ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार में महिला को निर्वस्त्र कर पिटाई करने का क्या है पूरा सच

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- Author, नीरज प्रियदर्शी
- पदनाम, भोजपुर के बिहिया बाज़ार से, बीबीसी हिंदी के लिए
बिहार में भोजपुर के बिहिया बाज़ार की जिस गली से सोमवार को भीड़ ने एक महिला को निर्वस्त्र कर पीटते हुए घुमाया था, मंगलवार को उस गली के लोग घटना के बारे में कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से भी कतरा रहे थे.
स्थानीय दुकानदार सिर्फ़ इतना ही बोल रहे थे कि "पुलिस जिस ओर जा रही है, आप उधर ही चले जाइए."
इस हफ्ते का सोमवार सावन का आख़िरी सोमवार था. इसलिए बिहिया बाजार के पंचमुखी शिव मंदिर पर हरिकीर्तन का आयोजन हुआ था. साथ ही भंडारा भी रखा गया था. सड़क को दोनों तरफ से बांस की मदद से घेर कर जगह बनाई गई थी, जिसके बीच लोगों के खाने का इंतज़ाम था.
शिव मंदिर के बगल वाली गली के रास्ते में, मैं पीड़ित महिला के घर तक पहुंचता हूं. गली से सीधा चलूं तो मुझे बिहिया रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म और रेल की पटरियां भी दिखाई देंगी.
इन्हीं पटरियों के किनारे सोमवार की सुबह एक युवक का शव मिला था. शव मिलने के बाद जो ग़ुस्सा उपजा उसमें लोगों ने 'चांद महल' को जला दिया था.
इमारत की दीवार अब भी फटा जला बैनर दिख रहा है जिस पर लिखा है, "हलचल थियेटर ग्रुप, शादी-विवाह जैसे अवसर पर उपलब्ध."

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गुस्साई भीड़ ने घर को आग के हवाले किया
मुख्य दरवाजे के बाहर खड़ी कुछ औरतें आपस में भोजपुरी में बात करते हुए बताती हैं, "रोज़ गुलज़ार रहता था उसका चांद महल, अब तो जलकर इतना काला हो गया कि पहचान में भी नहीं आ रहा."
दरअसल 'चांद महल' उन्हीं पीड़ित महिला का घर है, जिन्हें निर्वस्त्र करके घसीटते हुए सरे-बाज़ार घुमाया गया था.
पूरा घर जल चुका था. भीड़ ने घर में घुसकर तोड़ फोड़ मचाई थी और इसके निशान साफ़ तौर पर देखे जा सकते थे.
यहां रखा सब कुछ खाक हो गया था. लेकिन जल चुके चूल्हे के पास रखी हांडी में पका भात (चावल) था जो नहीं जल पाया था. शायद इसे ढक कर रखा गया होगा.
खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गए थे. घर के भीतर का बहुत सारा सामान बाहर फेंका हुआ था. लोग खिड़कियों और टूटे दरवाजे से अंदर झांकने की कोशिश कर रहे थे.



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वैसे तो घटना सोमवार की है, लेकिन आग का धुंआ इमारत के कई हिस्सों में अब भी देखे जा सकते थे. दीवारें गर्म थीं. रसोई की दीवार पर पर हाथ रखा तो लगा जैसे बस अभी थोड़ी देर पहले ही आग बुझी हो.
दोपहर के करीब डेढ़ बजे थे. भोजपुर के पुलिस अधीक्षक अवकाश कुमार और जिला मजिस्ट्रेट संजीव कुमार अपने दल-बल के साथ मामले की जांच करने के लिए 'चांद महल' पहुंच गए थे.
दरवाजे पर जुटी भीड़ को हटाया गया. पीड़ित महिला के बेटे को लेकर पुलिस घर के अंदर दाखिल हु़ई.
उन्होंने घर के कोने-कोने तक जाकर मुआयना किया. बाहर निकले तो पीड़ित महिला के बेटे से पूछकर बगल वाले घर का दरवाज़ा खटखटाया. लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला. पुलिस के पूछने पर उनके बेटे ने कहा, "सब डर से इधर-उधर चले गए हैं."
थोड़ी देर बाद पुलिस उसी रास्ते वापस चली गई जहां महिला को घसीटते हुए सैकड़ों लोगों का हुजूम लौटा था.

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मृतक व्यक्ति नज़दीक के शाहपुर के थे
पुलिस के चले जाने के बाद लोग वापस चांद महल की दीवारों के नज़दीक आ गए और अंदर-बाहर झांककर आपस में बात करने लगे.
उन्हीं में से एक व्यक्ति जिसने पहले बताया था कि उनका घर रेल की पटरी के उस पार है उसने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमलोग पटरी के उस पार थे. मालगाड़ी गुजर रही थी. एक बुजुर्ग ने कुछ लोगों को वहां लाश रखते देख लिया था. जैसे ही मालगाड़ी पार हुई वो लोग लाश को फेंक कर भाग रहे थे."
"मैंने सुना था वो लोग इसी घर में आए थे. शुरू में कुछ लोग गए और पूछताछ की थी. वो एक बार बाहर निकली थी. लोगों के साथ उसकी बात भी हुई ."
"जांच में मृतक युवक की जेब से एक पहचानपत्र मिला था जिससे पता चला कि उसका नाम विमलेश कुमार शाह है और घर शाहपुर (बिहिया से क़रीब 8 किलोमीटर दूर) के दामोदरनगर में है. थोड़ी देर के लिए सब शांत हो गया था. पुलिस भी आ गई. लेकिन फिर अचानक आधे घंटे बाद क़रीब 300-400 लोगों का हुजूम आया. उन्होंने तोड़फोड़ की. भीड़ ने उसकी साड़ी खींची, उसका पेटीकोट खींचा और घसीट दिया उसको. यही गलत हुआ लेकिन भीड़ कहां किसी के कंट्रोल में रहती है."

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'महिला को निशाना बनाया गया'
स्थानीय पत्रकार मुकेश कुमार बताते हैं कि स्थानीय लोगों में पहले से महिला के प्रति गुस्सा था. लोग ऐसे आरोप लगाते रहे हैं कि वो हलचल थियेटर व ऑर्केस्ट्रा ग्रुप की आड़ में देह व्यापार करती थी.
मुकेश कुमार कहते हैं, "महिला के घर के सामने से लाश के मिल जाने ने आग में घी का काम किया. वो लोगों के गुस्से का शिकार हो गई. पुलिस की भी लापरवाही थी. पुलिस चाहती तो महिला को बचाया जा सकता था. थाने और प्रखंड मुख्यालय के केवल तीन सौ मीटर की दूरी पर ये हादसा हुआ है."
इस पूरे प्रकरण में सोमवार का दिन और उस दिन से जुड़ी घटनाएं मायने रखती हैं. पीड़िता महिला के बेटे ने बीबीसी को बताया, "सावन के आखिरी सोमवार को मैं ब्रह्मपुर जल चढ़ाने गया था. कल सुबह ही लौटा था, इसलिए थक कर सो गया था. अचानक भीड़ ने घर के सामने हल्ला मचाया तो नींद खुली और पता चला कि घर के बाहर शव मिला है."



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उन्होंने कहा, "मेरी मां अपनी बात कहती रह गई मगर किसी ने उसकी नहीं सुनी. उसे घर से खींचकर बाहर घसीट लाए. सब मिलकर उस पर टूट पड़े. इतनी गंदी हरकत की."
"मेरी मां की इज्जत सरेआम लूट ली गई. उसने क्या बिगाड़ा था किसी का. पूरे बिहिया बाज़ार से पूछ लीजिए. सबके साथ उसके अच्छे रिश्ते थे. पुलिस और दुकानदारों के साथ मिल जुलकर रहती थी. वो मंदिर भी जाती थी. कल सोमवार को भी मंदिर गई थी. उसके लौटने के बाद ही यह सब हुआ."
वो कहते हैं, "हत्या के आरोप की जांच करा लीजिए. कड़ी से कड़ी जांच करा लीजिए. चाहें तो सीबीआई भी बुला लीजिए. मेरी मां दोषी है तो उसको फांसी पर लटका दीजिए. लेकिन बिना जांच के और केवल शक़ के आधार पर मेरी मां के साथ लोगों ने अत्याचार किया."

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महिला को इलाज की ज़रूरत
पीड़िता महिला को पुलिस ने दिन भर थाने में ही रखा. यहां डॉक्टर, नर्स और काउंसलर ने महिला की मेडिकल जांच की.
पुलिस कस्टडी में उनका मेडिकल टेस्ट करा कर बाहर निकले आरा सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक सतीश कुमार ने बीबीसी को बताया, "उनकी हालत अब पहले से बेहतर है. अब वो बार-बार बेहोश नहीं हो रही हैं. हालांकि उनकी पीठ पर गंभीर चोट आई है. डॉक्टरों की टीम है यहां. हमारे काउंसलर भी हैं यहां जो उन्हें घटना के मानसिक प्रभाव से बाहर निकालने में मदद कर रहे हैं. अभी उन्हें इलाज की जरूरत है."
इधर, पुलिस ने रेल की पटरी के पास मिले युवक के शव की जांच कर हत्या की पुष्टि कर दी है.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए एसपी अवकाश कुमार ने कहा, "प्रथमदृष्टया यह मामला हत्या का ही लगता है. क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार गले पर चोट के गहरे निशान मिले हैं. ऐसा अनुमान है गला दबाकर युवक की हत्या की गई है. पुलिस सभी पहलुओं से मामले की जांच कर रही है."



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भोजपुर डीएम संजीव कुमार ने बीबीसी को बताया "लापरवाही बरतने के आरोप में थानेदार कुंवर गुप्ता समेत छह लोगों को सस्पेंड किया गया है. पीड़ित महिला पुलिस संरक्षण में है. वीडियो फुटेज से पहचान के आधार पर निर्वस्त्र करने के मामले में अब तक पंद्रह लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं. उनसे पुलिस पूछताछ कर रही है. बाकियों को पकड़ने के लिए छापेमारी चल रही है."
पुलिस का कहना है कि इस मामले में एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मैंने जानना चाहा कि क्या इस मामले में गिरफ्तार लोगों के किसी राजनीतिक कनेक्शन की बात सामने आई है. इस बात से इनकार करते हुए डीएम ने कहा कि अभी तक ऐसा कुछ निकल कर नहीं आया है.

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स्थानीय लोगों का दावा, शाहपुर से आई थी भीड़
इन सबके बीच सबसे चौंकाने वाली बात मुझे बिहिया पुलिस थाने के हिरासत में बंद सत्यनारायण प्रसाद उर्फ रौशन राज ने बताई. इन्हें सब्जी टोला स्थित उनके घर से बुधवार सवेरे पुलिस ने पकड़ा था.
सत्यनारायण प्रसाद ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उन्हें ग़लत तरीके से गिरफ्तार किया गया है क्योंकि उत्पात मचाने वाले लड़के बिहिया बाज़ार के नहीं थे बल्कि शाहपुर से आए थे.
उन्होंने कहा, "हम बिहिया के लोग इस घटना में शामिल नहीं हैं जबकि पुलिस यहां के लोगों को गिरफ्तार कर रही है. हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि लड़के बाहर से आए थे. पुलिस उन सबूतों को देखकर भी पता नहीं लगा सकती क्या? वीडियो में केवल बिहिया के लोग ही तो नहीं दिख रहे ना."

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सदमे से मृत व्यक्ति की बहन की मौत
शाहपुर के दामोदरनगर में मृतक विमलेश के परिजनों के लिए फिलहाल स्थिति बिगड़ गई है. अपने भाई की मौत की ख़बर सुनने के बाद छोटी बहन शोभा को दिल का दौरा पड़ा और मंगलवार सवेरे उसकी मौत हो गई.
पुलिस का कहना है कि हत्या की प्राथमिकी विमलेश के चाचा ने दर्ज कराई है. उनका कहना है कि विमलेश के पिता गणेश शाह और दूसरा भाई जोधपुर में हैं और मंगलवार शाम तक शाहपुर नहीं पहुंच सके थे.
प्राथमिकी के अनुसार विमलेश रविवार को अपने घर से कौशल विकास केंद्र में दाखिले से संबंधित काम के लिए निकला था. अगले दिन उसका शव बिहिया के 'चांद महल' के नज़दीक, रेल की पटरी के किनारे मिला था.



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पूरे प्रकरण में अब तक तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुई हैं. पुलिस अधीक्षक अवकाश कुमार बताते हैं कि विमलेश के चाचा के बयान पर अज्ञात लोगों के विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है.
महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने व दुर्व्यवहार करने के मामले में पंद्रह नामजद व सात अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
इसके अलावा तीसरी एफआईआर उपद्रव करते हुए आगज़नी व तोड़फोड़ करने के मामले में सात नामजद और तीन सौ अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज की गई है.
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