You’re viewing a text-only version of this website that uses less data. View the main version of the website including all images and videos.
Stalking को गंभीरता से कब लेना शुरू करेगी पुलिस
- Author, इमरान कुरैशी
- पदनाम, बेंगुलुरू से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
केरल मेडिकल कॉलेज में प्रेम प्रस्ताव का ठुकराना एक लड़की के लिए जानलेवा बन गया. कभी उसके दोस्त रहे शख्स ने उसे जला दिया और फिर अपनी भी जान ले ली.
दोनों की मौत पुलिस रिकॉर्ड में बस एक आंकड़ा भर है, लेकिन लड़कियों का पीछा करने की इस तरह की घटनाएं केरल या कहीं और के लिए कोई अनोखी बात नहीं है.
महिलाओँ के लिए काम करने वाले संगठन अन्वेषी की अजिता कहती हैं, "इस तरह की घटनाएं केरल में बहुत होती हैं. लड़कियों का पीछा करने के बारे में तुरंत ख़बर नहीं दी जाती क्योंकि वे थोड़ा हिचकिचाती हैं. जब परेशानी सीमा लांघ जाती है तभी वो इसके बारे में बताती हैं. पुलिस आमतौर पर ऐसे मामलों में समझौते का रास्ता अपनाती है. समझौते टूट जाएं तो ही पुलिस कार्रवाई करती है."
केरल के अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्टॉकिंग के बारे में आंकड़े देने से मना करते हुए कहा, "हम इसका ब्यौरा नहीं दे सकते कि स्टॉकिंग के खिलाफ कितने मामले दर्ज हुए हैं."
बेंगलुरु में महिलाओँ के अधिकार के लिए विमोचना बीते 40 सालों से काम कर रही है. संगठन से जुड़ी डोना फर्नांडिस कहती हैं, "महिलाएँ शिकायत नहीं करतीं क्योंकि पुलिस ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करती. पुलिस का रुख़ कुछ ऐसा होता है, 'ओह, उसने कुछ किया नहीं है. अगर वो कुछ करता है तो हमारे पास आना. ऐसा कुछ जो गंभीर हो,' वो यह नहीं समझते कि मानसिक प्रताड़ना या मानसिक शोषण भी गंभीर है."
डोना कहती हैं, "क़ानून का उद्देश्य भी बचाव का है. एक और चीज है जिसके बारे में पुलिस अधिकारियों को सोचना चाहिए. हाल के दिनों में कई क़ानून औऱ संशोधन हुए हैं जिनके बारे में वो नहीं जानते. उन्हें महिला संगठनों से भी बात करनी चाहिए जिससे कि उनकी अपनी जानकारी इस बारे में बढ़ सके."
दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार के बाद लड़कियों का पीछा करना भी यौन शोषण के दायरे में आ गया. निर्भया भी कोट्टायम की लड़की जैसी ही फिजियोथेरेपी की छात्रा थी.
लेकिन यह घटना समाज और प्रशासन में मौजूद उस सच्चाई को बयान करती है जिसमें लड़कियों का पीछा करने की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता.
ख़ासतौर से तब जब कि इसमें हिंसा ना हो. कई बार ऐसी हरकतों की वजह से मौत तक हो जाती है जैसा कि बुधवार को स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस की लाइब्रेरी में हुआ.
कोट्टायम के अस्पताल में एक लड़की और उसे जलाने वाले आदर्श की मौत हो गई, दोनों को 65 फीसदी जली हुई हालत में अस्पताल लाया गया था.
एत्तूमनूर के पुलिस इंस्पेक्टर सी जे मार्टिन कहते हैं, "वो दोनों छह महीने से दोस्त थे. मना करने के बावजूद वह उसका पीछा करता रहा."
पीड़ित लड़की ने आदर्श के पीछा करने के बारे में अलेप्पी ज़िले के कायनकुलम पुलिस थाने में कुछ समय पहले शिकायत दर्ज कराई थी.
अलेप्पी के चिंगोली गांव के पंचायत प्रमुख एच नियाज बताते हैं, "उसने पुलिस से शिकायत की थी कि आदर्श परेशान करता है. पुलिस इंस्पेक्टर ने उन दोनों को मांबाप के साथ थाने में बुलाया. उसे ये सब बंद करने को कहा. आदर्श ने लिख कर दिया था कि वो उसे भविष्य में परेशान नहीं करेगा. यह एक महीने पहले की बात है, कल वो पेट्रोल का कनस्तर लेकर गया और उस पर फेंक कर आग लगा दी."
एक छात्र जो अपनी पहचान नहीं बताना चाहता, उसने कहा,"मैं वहां नहीं था लेकिन मेरे कुछ दोस्त जो क्लास में थे उन्होंने बताया कि आदर्श क्लास में आया और उसे बुलाया. उसने बाहर जाने से माना कर दिया. कुछ देर बाद वह फिर आया तब वो लाइब्रेरी की तरफ भागी. उसी वक्त उसने पेट्रोल फेंका और माचिस जला दी."
इस छात्र ने बताया,"हम सब जानते हैं कि उसने उसके खिलाफ पहले शिकायत की थी."
ये छात्र पीड़ित लड़की की ही क्लास में था. महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिकल एजुकेशन में दोनों फिजियोथेरेपी कोर्स के तीसरे साल में थे.
आदर्श ने अपना कोर्स पूरा कर लिया था लेकिन उसे एक पेपर में अभी पास होना था. इसी वजह से उसे कैम्पस में आने जाने की अनुमति थी.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)