केपीएस गिल: जिन्होंने 'खालिस्तानियों' की कमर तोड़ दी

पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक केपीएस गिल का 82 साल के उम्र में निधन हो गया है.
परिवार के एक सदस्य ने उनके निधन के ख़बर की पुष्टि की है.
पंजाब में चरमपंथ को ख़त्म करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है.
बीमार पड़ने पर उन्हें दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी छवि एक 'सुपरकॉप' के तौर पर बनी हुई है.
केपीएस गिल 1957 आईपीएस बैच असम पुलिस के अफसर थे और वो पंजाब में प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए थे.
केपीएस गिल को पंजाब में चरमपंथ को खत्म करने का श्रेय मिला वहीं मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस के तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल भी उठाए थे और फर्जी मुठभेड़ों के अनेक मामले न्यायालय में भी पहुँचे थे.
केपीएस गिल ने पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन पर सख़्त कार्रवाई की थी.
मई, 1988 में उन्होंने खालिस्तानी चरमपंथियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन ब्लैक थंडर की कमान संभाली थी. यह ऑपरेशन काफी कामयाब रहा था.
बाद में वो इंडियन डॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष भी बने.
केपीएस गिल का पूरा नाम कुंवर पाल सिंह गिल था. वो दो बार पंजाब के पुलिस महानिदेशक रहें.
वो साल 1995 में पुलिस सेवा से सेवानिवृत हुए. उन्हें 1989 में पदम श्री का अवार्ड मिला था.

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केपीएस गिल पर एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी रूपन देओल बजाज ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था.
17 साल बाद उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया गया था.
मगर गिल की सज़ा कम कर दी गई, जुर्माना भी कम कर दिया गया और जेल भी नहीं भेजा गया.
रूपन देओल बजाज ने बीबीसी के साथ इस घटना और इंसाफ़ की लंबी लड़ाई के बारे में अपनी आपबीती साझा की थी.
इस इंटरव्यू को आप बीबीसी विटनेस कार्यक्रम में देख सकते हैं.
केपीएस गिल के बारे में एक दिलचस्प वाकया है.
उन्होंने एक बार याद करते हुए सुनाया था कि जब वो 14 साल के थे तब अपनी पिता की शराब की बोतल से शराब चुराकर पीने लगे थे.
दो दिनों के बाद उनके पिता ने देखा कि उनकी बोतल से शराब खुद-ब-खुद कम होता जा रहा है तब वो समझ गए कि उनका बेटा ही शराब पी रहा है.
इसके बाद उनके पिता ने एक की बजाए दो ग्लास मंगवानी शुरू कर दी ताकि उनका बेटा चुराकर शराब पीने की जगह साथ बैठकर शराब पिए.
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