गौहर रज़ा को 'अफज़ल प्रेमी' बताया, ज़ी पर जुर्माना

भारतीय हिंदी न्यूज़ चैनल ज़ी न्यूज़ को न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) ने मार्च 2016 में प्रसारित एक रिपोर्ट के लिए माफ़ी मांगने और एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया है.

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की इकाई एनबीएसए निजी ख़बरिया चैनलों के लिए गाइडलाइंस जारी करती है. साथ ही चैनलों के प्रसारण पर नज़र रखते हुए शिकायतों का निपटारा करती है.

मार्च 2016 में ज़ी न्यूज़ ने 'अफ़ज़ल प्रेमी गैंग का मुशायरा' टाइटल से एक प्रोग्राम अपने चैनल पर चलाया था. इस प्रोग्राम में उर्दू कवि और साइंटिस्ट गौहर रज़ा को शंकर शाद मुशायरे में पढ़ी नज़्म के लिए कथित रूप से "अफ़ज़ल प्रेमी गैंग" का सदस्य, राष्ट्रद्रोही और अफ़ज़ल गुरु का समर्थक कहा गया था.

इस मामले में जब बीबीसी ने ज़ी मीडिया के एडिटर-इन-चीफ़ सुधीर चौधरी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया. हालांकि लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुधीर चौधरी ने गाइडलाइंस का उल्लंघन या कुछ गलत किए जाने की बात से इंकार किया.

सुधीर चौधरी ने लाइव मिंट से कहा, '' गौहर रज़ा से संबंधित रिपोर्ट के प्रसारण को लेकर एनबीएसए की गाइडलाइंस का हमारी कंपनी ने उल्लंघन नहीं किया है. हम एनबीएसए के आदेश को चुनौती देने के लिए कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं.''

अफ़ज़ल गुरु को 2001 में संसद पर हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद 2013 में फांसी दे दी गई थी.

ज़ी न्यूज़ ने अपनी उस रिपोर्ट में फ़रवरी 2016 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुए कथित विरोध प्रदर्शन का विवादित फुटेज दिखाया था. इसमें ज़ी न्यूज़ ने गौहर रज़ा को शेर पढ़ते हुए भी दिखाया था.

इस मामले में चैनल से एनबीएसए ने आठ सितंबर तक माफ़ी मांगने के लिए कहा है.

एनबीएसए ने यह भी कहा है, अगर वह रिपोर्ट ज़ी न्यूज़ की वेबसाइट पर मौजूद है तो उसे डिलीट किया जाए. इस मामले में एनबीएसए के पास दो शिकायत दर्ज कराई गई थी.

एक शिकायत ख़ुद गौहर रज़ा ने अप्रैल 2016 में की थी. इसके अलावा इसी मामले में दूसरी शिकायत अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, गायिका शुभा मुदगल, कवि अशोक वाजपेयी और लेखक सईदा हमीद ने एनबीएसए प्रमुख जस्टिस आरवी रवींद्रन के पास की थी.

एनबीएसए ने 31 अगस्त को दिए अपने विस्तृत निर्देश में कहा है कि ज़ी ने गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है. एनबीएसए ने कहा है कि ज़ी न्यूज़ की उस रिपोर्ट से सत्यता, निष्पक्षता और तटस्थता को धक्का लगा है. एनबीएसए के आदेश में कहा गया है, ''प्रसारक इस रिपोर्ट में गौहर रज़ा को अपनी बात कहने का मौक़ा देने में नाकाम रहा है.''

एनबीएसए के आदेश में यह भी कहा गया है कि इस रिपोर्ट का इरादा एक मुद्दे पर पक्षपाती नज़रिए से सनसनी फैलाना था, जिसमें तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई थी.

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