कोई सत्र नहीं रहा जब कांग्रेस आक्रामक नहीं हुई: भाजपा

बजट

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    • Author, मानसी दाश
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

सोमवार से भारतीय संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है.

दो चरणों में होने वाले इस बजट सत्र का पहला चरण 9 फरवरी तक चलेगा जिस दौरान देश का आम बजट और रेल बजट पेश किया जाएगा.

वहीं दूसरा चरण मध्यावधि अवकाश के बाद 5 मार्च से शुरू होगा जो 6 अप्रैल तक चलेगा.

देखा जाए तो 16वीं लोकसभा में भाजपा सरकार का ये चौथा और आख़िरी पूर्ण बजट है. क्योंकि 2019 में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं.

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वायदे पूरे करने का दबाव

माना जा रहा है कि इस कारण भाजपा सरकार पर जनता का भरोसा हासिल करने का दबाव है और सरकार अपने हर उस वायदे को पूरा करने की कोशिश करेगी जो उन्होंने बीते लोकसभा चुनावों के दौरान किए थे.

भाजपा पार्टी के प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन कहते हैं, "अरुण जेटली और उनकी पूरी टीम इस बजट की तैयारी में जुटी है. इस बजट से देश को काफी अपेक्षाएं हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि हम उस पर खरे उतरेंगे."

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हाल के वक्त में नोटबंदी, जीएसटी और अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेर चुकी विपक्षी पार्टियां एक बार फिर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगी.

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क्या आक्रामक रुख अपनाएगी कांग्रेस?

हाल में संपन्न हुए शीत सत्र में कांग्रेस आक्रामक तेवर लिए नज़र आई थी, माना जा रहा है कि कांग्रेस इस सत्र के दौरान भी सरकार पर हमला करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देगी.

शाहनवाज़ हुसैन कहते हैं, "कांग्रेस तो बिना विषय के भी आक्रामक ही रहती है. कोई ऐसा सेशन नहीं रहा जिसमें कांग्रेस आक्रामक ना हुई हो. उनका इरादा किसी भी सेशन में चर्चा का नहीं होता बल्कि सत्र में बाधा उत्पन्न करने का होता है."

शाहनवाज़ हुसैन कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि इस सत्र में कांग्रेस अपनी बात को सदन के पटल पर रखेगी और किसी भी प्रकार से हाउस को डिस्टर्ब नहीं करेगी.

हालांकि कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार अपने किसी वायदे पर अब तक खरी नहीं उतरी है और जनता के लिए विपक्ष सरकार से बजट संबंधी सवाल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

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पूंजीपतियों का नहीं देहात का रखे ख्याल

कांग्रेस नेता शकील अहमद कहते हैं, "हमें उम्मीद है कि सरकार इस बार अपने वायदों को पूरा करेगी और आम लोगों के हितों की बात करेगी. सरकार अपने पूंजीपति साथियों की मदद करने की बजाय देहात में रहने वाले और मध्य वर्ग के हित की बात करेगी."

शकील अहमद का कहना है कि सरकार अर्थव्यवस्था की हालत में सुधार करने में नाकाम साबित हुई है.

वो आरोप लगते हैं, "आधार, जीएसटी, एफ़डीआई, मनरेगा जैसी योजनाएं जो कांग्रेस के कार्यकाल में शुरू हुई थीं, मोदी सरकार ने उन्हीं को लागू किया है लेकिन भौंडे तरीके से लागू किया है जिस कारण जनता को परेशानी हो रही है."

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वो चुटकी लेते हुए कहते हैं, "नकल के लिए भी अकल की ज़रूरत होती है, इस सरकार को हमारी नकल करने की भी अकल नहीं है."

उन्होंने इस बात की ओर भी इशारा किया कि देश में जो घटनाएं हो रही है उन पर भी बजट सत्र में चर्चा करने के लिए कांग्रेस तैयार है.

हाल में हुए घटनाक्रम पर नज़र डालें तो उम्मीद की जा रही है कि इस बार संसद में महिला सुरक्षा, महिला अधिकारों, तीन तलाक़, न्यायपालिका में शिकायत के स्वरों के उठने और देश के सामाजिक व्यवस्था के बिगड़ने पर भी चर्चा छिड़ सकती है.

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