भारत के लिए क्यों ज़रूरी है इसराइल?

भारत इसरायल

इमेज स्रोत, Twitter/pib

इमेज कैप्शन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू का नई दिल्ली में कुछ इस तरह स्वागत किया.

इसराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू करीब एक हफ्ते के दौरे पर भारत आए हैं. पिछले 15 साल में पहली बार कोई इसराइली प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आए हैं.

ऐसे वक्त में जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट दिया जिसमें यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की बात कही गई थी. नेतान्याहू के इस दौरे पर सभी की निगाहें जमी हुई हैं.

मध्य पूर्वी राष्ट्रों के मामलों के जानकार क़मर आग़ा से बात की बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर ने और जाना कि दोनों देशों के आपसी रिश्तों के लिए यह दौरा कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

वीडियो कैप्शन, इसराइल के बनने की कहानी

कूटनीतिक संबंधों को हुए 25 साल

क़मर आग़ा कहते हैं, ''दोनों देशों के लिए ये द्विपक्षीय रिश्तें बेहद अहम हैं. इसराइल के पास रक्षा और कृषि क्षेत्र समेत कई अन्य विभागों में बहुत बेहतरीन तकनीक है. जिसका इस्तेमाल भारत करता रहा है और आगे भी करना चाहेगा''

''पिछले साल जुलाई में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरायल दौरे पर गए थे तो विज्ञान, कला-संस्कृति, तकनीक समेत कुल सात क्षेत्रों में सहयोग पर समझौते हुए थे, अब इन्हीं तमाम क्षेत्रों में आगे बढ़ने का प्रयास किया जाएगा.''

भारत और इसराइल के बीच कूटनीतिक संबंधों को स्थापित हुए अब 25 साल हो चुके हैं. ऐसे में क़मर आग़ा का मानना है कि दोनों ही देशों के बीच दो-तीन मुद्दें बेहद महत्वपूर्ण हैं.

वे बताते हैं, ''दो-तीन चीज़ें महत्वपूर्ण हैं जिसमें रक्षा उत्पादों की बातचीत अहम है, वहीं मेक इन इंडिया के तहत भारत चाहता है कि जो चीजें वह इसराइल से खरीद रहा है वह भारत में ही बने, और इसके साथ-साथ दोनों ही देश कुछ ऐसे रक्षा उत्पाद बनाना चाहते हैं जो वे मिलकर बनाएंगे और फिर किसी दूसरे देश को बेच सकेंगे.''

भारत इसरायल

इमेज स्रोत, Twitter/pib

तकनीक और मानव श्रम का लेन देन

क़मर आग़ा आगे बताते हैं, ''इसराइल के लिए यह समझौते इसलिए ज़रूरी हैं क्योंकि उसके पास मानव श्रम की कमी है. साथ ही भारत में कामगार लोगों की संख्या अच्छी खासी है जो पढ़े लिखे हैं और उन्हें तकनीक की भी बेहतर समझ है. इसके अलावा इसराइल के उत्पाद के लिए भारत एक बड़ा बाज़ार है.''

इस दौरे में कौन से मुद्दे सबसे अहम हो सकते हैं इस पर क़मर आग़ा कहते हैं, ''इस बार के एजेंडे में मिसाइल तकनीक एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा, जिसमें एंटी टैंक मिसाइल के संबंध में कुछ मतभेद भी चल रहा है, इस मुद्दे को दोनों देश सुलझाना चाहेंगे.

''साथ ही कुछ नेवी और मिलिट्री से जुड़े अहम मुद्दों पर भी बातचीत होने की उम्मीद है. वाटर डीसेलिनेशन प्लाट और सिंचाई की तकनीक समेत कई मुद्दों पर बात हो सकती है.''

भारत इसरायल

इमेज स्रोत, Twitter/pib

इसराइल के साथ मोदी सरकार की नीति पर क़मर आग़ा कहते हैं कि जनसंघ के समय से ही बीजेपी इसराइल के साथ बेहतर संबंध बनाने की बात करती रही है.

भारत की विदेश नीति में इसराइल की महत्ता को समझाते हुए क़मर आग़ा बताते हैं, ''भारत के लिए इसराइल इतना महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि अमरीका के साथ भारत के रिश्ते तभी बेहतर हो सके जब उसने पहले इसराइल के साथ अच्छे रिश्ते कायम किए.''

वे आगे बताते हैं, ''भारत के संबंध फलिस्तीन के साथ भी अच्छे हैं और अन्य अरब देशों के साथ भी भारत के संबंध बरकरार हैं, इन तमाम रिश्तों पर इसराइल ने कभी आपत्ति दर्ज नहीं करवाई.''

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)