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बुधवार, 11 अक्तूबर, 2006 को 12:19 GMT तक के समाचार
 
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ख़ानदानी लेखिका हैं किरण देसाई
 
महिला लेखक किरण देसाई
किरण का उपन्यास एक नाराज़ न्यायाधीश की कहानी पर आधारित है
बुकर पुरस्कार जीतने वाली उपन्यासकार किरण देसाई 1971 में भारत में पैदा हुईं और उनकी पढ़ाई भारत, इंग्लैंड और अमरीका में हुई.

किरण जानी-मानी लेखिका अनिता देसाई की सुपुत्री हैं.

अनिता देसाई को भी तीन बार बुकर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन एक भी बार पुरस्कार उनकी झोली में नहीं आ सका.

किरण ने अपना पहला उपन्यास ‘हलाबालू इन द ग्वावा ऑरचर्ड’ लिखा और इसके लिए बेट्टी ट्रस्ट पुरस्कार जीता.

'द इनहैरिटेंस ऑफ़ लॉस' उनका दूसरा उपन्यास है जिसके लिए उन्हें बुकर पुरस्कार दिया जा रहा है.

दिलचस्प बात ये है कि किरण फ़िलहाल न्यूयॉर्क में रचनात्मक लेखन की पढ़ाई कर रही हैं और उन्हें यह उपन्यास लिखने में आठ साल का लंबा समय लगा.

पैंतीस वर्षीय किरण देसाई का उपन्यास कैंब्रिज में पढ़े हुए एक अवकाशप्राप्त न्यायाधीश के जीवन पर आधारित है, जो हिमालय क्षेत्र में कंचनजंघा पर्वत की तलहटी में एक टूटे-फूटे मकान में रहता है.

यहाँ शांति की खोज में आए न्यायाधीश का मन उस वक़्त अशांत हो जाता है जब उनकी अनाथ पोती वहाँ आ धमकती है.

किरण बुकर पुरस्कार जीतने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की महिला हैं. इससे पूर्व भारत की ही अरुंधती राय ने 1997 में 36 साल की उम्र में यह सम्मान हासिल किया था.

बेन ओकेरी बुकर सम्मान पाने वाले सबसे युवा लेखक हैं. उन्होंने 1991 में यह पुरस्कार हासिल किया था और उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 32 साल थी.

 
 
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