शनिवार, 07 अप्रैल, 2007 को 09:42 GMT तक के समाचार
कोमल नाहटा
वरिष्ठ फ़िल्म पत्रकार
उपेन पटेल निर्माता-निर्देशक सुनील दर्शन के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने उन्हें शाकालाका बूम बूम में हीरो का रोल दिया. इससे पहले फ़िल्मों में उपेन के रोल छोटे थे चाहे वो 36 चायना टाउन हो या फिर नमस्ते लंदन.
लेकिन शाकालाका बूम बूम में उपेन और बॉबी दयोल दोनों की भूमिका लंबाई में और अहमियत दोनों में बराबरी की है.
इसलिए लंदन में पले-बढ़े उपेन की भगवान से प्रार्थना है कि सुनील की फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर अपनी छाप छोड़ जाए. उपेन कहते हैं- मेरे लिए सुनील दर्शन पिता समान हैं.
वो तो ठीक है लेकिन अगर ये बात सुनील दर्शन ने सुन ली तो वे ग़ुस्सा भी आ सकता है. क्योंकि वे उम्र में इतने बड़े भी नहीं हैं कि उपेन जैसा नौजवान उन्हें बाप जैसा कहे.
उपेन प्यारे, अगली बार बड़े भैया पर रुक जाना. नहीं तो पता चलेगा कि सुनील दर्शन की फ़िल्म में कोई और हीरो आ गया.
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टूटा नहीं है भ्रम
एक अप्रैल को मलेशिया में ज़ी सिने अवार्ड संपन्न हो गया. इस पुरस्कार समारोह में शामिल होने के लिए भारत से कई हस्तियाँ मलेशिया गई थी.
उनमें थे सलमान ख़ान और विधु विनोद चोपड़ा. दोनों एक ही हवाई जहाज़ में सफ़र कर रहे थे. उनके साथ सफ़र करने वालों के लिए तो मानों मुफ़्त का मनोरंजन हो गया.
क्योंकि पाँच घंटों की उड़ान में इन दोनों की नोंक-झोंक चालू ही रही. एक वक़्त आया जब सलमान ने बिना झिझक विनोद चोपड़ा से कह दिया- आपकी एकलव्य तो बॉक्स ऑफ़िस पर पिट गई.
इस पर विनोद ने जवाब दिया- अरे यार, तुमने फ़िल्म देखी ही नहीं तो कैसे कह सकते हो. पत्रकारों की लिखी रिपोर्ट पर ना जाओ.
इसका मतलब ये है कि अभी भी विनोद चोपड़ा उसी भ्रम में हैं कि उनकी एकलव्य बॉक्स ऑफ़िस पर चल गई थी. चलो अच्छा है वरना शायद वो अमिताभ बच्चन से रॉल्स रॉयस कार वापस ले लेते.
आपको याद ही होगा कि अमिताभ बच्चन के काम से ख़ुश होकर विधु विनोद चोपड़ा ने उन्हें ढाई करोड़ की रॉल्स रॉयस कार तोहफ़े में दी थी.
हालाँकि अंदर की बात ये है कि अमिताभ बच्चन ने इस फ़िल्म में काम करने के लिए पैसे की बजाए कार ले ली थी.
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फ़िल्म के लिए समय कहाँ
बॉलीवुड के जाने-माने कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर मनीष मल्होत्रा के मुंबई वाले स्टोर में पिछले दिनों दो सुंदरियाँ आईं. एक थीं रेखा और दूसरी श्रीदेवी.
दोनों ने मनीष के बनाए कपड़े ख़रीदे और मनीष इससे इतने गदगद हुए कि आजकल वे फूले नहीं समा रहे.
मुंबई से पहले मनीष मल्होत्रा ने दुबई में अपना स्टोर खोला था. दो स्टोरों की ज़िम्मेदारी, टॉप हीरोइनों के कपड़े तैयार करना, कभी-कभी बड़े लोगों की शादियों के लिबास तैयार करना- इन सबसे मनीष को भला फ़ुरसत मिले तो वे अपनी फ़िल्म बना सकें.
मनीष कहते हैं- फ़िल्म तो बनेगी, बस शुरू होने में थोड़ा वक़्त ज़रूर लगेगा. पढ़ने वालों को ये याद होगा कि मनीष निर्माता सुनील दर्शन के लिए एक फ़िल्म का निर्देशन करने वाले थे.
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सच्ची दोस्त
करीना कपूर ने क्या लव स्टोरी है, में डांस करके साबित कर दिया कि वो एक सच्ची दोस्त हैं. लवली सिंह इस फ़िल्म के निर्देशक हैं. करीना की मुझे कुछ कहना है में वे सतीश कौशिक के सहायक हुआ करते थे.
जब लवली ने करीना को उनकी पहली फ़िल्म में एक गाने पर डांस करने को कहा तो करीना ने एक मिनट में हामी भर दी. गाने के लिए बेबो ने चार दिन भी दिए लेकिन शूटिंग के पहले दिन ही वो बीमार पड़ गईं.
फिर भी करीना ने दो दिनों तक डांस किया. तीसरे दिन जब उनकी हालत ज़्यादा ख़राब हो गई तो लवली ने शूटिंग कैंसिल कर दी. जब करीना की तबीयत ठीक हुई जब बाक़ी शूटिंग ख़त्म की गई.
और पता है, करीना ने इस गाने के लिए एक पैसा नहीं लिया. क्या दोस्ती है.
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प्रोवोक्ड इफ़ेक्ट
सुप्रीम कोर्ट की वकील रानी जेठमलानी ऐश्वर्या राय की प्रोवोक्ड से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने कहा-इस फ़िल्म ने दो घंटों में वो कर दिखाया जो हम 20 वर्षों से करने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रोवोक्ड में ऐश्वर्या अपने पति की मारपीट से परेशान होकर उसको जला डालती हैं. ये लंदन में रहने वाली भारतीय किरणजीत अहलूवालिया की सच्ची कहानी पर आधारित है.
इस कोर्ट केस की वजह से अदालत ने 'उकसावे (प्रोवोकेशन)' शब्द का स्कोप बढ़ा दिया था.
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यूँ ही नहीं मिलता प्यार
अक्सर देखा जाता है कि एक अभिनेता जैसे ही कामयाबी की सीढ़ी चढ़ता है, वो घमंडी हो जाता है. लेकिन प्रियंका चोपड़ा के साथ ऐसा नहीं है.
वो जितनी कामयाब होती जा रही हैं, उतनी ही सरल भी. जब वो किसी फ़ंक्शन में जाती हैं, तो वहाँ मौजूद सभी लोगों से बहुत प्यार से मिलती हैं.
वो चाहे कोई निर्माता हो, निर्देशक हो या फिर यूनिट का कोई छोटा आदमी. प्रियंका की इसी आदत ने उन्हें सबकी प्यारी बना दिया है.
हाल ही में जब प्रियंका चोपड़ा मुंबई एयरपोर्ट पर फ़्लाइट पकड़ने गईं तो वहाँ खड़े अन्य फ़िल्मवालों चाहे वो बड़ा कलाकार हो या छोटा- सबसे गले मिलीं.
और तो और प्रियंका चोपड़ा हवाई अड्डे के कर्मचारियों के साथ भी काफ़ी उत्साह से मिलीं. भई, यूँ ही नहीं मिलता लोगों का प्यार.