एम जे अकबर के मानहानि के क़दम पर सच और सिर्फ सच ही मेरा बचाव है: प्रिया रमानी

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भारतीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने अपने ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली एक महिला पत्रकार पर मानहानि का मामला दर्ज कराया है.
एमजे अकबर की कार्रवाई के कुछ घंटे बाद प्रिया रमानी ने एक बयान जारी किया है. इस बयान में उन्होंने कहा है, ''मैं अपने ख़िलाफ़ मानहानि के आरोपों पर लड़ने के लिए तैयार हूं. सच और सिर्फ सच ही मेरा बचाव है.''
बयान में प्रिया रमानी ने कहा है, ''मुझे इस बात से बड़ी निराशा हुई है कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं के आरोपों को राजनीतिक साज़िश बताकर ख़ारिज कर दिया है.''
एमजे अकबर पर प्रिया रमानी के आरोपों के बाद कई अन्य महिलाएं भी सामने आई हैं जिन्होंने अकबर पर 'प्रीडेटरी बिहेवियर' का आरोप लगाया है.
भारत के विदेश राज्यमंत्री ने प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ मानहानि का मामला दर्ज कराते हुए आरोप लगाने वाली अन्य महिलाओं पर इसी तरह की क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.
एमजे अकबर, राजनीति में आने से पहले देश के सबसे प्रभावशाली संपादकों में से एक रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वो अपने ख़िलाफ़ आरोपों की वजह से इस्तीफ़ा नहीं देंगे.
भारत में मीटू मुहिम के तहत महिलाओं ने कई लोगों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर सबसे हाई-प्रोफाइल नाम हैं.
अपने ख़िलाफ़ आरोप लगने के दौरान एमजे अकबर आधिकारिक दौरे पर विदेश में थे. 14 अक्तूबर को भारत लौटने के बाद उन्होंने तमाम आरोपों को 'झूठा और निराधार' बताया है.

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एमजे अकबर पर आरोप लगाने वाली एक अन्य महिला पत्रकार सुतापा पॉल ने बीबीसी को दिए अपने बयान में कहा है, ''मैं विकल्पों पर विचार कर रही हूं. सच सामने आएगा और न्याय की जीत होगी. मैं हैरान हूं, एमजे अकबर को शर्म नहीं आ रही जो उनके ओहदे और ताक़त का प्रमाण है. लेकिन हमारी लड़ाई हर महिला की लड़ाई है.''
वहीं समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अभिनेता आलोकनाथ ने लेखक और निर्माता विंता नंदा के ख़िलाफ़ मानहानि का मामला दर्ज कराया है और उनसे लिखित माफ़ी की मांग की है.
महिला पत्रकारों की तीखी प्रतिक्रिया

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जानीमानी पत्रकार बरखा दत्त ने हैरानी जताई है कि मोदी सरकार एमजे अकबर को बर्ख़ास्त क्यों नहीं कर रही है. बरखा दत्त का कहना है कि एमजे अकबर पर आरोपों के बाद मीडिया को विदेश मंत्रालय के आधिकारिक कार्यक्रमों का बहिष्कार करना चाहिए.

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एक अन्य महिला पत्रकार निलंजना रॉय ने कहा है कि एमजे अकबर को फ़ौरन इस्तीफ़ा देने के लिए विवश नहीं करके मोदी सरकार ने अपनी हैरेसमेंट और वर्कप्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के बारे में अपनी सरकार के रुख़ के बारे में एक दुर्भाग्यपूर्ण संदेश दिया है.

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एक अन्य पत्रकार सुहासिनी हैदर ने लिखा है कि पीएम और पूरा कैबिनेट और सबसे बड़ी लॉ फ़र्म एमजे अकबर का बचाव कर रहे हैं. कुछ वरिष्ठ स्तंभकार भी ऐसा कर रहे हैं.
भारत में पिछले एक पखवाड़े में एक के बाद एक कई महिलाओं ने अपने साथ कई वर्षों पहले हुए यौन उत्पीड़न के बारे में खुलकर बात की है.
इन महिलाओं ने अभिनेता आलोकनाथ, फिल्म निर्देशक विकास बहल, सुभाष घई और साजिद ख़ान समेत कई अन्य लोगों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, लेकिन सभी ने इस आरोपों को ग़लत बताया है.
10 से अधिक महिलाओं ने लगाए आरोप

अब तक 10 से अधिक महिलाएं #MeToo के ज़रिए एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोप लगा चुकी हैं. ये अधिकतर महिलाएं अकबर के साथ अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम कर चुकी हैं.
सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo अभियान के दौरान फ़िल्म, मीडिया जगत की जानी-मानी हस्तियों के नाम सामने आए हैं जिनमें महिलाओं ने उन पर यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोप लगाए हैं.
विदेश राज्य मंत्री एम.जे. अकबर पर 'प्रीडेटरी बिहेवियर' के आरोप हैं जिसमें युवा महिलाओं को मीटिंग के नाम पर कथित तौर पर होटल के कमरे में बुलाना शामिल है.
देश के सबसे प्रभावशाली संपादकों में से एक रहे एमजे अकबर, द टेलीग्राफ़, द एशियन एज के संपादक और इंडिया टुडे के एडिटोरियल डायरेक्टर रहे हैं.
सबसे पहले उनका नाम सोमवार को वरिष्ठ पत्रकार प्रिया रमानी ने लिया था. उन्होंने एक साल पहले वोग इंडिया के लिए 'टू द हार्वे वाइंस्टींस ऑफ़ द वर्ल्ड' नाम से लिखे अपने लेख को रीट्वीट करते हुए ऑफिस में हुए उत्पीड़न के पहले अनुभव को साझा किया.
रमानी ने अपने मूल लेख में एम.जे. अकबर का कहीं नाम नहीं लिया था, लेकिन सोमवार को उन्होंने ट्वीट किया कि वो लेख एम.जे. अकबर के बारे में था.
उसके बाद से पांच अन्य महिलाओं ने भी एम.जे. अकबर से जुड़े अपने अनुभव साझा किए हैं.
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