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रविवार, 26 अक्तूबर, 2008 को 22:49 GMT तक के समाचार
 
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करियर से ख़ुश तो हूँ पर संतुष्ट नहीं
 

 
 
तुषार कपूर
गोलमाल में भी तुषार ने काम किया था
तुषार कपूर ने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी ख़ास जगह तो बनाई है लेकिन उनके करियर में ऊतार-चढ़ाव भी ख़ूब रहा है. अपने सात साल के करियर में तुषार ने कई हिट फ़िल्में दी हैं लेकिन उनके खाते में फ़्लॉप भी कम नहीं हैं.

तुषार कपूर ने कॉमेडी फ़िल्मों में अपनी अच्छी जगह बना ली है. इसी का नमूना है उनकी आने वाली फ़िल्म गोलमाल रिटर्न्स.

तुषार ने इस फ़िल्म और अपने करियर पर बीबीसी के साथ खुल कर बात की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.

वर्ष 2001 में आपकी पहली फ़िल्म आई थी मुझे कुछ कहना है...सात साल हो गए हैं. इस बीच खाकी, क्या कूल हैं हम, गोलमाल, शूटआउट ऐट लोखंडवाला जैसी हिट फ़िल्में आईं लेकिन कुछ फ़िल्में नहीं भी चली. आप संतुष्ट हैं अपने करियर से?

स्लो एंड स्टेडी...इसी तरह मेरा करियर बढ़ता जा रहा है. अपनी फ़िल्म के समय जिस मकाम पर मैं था, उससे तो बहुत आगे बढ़ आया हूँ पर मुझे और आगे जाना है. मैं खुश तो हूँ पर संतुष्ट नहीं हूँ.

आपने बहुत सारी मल्टीस्टारर फ़िल्मों में काम किया है, लोग कहते हैं कि ऐसी फ़िल्मों में ये डर रहता है कि भीड़ में आप खो न जाएँ?

जिन मल्टीस्टारर फ़िल्मों में मैने काम किया है उनसे मुझे फ़ायदा ही मिला है. शूटआउट और गोलमाल जैसी फ़िल्मों से मुझे ज़्यादा फ़ायदा हुआ है बजाय उन फ़िल्मों के जिनमें मैं अकेला हीरो था.

हर तरह की फ़िल्में करनी चाहिए, रोल पर निर्भर करता है, फ़िल्म पर निर्भर करता है. आज ज़माना बदल गया है. चाहे आप मल्टीस्टारर में हों या सोलो फ़िल्म में..आपका काम अच्छा होना चाहिए. आप मल्टीस्टारर से भी स्टार बन सकते हैं.

आपकी नई फ़िल्म आ रही है गोलमाल रिटर्न्स. गोलमाल में तो आपके किरदार लकी को बहुत पसंद किया गया था जो बोल नहीं सकता था. गोलमाल रिर्टन्स में भी आप वही किरदार निभा रहे हैं?

गोलमाल रिटर्न्स में मेरा किरदार वही है लकी जो गोलमाल में था लेकिन कहानी एकदम नई है. ये वहाँ से शुरु नहीं होती जहाँ गोलमाल ख़त्म हुई थी.

 जिन मल्टीस्टारर फ़िल्मों में मैने काम किया है उनसे मुझे फ़ायदा ही मिला है. शूटआउट और गोलमाल जैसी फ़िल्मों से मुझे ज़्यादा फ़ायदा हुआ है बजाय उन फ़िल्मों के जिनमें मैं अकेला हीरो था
 

फ़िल्म को चारों हीरो- उनके नाम तो वही हैं लेकिन अब उनके बीच रिश्ता वो नहीं रहा. अजय देवगन, मैं और करीना एक ही घर में रहते हैं, अजय करीना की बीवी है और मेरी बहन है.

कहानी यही है कि इस कहानी में क्या गोलमाल होता है जिसके कारण अरशद वारसी और श्रेयस तलपड़े भी इसमें शामिल हो जाते हैं. भरपूर मनोरंजन वाली फ़िल्म है जिसमें लोग अपनी परेशानियों को भूल सकते हैं.

आपने गोलमाल रिटर्न्स में ऐसे व्यक्ति का रोल निभाया है जो बोल नहीं सकता. ऐसे में बहुत कुछ शायद हाव-भाव के ज़रिए ही जताना होता है, क्या ये रोल ज़्यादा चुनौतीपूर्ण था?

चुनौतीपूर्ण तो था. मैं फ़िल्म में बोल नहीं सकता लेकिन सुन सकता हूँ. इसलिए मुझे पता है कि आवाज़ें निकालना क्या होता है. वो उन आवाज़ों को ज़रिए भी लोगों से संपर्क बनाता है.

हाव-भाव के ज़रिए भी बात करता है. पिछली फ़िल्म में शरमन जोशी मेरी बात समझकर दूसरों को समझाता था लेकिन इस फ़िल्म में ऐसा नहीं था, इसलिए रोल और चुनौतीपूर्ण था. यहीं से ह्यूमर भी आता है फ़िल्म में.

इस तरह के रोल होते हैं, जिसमें आप देख नही सकते, सुन नहीं सकते....एक डर होता है कि कॉमिक होने के चक्कर कहीं असंवेदनशील न दिखे....इसमें कैसे तालमेल बिठाया?

मेरी राय तो ये है कि अगर आप ऐसे किरदारों को बहुत ही ज़्यादा सहानुभूति से फ़िल्मों में दिखाते हैं तो इससे वो नीचा दिखते हैं.

इससे उलट अगर आप ऐसे लोगों को स्वीकार करें भले ही हँसी मज़ाक के ज़रिए ही सही, तो आप उन्हें समान दर्जा देते हैं. अगर उन्हें सहानुभूति दिखाते हैं तो इससे लगता है कि वो हम लोगों से किसी तरह से कम हैं.

लेकिन अगर हम ऐसे किरदारों को अपनी हँसी-मज़ाक में शामिल करते हैं तो उन्हें एक समान दर्जा देते हैं.

करीना के साथ आपने बहुत सालों के बाद गोलमाल रिटर्न्स में काम किया है, आपकी पहली फ़िल्म मुझे कुछ कहना है करीना के साथ ही थी. दोबारा काम करना कैसा रहा. बतौर सह अभिनेत्री कैसी हैं वो?

करीना बहुत बदल गई हैं तब से, तब उनमें बहुत बचपना था. अब परिपक्व हो गई हैं. आज जिस मकाम पर करीना हैं वहाँ तक पहुँचने में बहुत मेहनत करनी पड़ी है उन्हें.

मेहनत का नतीजा और असर उनके काम पर नज़र आता है. वो बहुत ही संवेदनशील है, बहुत ही मँझी हुई अभिनेत्री बन गई हैं.

 
 
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