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वो शख़्स जिसने अपनी छत पर हवाई जहाज बनाया
- Author, सौतिक बिस्वास
- पदनाम, बीबीसी न्यूज़, मुंबई
सात साल पहले अमोल यादव ने अपने परिजनों और दोस्तों से कहा था कि वह अपने मुंबई के अपार्टमेंट की छत पर एक हवाई जहाज़ बनाकर दिखाएंगे.
उनके दोस्तों और परिजनों को विश्वास नहीं था कि पेशे से पायलट अमोल यह कर पाएंगे. उन्होंने उनसे सवाल किया कि अगर यह जहाज़ बन गया तो वह उसे नीचे कैसे लाएंगे. तब अमोल ने कहा था कि उन्हें इसके बारे में कुछ मालूम नहीं है.
ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप जहाज़ उड़ाने वाले अमोल में कुछ कर गुज़रने की ज़िद थी इसलिए उनके लिए नामुमकिन कुछ नहीं था. वह पांच मंज़िला इमारत में 19 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार में रह रहे थे जिसमें लिफ़्ट भी नहीं थी. वह जहाज़ के सामान, वेल्डिंग मशीन और 180 किलो के इंजन को बहुत तंग सीढ़ी के सहारे ऊपर लेकर गए.
'भारत में ऐसा पहला विमान'
भरी गर्मी और तेज़ बारिश के बीच अमोल और उनकी मंडली काम करती रही. उनके समूह में उनके अलावा एक ऑटोमोबाइल गैरेज मैकेनिक और एक वेल्डर था. एक टेनिस कोर्ट से भी छोटी 1,200 स्क्वेयर फ़ीट की छत पर तिरपाल के नीचे वे सभी काम करते थे. पिछले साल फ़रवरी में उनका 6 सीटों वाला हवाई जहाज़ तैयार हो गया था.
अमोल का कहना है कि यह भारत में ऐसा पहला विमान है जो घर में बना है. उनका दावा है कि इस विमान का इंजन इतना शक्तिशाली है कि वह इसे 13 हज़ार फ़ीट (3,924 मीटर) की ऊंचाई तक ले जा सकता है और इसमें इतना तेल आ सकता है जो 2 हज़ार किलोमीटर की यात्रा के लिए काफ़ी है.
साथ ही उनका कहना है कि यह एक घंटे में 185 नॉटिकल मील (342 किलोमीटर) तक जा सकता है. छत पर जब यह विमान तैयार हो गया तो इसके पंख दीवारों को छूने लगे. 41 वर्षीय अमोल (41) ने हाल में अपने घर में मुझे बताया था कि फिर उन्हें विमान को छत पर से नीचे लाना पड़ा और इसे लोगों को दिखाना पड़ा.
'मेक इन इंडिया'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी पहल 'मेक इन इंडिया' के तहत सरकार की योजना मुंबई में मेक इन इंडिया कार्यक्रम रखने की थी. इसलिए अमोल ने आयोजनकर्ताओं से इस विमान को दिखाने की अनुमति मांगी, लेकिन जगह की कमी के कारण उन्हें यह अनुमति नहीं दी गई.
इसके बाद उनके भाई ने कार्यक्रम के नज़दीक मुंबई के बांद्रा में एक जगह तलाशी जहां विमान को दिखाया जा सके और सुरक्षाकर्मियों से बात करके उन्हें इस 'देसी विमान' की ख़ासियतें बताईं. अमोल बताते हैं, "इसलिए हमने रात भर में इस विमान को लगाने का फ़ैसला किया ताकि इससे ही कार्यक्रम की शुरुआत हो और दुनिया इसे देख सके."
शाम में अमोल और उनके परिवार ने विमान के पुर्ज़े अलग किए. उन्होंने इंजन, पंख और बाकी हिस्सों को अलग किया. इसके बाद एक इलेक्ट्रिक क्रेन के ज़रिए छत से सड़क पर इन पुर्ज़ों को उतारा. इस दौरान भारी भीड़ इस नज़ारे को देख रही थी. कई मौकों पर क्रेन को कठिनाई आई जब 30 फ़ीट लंबा विमान का ढांचा बीच हवा में लटक गया.
तीन घंटे में विमान तैयार
अमोल कहते हैं, "मुझे लगभग हार्ट अटैक आ गया था. हमें लगा कि क्रेन टूट जाएगी और विमान के पुर्ज़े सड़क पर गिर जाएंगे. हालांकि, कुछ देर की दिक्कत के बाद क्रेन ने वापस काम करना शुरू कर दिया और वापस सब ठीक हो गया."
विमान के पुर्ज़ों को अच्छे से पैक कर दो ट्रकों के ज़रिए उस कार्यक्रम स्थल तक ले जाया गया जो तक़रीबन 25 किलोमीटर दूर था. तीन घंटे में अमोल और उनके तकनीकी साथियों ने तीन घंटे में विमान को जोड़ दिया. जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो पंडाल के नज़दीक वह विमान खड़ा था. इसने लोगों का ध्यान खींचा.
स्थानीय अख़बारों और समाचार चैनलों ने इस ख़बर को दिखाया. इसके बाद इसे देखने वालों की बाढ़ आ गई और लोग इसके साथ सेल्फ़ी लेने लगे. भारत के विमानन मंत्री, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों ने भी इसे देखा.
स्वदेशी विमान
साथ ही जितना तेज़ी से अमोल का विमान प्रसिद्ध हुआ था यह उतना ही तेज़ी से बेघर भी हो गया क्योंकि इसे वापस छत पर नहीं रखा जा सकता था. अगले 15 महीनों तक यह विमान पड़ोस के एक मंदिर में खड़ा रहा जिसके बाद इसे एक एयर शो में ले जाया गया और मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यह एक कंटेनर ट्रक में खड़ा रहा.
इस साल मई में इसे मुंबई एयरपोर्ट पर जगह मिली जहां यह एक भगोड़े अरबपति के निजी विमान के पास खड़ा है. अमोल कहते हैं कि वह व्यावसायिक रूप से भारत का पहला स्वदेशी विमान बनाने को तैयार हैं और निवेशकर्ताओं ने इसमें रुचि दिखाई है.
स्थानीय बीजेपी सरकार ने उन्हें 19 सीट वाला विमान बनाने के लिए 157 एकड़ ज़मीन देने का वादा किया है. भारत के पास 550 व्यावसायिक विमान हैं जबकि घरेलू हवाई यातायात तेज़ी से बढ़ रहा है.
हवाई यातायात
अमोल को विश्वास है कि निवेशकर्ताओं और सरकार के समर्थन से वह छोटे विमान बना सकते हैं जो क्षेत्रीय हवाई यातायात मज़बूत करेगा और नौकरी मुहैया कराएगा. हालांकि, अमोल के भारत का पहला घरेलू विमान निर्माणकर्ता बनने के सपने में अड़चन है.
स्थानीय सरकार, सांसदों और प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुरोध के बावजूद भारत के एयरलाइन रेगुलेटर ने पिछले छह सालों से इस विमान को रजिस्टर नहीं किया है और न ही इसे उड़ान के लिए सर्टिफ़िकेट दिया है. इस पर अमोल कहते हैं, "वे मुझे तंग करने के लिए नियमों में बदलाव करते रहते हैं."
वहीं, एयरलाइन रेगुलेटर ने कहा है कि नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के लिए डिज़ाइन के मानक और अव्यवसायी लोगों द्वारा विमान विकसित करने के नियम बनाने की आवश्यकता है.
गलतियों से ली सीख
1998 में अमोल ने भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक ट्रक का छह सिलेंडर वाला पेट्रोल इंजन दस हज़ार रुपये में ख़रीदा था. इससे उन्होंने पहली बार विमान बनाने का प्रयास किया था, लेकिन ग़लतियों के कारण उन्होंने यह विचार छोड़ दिया.
अगले साल उन्होंने आठ सिलेंडर वाला पेट्रोल ऑटोमोबाइल इंजन ख़रीदा और विमानन पर आधारित एक किताब पढ़कर उन्होंने विमान बनाने का सोचा. इसके बाद उन्होंने कंस्ट्रक्शन वाली जगह पर 4 साल बिताए और सड़क पर उन्होंने इसका परीक्षण किया.
2004 में वह दिल्ली गए और उन्होंने एक मंत्री से मिलकर विमान को रजिस्टर करने में मदद करने को कहा. मंत्री ने अपने घर पर विमानन मंत्रालय के अधिकारी से कहा था कि उनके विमान का टेस्ट किया जाए.
छत पर विमान
उस अधिकारी के बारे में अमोल याद करते हुए कहते हैं कि, "लेकिन अधिकारी ने कहा था कि सर वह हवा में जाएगा और क्रैश हो जाएगा." आख़िर में विमान अपने निर्माण स्थल पर था और वहां से चोरों ने उसके पुर्ज़े चोरी कर लिए.
पांच साल बाद उन्होंने तीसरी दफ़ा अपनी छत पर विमान बनाना शुरू किया और इसमें उन्होंने तक़रीबन आठ लाख डॉलर खर्च किए. अपना यह सपना पूरा करने के लिए उन्हें अपनी संपत्ति और घर के ज़ेवरात तक बेचने पड़े.
वह कहते हैं, "भारत में आम लोगों द्वारा किए गए आविष्कार को गंभीरता से नहीं लिया जाता. मुझे लगता है कि अगर मुझे विमान के लिए अनुमति मिलती है तो मैं भारत का विमानन इतिहास बना सकता हूं."
(तस्वीरें अनुश्री फडणवीस और यादव परिवार के सौजन्य से.)
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