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#HerChoice: बेटियों के सपनों को मरने नहीं दिया
मुझे हमेशा से पढ़ाई का शौक था.
सपना देखती थी कि किसी रोज़ काला गाउन पहन कर राष्ट्रपति के हाथों से मेरिट सर्टिफिकेट लूं.
खूब पढ़कर टीचर बनना चाहती थी, अपने पैरों पर खड़े होना चाहती थी.
लेकिन घर वालों ने बारहवीं पास करते ही मेरी शादी कर दी.
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#HerChoice 12 भारतीय महिलाओं के वास्तविक जीवन की कहानियों पर आधारित बीबीसी की विशेष सिरीज़ है. ये कहानियां 'आधुनिक भारतीय महिला' के विचार और उनके सामने मौजूद विकल्प, उनकी आकांक्षाओं, उनकी प्राथमिकताओं और उनकी इच्छाओं को पेश करती हैं.
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पति सीधे-सादे आदमी थे, सरकारी नौकरी करते थे.
उनका अक्सर तबादला होता रहता, लेकिन वो मुझे कभी अपने साथ नहीं ले गए.
मैं हमेशा ससुराल में रह कर घर-परिवार की ज़िम्मेदारियां निभाती रही.
अपनी ननदों को कॉलेज जाते देखती तो पढ़ाई की ख़्वाहिश फिर जाग उठती.
घर से ही पढ़ाई करके जैसे-तैसे मैंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया.
वक़्त बीतता गया और मैं पांच बेटियों की मां बन गई.
परिवार वालों ने तो कभी बेटियां पैदा करने का ताना नहीं मारा,
लेकिन समाज हमेशा मुझे और मेरे पति को 'बेटा न होने' का अहसास दिलाता रहा.
कइयों ने कहा कि 'पांच बेटियां हैं, इसलिए जल्दी-जल्दी शादी करके निपटाओ, वरना उम्र बीतने पर ज़्यादा दहेज देना पड़ेगा.
मगर मैंने ठान लिया था कि अपनी बेटियों को खूब पढ़ाऊंगी, उन्हें क़ाबिल बनाऊंगी.
मैंने उन्हें सबके ख़िलाफ़ जाकर पढ़ाया.
मैं नहीं चाहती थी कि मेरी बेटियां मेरी तरह अपने सपनों को तिल-तिलकर मरते देखें.
मेरे पति ने भी मेरा साथ दिया.
आज मेरी पांचों बेटियां अच्छी नौकरियों में हैं.
अब जब मैं उनके कॉलेज की तस्वीरें देखती हूं जिनमें वो काले गाउन पहनकर सर्टिफ़िकेट लिए खड़ी हैं, तो लगता है मेरा सपना पूरा हो गया.
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(हमारी सिरीज़ #HerChoice में बहुत सी पाठिकाओं ने कहा कि वे अपनी कहानियां शेयर करना चाहती हैं. उस कड़ी में यह कहानी हमें बिहार की रहने वाली हमारी पाठक रचना प्रियदर्शिनी ने भेजी है.)
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