योगी आदित्यनाथ की सरकार में अपने ही क्यों हैं ख़फ़ा?

इमेज स्रोत, SAMIRATMAJ MISHRA
- Author, समीरात्मज मिश्र
- पदनाम, लखनऊ से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
उत्तर प्रदेश सरकार स्वच्छ प्रशासन, कार्यकुशलता और जनता के हित में कार्य करने के जहां तमाम दावे कर रही है, वहीं उसकी पार्टी के ही ज़िम्मेदार नेता और मंत्री उस पर सवाल उठाकर सरकार की कार्यप्रणाली पर संदेह खड़े कर रहे हैं.
सरकार को बने अभी चार महीने ही हुए हैं, लेकिन पार्टी के कई नेताओं और विधायकों की तो छोड़िए एक विभाग के कैबिनेट मंत्री ही दूसरे विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके हैं.
राज्य के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र लिखकर उनके इलाक़े में बिजली व्यवस्था की अनियमतितताओं की ओर ध्यान दिलाया तो ये पत्र राजनीतिक जगत में सुर्खियों में आ गया.

इमेज स्रोत, SAMIRATMAJ MISHRA
बिजली का मुद्दा
जय प्रताप सिंह कहते हैं, "दरअसल, हमें क़रीब डेढ़ दशक से जर्जर व्यवस्था हर क्षेत्र में मिली है. ज़ाहिर है बिजली भी उनमें से एक है. हमारे इलाक़े के कुछ विधायकों ने शिकायत की बिजली की स्थिति ख़राब है. उन लोगों ने इस बारे में मुख्यमंत्री से भी बात की थी. लेकिन जब बात नहीं बनी तो हमने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखा."
जय प्रताप सिंह ने अपने पत्र में साफ़-साफ़ लिखा कि मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के निर्देशों के बावजूद उनके इलाक़े में लोगों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है और यदि यही स्थिति बनी रही तो ये पार्टी और सरकार के लिए ठीक नहीं होगा.
दरअसल, ये अकेला मामला नहीं बल्कि इस तरह के कई मौक़े आए जब पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई. हमीरपुर के एक विधायक अशोक चंदेल तो विधान सभा में कहने लगे कि छोटे-मोटे प्रशासनिक अधिकारी तक उनकी बात नहीं सुनते हैं.

इमेज स्रोत, SAMIRATMAJ MISHRA
आम आदमी तक...
वहीं बांदा ज़िले के एक विधायक राजकरन पिछले दिनों अवैध खनन के ख़िलाफ़ धरने पर बैठ गए. उनका कहना था कि प्रशासन उनकी बातें नहीं सुनता है और वो पार्टी में या मंत्रियों से शिकायत करते हैं तो उनकी सुनी नहीं जाती.
यही नहीं, पार्टी के कई सांसद भी इस बारे में अक़्सर शिकायत करते रहते हैं.
राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा इस बात को तो स्वीकार करते हैं कि कुछ जगह असंतोष हो सकता है, लेकिन उनका कहना है कि ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई होती ज़रूर है.

इमेज स्रोत, Twitter @kpmaurya1
सरकार की छवि
श्रीकांत शर्मा कहते हैं, "पार्टी में लोकतंत्र है और विधायकों से लेकर आम आदमी तक अपनी बात कह सकता है. जब तक लोग समस्याएं बताएंगे नहीं तो सरकार को पता कैसे चलेगा. रही बात उसके बाद की तो सरकार इन्हें दूर करने की पूरी कोशिश करती है. हमें ये भी पता चला है कि प्रशासन में बैठे कुछ लोगों की आदत ख़राब हो चुकी है. उन लोगों को भी चेतावनी दी गई है कि सुधर जाएं नहीं तो कार्रवाई होगी."
ऐसे ढेरों उदाहरण हैं जब राज्य के बीजेपी नेताओं ने सीधे तौर पर सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराज़गी ज़ाहिर की है.
जानकारों का कहना है कि ऐसा न सिर्फ़ अनुभवहीनता के कारण हो रहा है बल्कि इसलिए भी कि सरकार में शक्ति के कई केंद्र हैं.

इमेज स्रोत, Twitter @myogiadityanath
आदित्यनाथ के ख़िलाफ़
वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान कहते हैं, "इस सरकार में भी लगभग वही स्थिति बन गई है जैसी कि पिछली अखिलेश सरकार में थी. एक ओर मुख्यमंत्री हैं तो दूसरी ओर अमित शाह की टीम अपने कुछ लोगों के माध्यम से काम कर रही है. वहीं दूसरी ओर योगी को कोई प्रशासनिक अनुभव न होना भी ऐसी स्थितियों के लिए काफ़ी हद तक उत्तरदायी है."
शरद प्रधान ये भी कहते हैं कि पार्टी और सरकार के भीतर ही आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ एक वर्ग काम कर रहा है जो ये नहीं चाहता कि सरकार की छवि अच्छी बने.
जहां तक बीजेपी के जनप्रतिनिधियों की सरकार से नाराज़गी का मामला है तो ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी पहुंच चुका है और पिछले दिनों राज्य के दौरे पर आए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी इसका संज्ञान लिया.

इमेज स्रोत, Twitter @kpmaurya1
बताया जा रहा है कि अमित शाह ने इस बारे में सरकार के कई मंत्रियों को काफ़ी सख़्त हिदायत भी दी. उनकी हिदायत का ही नतीजा है कि अब मंत्रियों को जनप्रतिनिधियों की समस्याएं सुनने के लिए ख़ासतौर पर कहा गया है.
वहीं जानकारों का कहना है कि शिकायतों के वजह यदि समस्याएं ही होंगी तो उन्हें सुलझाया जा सकता है, लेकिन यदि वजह कुछ और होगी तो ये बात दूर तक भी जा सकती है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)












