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नाबालिग लड़कियों पर बच्ची के साथ यौन दुर्व्यवहार का 'गंभीर' आरोप
- Author, आलोक प्रकाश पुतुल
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए, रायपुर, छत्तीसगढ़ से
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में सरकार द्वारा संचालित लड़कियों के छात्रावास में सात साल की एक बच्ची के साथ वहीं रहने वाली कुछ नाबालिग छात्राओं ने कथित तौर पर मारपीट की और शरीर के भीतर डंडा डाल दिया.
इसके बाद लड़की की तबीयत ख़राब हो गई और उसके गुप्तांग में संक्रमण भी हो गया.
पीड़ित बच्ची की मां का कहना है कि मामले का पता उन्हें तब चला जब वो होली की छुट्टियों में बच्ची को घर ले कर आईं. इसके बाद बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराया गया.
'मामूली बात पर दुर्व्यवहार'
तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली इस लड़की से सातवीं-आठवीं में पढ़ने वाली छात्राओं के कुछ धुले हुए कपड़े ग़लती से गिर गए थे. इससे लड़कियां नाराज़ थीं.
पीड़ित बच्ची की मां के अनुसार, "रात को खाना-पीना खाने के बाद जब लाइट बंद हो गई और सभी लोग सोने चले गए तब मेरी बच्ची को सातवीं-आठवीं में पढ़ने वाली लड़कियों ने मारा-पीटा, उसके कपड़े उतारे और उसके शरीर के भीतर डंडा डाल दिया. लड़कियों ने उसे धमकाया कि अगर उसने किसी को इसके बारे में बताया तो उसे पीटा जाएगा."
पीड़ित बच्ची की मां का कहना है कि जब वो छुट्टियों में अपनी बेटी को घर लाईं तो उन्होंने देखा कि लड़की कराह रही है और उसे चलने में भी तक़लीफ़ है. इसके बाद पूछने पर बच्ची ने अपने साथ हुई घटना के बारे में अपनी मां को बताया.
हालांकि छात्रावास अधीक्षक पुष्पा घृतलहरे का कहना है कि वह घटना वाले दिन छात्रावास में ही थीं और उन्हें इस तरह की किसी घटना की जानकारी नहीं है.
पुष्पा धृतलहरे के अनुसार,"अगले दिन मैं एक बैठक के सिलसिले में बाहर चली गई थी, इसलिए इस बारे में मुझे नहीं पता. बच्ची को मेरी अनुपस्थिति में उसके परिजन छात्रावास से ले कर गए हैं. हम छात्रावास में रहने वाली बच्चियों को बहुत ध्यान रखते हैं."
पुलिस ने चिकित्सक की रिपोर्ट और पीड़ित बच्ची की मां की शिकायत के आधार पर छात्रावास की तीन बच्चियों के ख़िलाफ़ पॉक्सो एक्ट समेत दूसरी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज़ कर जांच शुरू कर दी है.
इलाके की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मधुलिका सिंह ने बताया, "सात साल की बच्ची ने अपनी मां को बताया है कि उसी के हॉस्टल में रहने वाली अन्य बच्चियों के द्वारा उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य किया गया है. आरोपी बच्चियां भी नाबालिग हैं."
आरोपी छात्राओं के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 377, 323 व लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 यानी पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.
पुलिस के अनुसार गौरेला थाना के गिरवर पंचायत के प्री-मैट्रिक छात्रावास में कक्षा पहली से आठवीं तक की छात्राएं रहती हैं.
इधर आम आदमी पार्टी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि राज्य के आदिवासी छात्रावासों की हालत खराब है. यौन प्रताड़ना और हिंसा के मामले लगातार सामने आ रहे हैं लेकिन सरकार न तो ऐसे मामलों को गंभीरता से ले रही है और ना ही इनकी विस्तृत जांच कर रही है.
पार्टी के नेता सुबीर राय ने कहा, "बस्तर के झलियामारी से लेकर बिलासपुर के गौरेला तक ऐसे मामलों में सरकार की चुप्पी परेशान करती है. सरकार को इस तरह के मामलों के सामाजिक और सांस्कृतिक कारणों की तलाश भी करनी चाहिए."