उनके ख़िलाफ़ की जाने वाली साज़िश बता रहे हैं.

तालिब हुसैन पर तीन महीने पहले अपनी एक क़रीबी रिश्तेदार ने ये आरोप लगाया था कि हुसैन ने उनका बलात्कार किया. इस आरोप के बाद हुसैन क़रीब ढाई महीने तक जेल में रहे और कुछ दिन पहले ज़मानत पर रिहा हो गए हैं.

तालिब हुसैन

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इमेज कैप्शन, तालिब पर जेएनयू की छात्रा ने रेप का आरोप लगाया है

जेएनयू छात्रा ने भी लगाया आरोप

तालिब पर दूसरा आरोप जेएनयू की एक छात्रा ने लगाया है. एक न्यूज़ वेबसाइट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, जेएनयू की एक छात्र ने आरोप लगाया है कि कठुआ बलात्कार और हत्या मामले में पेश होने वाला शख़्स जो अभी ज़मानत पर जेल से बाहर आया है उसने उनका बलात्कार किया.

इसी साल जनवरी में कठुआ के रसना इलाक़े, में मुस्लिम बकरवाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली एक आठ साल की बच्ची का पहले अपहरण हुआ था. अपहरण के सात दिन बाद बच्ची की लाश इलाक़े के एक जंगल के पास मिली थी.

पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपने आरोपपत्र में दावा किया था कि पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद बच्ची की हत्या की गयी थी. आरोपपत्र में ये भी कहा गया था कि बलात्कार और हत्या के बाद पीड़िता को नशीली दवाएं खिलाई गई थीं और जिसके बाद बच्ची को इलाक़े के एक मंदिर में बंधक बनाया गया था।

पुलिस ने इस मामले में आठ लोगों को ग़िरफ़्तार किया है जो अब जेल में हैं. क्राइम ब्रांच ने कहा था कि इस पूरी साज़िश के मास्टरमाइंड सांझी राम थे. सांझी राम को भी ग़िरफ़्तार किया गया था.

इस मामले का ट्रायल अभी पंजाब के पठानकोट में 31 मई से चल रहा है. इसी साल अप्रैल में पहले मामले की सुनवाई कठुआ की एक अदालत में शुरू हुई थी. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केस को पठानकोट ट्रांसफर किया गया.

पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत
इमेज कैप्शन, दीपिका सिंह राजावत को पीड़िता का वकील नियुक्त किया गया था

क्या कहती हैं दीपिका

दीपिका राजावत ने बीबीसी के साथ बातचीत में बताया कि ये सब उनके ख़िलाफ़ एक साज़िश है और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है.

उनका कहना है, "अगर मुझे केस से पीड़िता के पिता को अलग करना ही थी तो कम से कम एक बार मुझसे पूछ लेते. ये तो मेरे ख़िलाफ़ एक साज़िश है. कुछ वकीलों ने मिलकर ऐसा करने को कहा है. मेरे पास रिकॉर्डिंग है, जो इस बात को साबित करती है कि मेरे ख़िलाफ़ साज़िश रची गई. हालाँकि, सबूत के बग़ैर मैं किसी का नाम नहीं ले सकती हूँ. अब समझा जा रहा है कि केस आख़िरी स्टेज पर पहुंच गया है तो अब क्रेडिट लेने की दौड़ में सब आगे आ रहे हैं.

"क्या मुझे केस को खा जाना था. मुझे ये नुकसान हुआ कि अब ये समझा जा रहा है कि जिस वकील ने अवॉर्ड लिए, जिस वकील को शौहरत मिली,अब वो पीछे हट गयी है. और ये भी समझा जा रहा है कि अब जब मुझे सब कुछ मिल गया तो अब मैं क्यों इसमें पड़ूं. इससे बड़ा नुकसान मेरा क्या हो सकता है कि मुझ पर सवाल उठाए जा रहे हैं. आप मेरे ट्विटर पर देखिए कि किस तरह से मुझे लोग गालियां दे रहे हैं."

यह किस तरह की साज़िश हो सकती है? इस सवाल पर वो कहती हैं, "अगर मैं आपको एक रिकॉर्डिंग दिखाऊंगी तो आप परेशान हो जाएंगे. जब मैंने कल पीड़िता के पिता के साथ बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे वकीलों ने बताया कि आप याचिका दाख़िल करो और मुझे केस से अलग करो. जो नए और पुराने चेहरे इसमें हैं वो ये समझ रहे हैं कि मुझे इस केस से काफ़ी फ़ायदा हो रहा है. यही वजह है कि उन्होंने ये फ़ैसला लिया होगा कि मुझे केस से अलग किया जाए."

"पिता ने याचिका में कहा है कि दीपिका राजावत की जान को ख़तरा है, तो आप मुझे ये बताएं कि मुझे अलग करने से क्या मेरी जान को ख़तरा नहीं है? एक और बात ये कि केस में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर पहले से मौजूद हैं तो मेरा बहुत कम रोल अदालत में बनता है."

कठुआ

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इमेज कैप्शन, कठुआ में अभियुक्तों के पक्ष में निकाली गई थी रैली

विवाद क्यों शुरू हुआ?

दीपिका कहती हैं, "मेरे ऊपर विवाद किसने शुरू किया और किसने नहीं किया, मैं तो परसों से इस मुद्दे पर बात करते-करते थक गई हूं. मैं आपको नहीं बता सकती. इन्होंने मुझे कोर्ट में चेहरा दिखाने के क़ाबिल नहीं रखा. ये उनकी मर्ज़ी है कि वो मुझे केस में साथ रखना नहीं चाहते, लेकिन मुझे नुकसान पहुंचाने से पहले एक बार मुझे बताते. हमारे इंडिया में आज ये हालात हैं कि फ़ेसबुक और ट्विटर पर लोग हर बात पर आपको गाली देते हैं. मेरे साथ भी वही हो रहा है."

दीपिका राजावत का ये भी कहना था कि जब केस पूरी तरह सुरक्षित हाथों में था, तो उन्हें अदालत में जाने की बार-बार क्या ज़रूरत थी. वो ये भी कहती हैं कि उनका काम जम्मू में प्रभावित हो रहा था.

वहीं, तालिब हुसैन भी अपने ख़िलाफ़ आरोपों का खंडन करते हुए कहते हैं कि उनके ख़िलाफ़ साज़िशें रची जा रही हैं. ये पूछने पर की उनके ख़िलाफ़ जो बलात्कार के आरोप हैं, उन पर वह क्या कहेंगे.

तो उन्होंने कहा, "बात बहुत पुरानी है, लेकिन मैं फिर से कहना चाहता हूँ कि बच्ची के साथ हुई घटना के समय उस समय के क्राइम ब्रांच के आईजी ने कहा था कि इस घटना को ख़ास मक़सद से अंजाम दिया गया है. उनका कहना था कि खानाबदोश मुसलमान समुदाय को दहशत में लाने के लिए ये सब कुछ किया गया."

"यहां पर ये बात साबित हो जाती है कि इसके पीछे बहुत बड़ा समूह खड़ा है, जिन्होंने ये बलात्कार और हत्या की है. ये बहुत छोटी सी बात है कि मुझ पर बलात्कार का इलज़ाम लग जाना. उस केस के अंदर बिलकुल दम नहीं है. जब मुझे बलात्कार के इलज़ाम में ग़िरफ़्तार किया गया तो पुलिस हिरासत में मुझे पीटा गया और मुझ पर दबाव बनाया गया कि मैं पीड़ित बच्ची पर अपने बयान को बदलूं और ये कहो कि ये सब महबूबा मुफ़्ती के कहने पर क्राइम ब्रांच ने कहानी बनाई. ये तो मैं नहीं कर सकता था. ये एक इलज़ाम नहीं है,अभी बहुत सारे इलज़ाम लगेंगे. मुझे पीएससी के अंदर बुक भी कर सकते हैं. मुझे फिर ग़िरफ़्तार किया जा सकता है."

बकरवाल समुदाय

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इमेज कैप्शन, पीड़िता बकरवाल समुदाय की बच्ची थी.

एक वेबसाइट पर छपी कहानी में जेएनयू की एक छात्रा के रेप के आरोपों पर तालिब ने कहा, "इस हवाले से मैं फिर एक बार ये कहूंगा कि ये मेरी छवि को बिगाड़ने का मामला है. जो कहानी छपी है, उसमें सिर-पांव कहीं नहीं है. उसमें न ही मेरा नाम लिखा गया है और न ही उसका जिसने ये कहानी लिखी है. ये भी उसी तरह का केस है, जिस केस में मैं ज़मानत पर रिहा हूँ. आने वाले दिनों में और भी बातें सामने आएंगी. मेरा ट्राल चल रहा है और मैं ज़्यादा कमेंट करना नहीं चाहता हूँ. मेरे ख़िलाफ़ जो भी मामले हैं, किसी में दम नहीं हैं."

यह कथित साज़िश उनके ख़िलाफ़ कौन कर रहा है? इस पर वह कहते हैं, "सीधी सी बात है कि जम्मू में जो हिन्दू आबादी वाला इलाक़ा है वहां से मुसलमानों को कैसे निकाला जाए और बीजेपी का वोट सुरक्षित रहे. आज जम्मू में एक प्रचार ये भी हो रहा है कि पीड़िता की हत्या तालिब ने की है. मैं आपको ये भी बता दूं की बीजेपी के नेता ने जम्मू में ये बताया कि जम्मू में जितने भी बम विस्फोट हुए हैं वो सब तालिब ने करवाए हैं."

कठुआ घटना पेश आने के बाद तालिब हुसैन पर ये भी आरोप लगा था कि उन्होंने बच्ची के नाम पर पैसा इकट्ठा किया है. तालिब कहते हैं कि उन पर या उनके संगठन पर भ्रष्टाचार को साबित करके दिखाए.

वह कहते हैं, "शुरू-शुरू में आरएसएस ने ये शिगूफ़ा छोड़ा था कि तालिब ने दो करोड़ की रक़म हड़प की है. उस समय मैं फिर आईजी जम्मू के पास गया और मैने लिखित में एप्लीकेशन दी थी कि आप जाँच करें और अगर ऐसा कुछ साबित होता है तो आप हमें सज़ा दें. और अगर नहीं होता है तो फिर उन लोगों को सजा दीजिए जो हमारी छवि ख़राब करना चाहते हैं. मैं तो शुरू से इस हक़ में था कि हमें पैसा नहीं चाहिए. वकीलों ने हमसे पैसा नहीं लिया. और सरकार को इस पर जाँच करनी चाहिए कि किसने पैसा खाया और किसने नहीं खाया. मेरी लड़ाई तो सिर्फ़ बच्ची को इंसाफ़ दिलाना है."

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