बाप-बेटा बने नासा वैज्ञानिक, ठगे 1 करोड़ 43 लाख

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- Author, सरोज सिंह
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
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सफ़ेद चांदी के रंग जैसे कपड़े का सूट पहने, अंतरिक्ष यात्री जैसा हेलमेट पहने ये है बाप-बेटे की जोड़ी.
इन पर डेढ़ करोड़ की ठगी का आरोप है.
लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये कि लोगों को ठगने के लिए इन्होंने ख़ुद को नासा का साइंटिस्ट बताया.
इससे भी बड़ी बात ये कि जिसे ठगा उसे बिना अंग्रेज़ी बोले, बिना कोई साइंटिफ़िक फॉर्मूला बताए, हज़ारों का सामान करोड़ों में बेच गए.
ये पूरा मामला देश की राजधानी दिल्ली का है.

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क्या थी डील
बाप-बेटे की ये जोड़ी, दिल्ली के पश्चिम विहार में रहती थी.
पिता का नाम वीरेन्द्र मोहन और बेटा नितिन 90 के दशक में मोटर वर्कशॉप का बिज़नेस चलाते थे.
दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक़, बाप-बेटे ने एक कपड़ा व्यापारी को नासा में इस्तेमाल में आने वाली राइस पुलर नाम की एक मेटल डिवाइस बेचने का सौदा किया.
राइस पुलर एक तरह की धातु है जो चावल जैसे छोटे कण को अपनी तरफ़ खींचने की ताकत रखती है.

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डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक़ बाप-बेटा, ठगी के शिकार कारोबारी को ये समझाने में कामयाब हो गए थे कि राइस पुलर की चुंबकीय शक्ति की वजह से नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन सेंटर यानी नासा में बहुत मांग है. इसके कारोबार से उन्हें हज़ारों करोड़ा का फ़ायदा होगा.
पुलिस के मुताबिक़, पूरी डील 3,750 करोड़ की थी. इसके लिए बाप-बेटे ने मिल कर ठगी के शिकार करोबारी से किस्तों में साइंटिस्ट, केमिलकल, लैब, कपड़े के नाम पर 1 करोड़ 43 लाख लूट लिए.
पूरा मामला साल 2015 का था. दोनों पक्षों के लेनदेन का मामला चार-पांच महीने ही चला.
ठगी के शिकार कारोबारी ने बीबीसी हिंदी को पहचान छुपाने की शर्त पर बताया कि बाप-बेटे ने अपनी एक फ़र्ज़ी बेवसाइट भी बना रखी थी.
कारोबारी दिल्ली के ही मयूर विहार इलाक़े में रहते हैं. उनका कपड़ों के एक्सपोर्ट का बिज़नेस है. उनके मुताबिक़ बाप बेटे द्वारा बनाई गई बेवसाइट को देखने के बाद उन्हें पक्का यकीन हो गया कि वो दोनों साइंटिस्ट हैं.

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पैसों की पेमेंट
दोनों पक्षों के बीच एक क़रार हुआ. क़रार के मुताबिक़, एस्ट्रोनॉट सूट और जांच से जुड़े सामान को ख़रीदने के लिए पैसों की ज़रूरत होगी, जो काफ़ी मंहगे आते हैं. साथ ही जांच पूरी करने के लिए एक अलग लैब और केमिकल की ज़रूरत भी पड़ेगी.
बाप-बेटे ने इसके लिए पूरा ख़र्चा कारोबारी को उठाने के लिए कहा. कारोबारी इसके लिए राज़ी भी हो गए. इसके लिए बाकायदा यस बैंक का एक एकाउंट नंबर भी दिया. ठगी के शिकार कारोबारी ने एक बार ऑनलाइन पैसा ट्रांसफ़र किया, लेकिन अधिकतर कैश ही अकाउंट में जमा करवाया.
हालांकि, पांच महीने बाद ही कारोबारी को अपने ठगे जाने का अहसास हो गया. फिर उन्होंने बाप-बेटे से पैसा वापस मांगना शुरू किया. कारोबारी के मुताबिक़, शुरुआती दिनों में तो बाप-बेटे ने एक दो बार आनाकानी की. उसके कुछ दिन बाद पैसा वापस करने के लिए मोहलत मांगी.
ऐसे कई साल बीत गए. लेकिन उसके बाद धमकी देने पर उतर आए.
इसके बाद कारोबारी का सब्र का बांध टूट गया.
उन्होंने दिल्ली पुलिस में इसी साल अप्रैल के महीने में शिकायत की. जिसके बात पुलिस ने तफ़्तीश की और दोनों बाप-बेटों को रंगे हाथों पकड़ा.
पुलिस के मुताबिक़, बाप-बेटे के पास से कई सिम कार्ड, लैप-टॉप और एस्ट्रोनॉट के कपड़े मिले हैं.
कपड़ों के बारे में पुलिस ने उनसे जब पूछा तो बाप-बेटे ने स्वीकार किया कि 1200 रुपए में दिल्ली के चांदनी चौक से एस्ट्रोनॉट यानी अंतरिक्ष यात्री की ड्रेस ख़रीदा था.

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आरोपी का इतिहास
जल्द अमीर बनने के चक्कर में उनकी मुलाक़ात एक ऐसे शख़्स से हुई जो इन्हें एक साधारण सा आइना, जादुई बताकर उन्हें लाखों की चपत लगा गया.
उस वाक़ये से सबक लेते हुए बाप-बेटे ने दूसरों पर यही आज़माना शुरू कर दिया.
दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक़, इससे पहले देहरादून में एक आदमी को बाप-बेटे एक सांप साढ़े सतरह लाख रुपए में बेच चुके हैं.
फ़िलहाल दोनों बाप-बेटा दिल्ली पुलिस की गिरफ़्त में हैं. पुलिस को उनके कुछ और साथियों की तलाश है. ठगी के आरोप साबित होने पर दोनों को सात साल की सज़ा होगी.
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