चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार मामले में लालू-जगन्नाथ को 5-5 साल की सज़ा

लालू यादव

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    • Author, नीरज सिन्हा
    • पदनाम, रांची से बीबीसी हिंदी के लिए

चाईबासा कोषागार मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र को 5-5 साल की सज़ा सुनाई गई है.

यह सज़ा रांची में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद ने सुनाई. चाईबासा कोषागार से अवैध तरीक़े से 33 करोड़ 67 लाख 534 रुपये निकाले गए थे.

इस मामले की सुनवाई दस जनवरी को पूरी हुई थी और इसमें राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के अलावा 56 आरोपी थे.

लालू यादव

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पहले से ही जेल में हैं लालू

लालू फ़िलहाल पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के साथ रांची की बिरसा मुंडा जेल में हैं. पिछले साल 23 दिसंबर को चारा घोटाले के देवघर कोषागार मामले में सीबीआई अदालत ने उन दोनों को दोषी क़रार दिया था.

लेकिन इस मामले में डॉ जगन्नाथ मिश्र बरी हो गए थे.

छह जनवरी को लालू को साढ़े तीन साल और जगदीश शर्मा को सात साल की सज़ा सुनाई गई थी.

जगन्नाथ मिश्र

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हाई कोर्ट जाएंगे तेजस्वी

बुधवार को चाईबासा मामले में फ़ैसला आने के बाद लालू अदालत से बाहर निकले और कुछ दूरी पर चाय पी. लालू को देखने के लिए कई लोग जमा हुए. उन्होंने नेताओं और समर्थकों से हाल-चाल पूछा.

फ़ैसला आने के बाद अदालत में मौजूद राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, "अब ऊपरी अदालत जाएंगे. हम लोग संघर्ष करने के लिए पैदा हुए हैं. जब तक धमनियों में खून रहेगा, लड़ते रहेंगे."

लालू यादव के बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे षड्यंत्र बताते हुए हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की बात की है.

इस घोटाले में झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव और तब चाईबासा के उपायुक्त रहे सजल चक्रवर्ती को भी चार साल की सज़ा सुनाई गई. सजल इन दिनों बीमार हैं. जेल से बेहतर इलाज के लिए उन्हें रिम्स अस्पताल भेजा गया है.

डॉ जगन्नाथ मिश्र बुधवार को कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके. बताया जा रहा है कि उनकी पत्नी का हाल ही में निधन हुआ है.

सजल चक्रवर्ती

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क्या है मामला?

चाईबासा का यह घोटाला 21 साल पुराना है. इस मामले में सीबीआई ने 76 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. ट्रायल के दौरान 14 लोगों की मौत हो गई. तीन को सरकारी गवाह बनाया गया और एक ने निर्णय से पूर्व दोष स्वीकार कर लिया.

सीबीआई ने इस मामले में चाईबासा कोषागार से फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी करने का आरोप लगाया है. लालू प्रसाद पर गड़बड़ी की जानकारी होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाने का आरोप है, जबकि डॉ जगन्नाथ मिश्र पर पशुपालन विभाग के उन अधिकारियों को सेवा विस्तार की सिफ़ारिश करने का आरोप है, जो इस घोटाले में शामिल थे.

जगदीश शर्मा

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चाईबासा का चक्रव्यूह

ग़ौरतलब है कि तीन अक्तूबर 2013 को रांची स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह की अदालत ने कांड संख्या आरसी 20 ए/96 चाईबासा कोषागार से कथित तौर पर 37.7 करोड़ की अवैध निकासी से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में पांच साल की सुनाई थी.

साथ ही अदालत ने 25 लाख का जुर्माना भी अदा करने को कहा था.चाईबासा तब अविभाजित बिहार का हिस्सा था. हालांकि उस मामले में लालू प्रसाद फिलहाल ज़मानत पर हैं. लेकिन सज़ायाफ़्ता होने के बाद वे संसद की सदस्यता गंवा बैठे और चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए.   

जबकि इसी मामले में तब लालू प्रसाद के अलावा डॉ जगन्नाथ मिश्र को चार साल कारावास तथा 21 लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गई थी.

जगन्नाथ मिश्र

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश

ग़ौरतलब है कि पिछले मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील को मंज़ूर करने के साथ लालू प्रसाद के ख़िलाफ़ चारा घोटाले से संबंधित अलग-अलग मामलों में मुकदमा चलाने का आदेश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फ़ैसले को रद्द करते हुए कहा था कि प्रत्येक अपराध के लिए पृथक सुनवाई होनी चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को इन मामलों में नौ महीने में सुनवाई पूरी करने को कहा है.नवंबर 2014 में झारखंड हाइकोर्ट ने लालू प्रसाद को राहत देते हुए कहा था कि एक मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ इन्ही धाराओं के तहत मिलते-जुलते अन्य मुकदमों में सुनवाई नहीं हो सकती.

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