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विवादों के बीच कला की नुमाइश | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जर्मनी में तमाम विवादों के बीच एडोल्फ़ हिटलर के पसंदीदा मूर्तिकार अर्नो ब्रेकर की मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई गई है. श्वेरीन शहर में आयोजित प्रदर्शनी को द्वितीय विश्व युद्ध के बार ब्रेकर की कृतियों की पहली प्रमुख प्रदर्शनी बताया जा रहा है. जहाँ नाज़ी नेता से निकट संबंध रखने वाले अर्नो ब्रेकर की मूर्तियों की नुमाइश का विरोध करने वालों का एक बड़ा वर्ग है, वहीं ऐसे कलाप्रेमियों भी बड़ी संख्या में हैं जो प्रदर्शनी को सही ठहराते हैं. ब्रेकर के समर्थकों का एक तर्क ये भी होता है कि उन्होंने हिटलर पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल पाब्लो पिकासो को यातना शिविर में भेजे जाने से बचाने में किया था. ब्रेकर की सबसे मशहूर तस्वीर वो है जिसमें उन्हें जर्मन क़ब्ज़े के दौरान पेरिस में एफ़िल टॉवर के सामने हिटलर के साथ खड़ा दिखाया गया है. नोबेल पुरस्कार विजेता जर्मन लेखक गुंटर ग्रास का कहना है कि ब्रेकर की कला पर निगाह डालने का यह सही वक़्त है. उल्लेखनीय है कि ब्रेकर की बनाई आर्य महामानव की दीर्घाकार मूर्तियाँ अभी भी बर्लिन के ओलंपिक स्टेडियम को सुशोभित कर रही हैं. ज़्याँ कोकटो और सल्वाडोर डाली जैसे बड़े कलाकार अर्नो ब्रेकर की कला के प्रशंसकों में से रहे हैं. | इससे जुड़ी ख़बरें उम्रक़ैद ने बना दिया कलाकार23 जून, 2006 | मनोरंजन सड़कों पर रिक्शे से कैनवस पर कूची तक28 मई, 2006 | मनोरंजन पिकासो की पेंटिंग को मिली भारी क़ीमत04 मई, 2006 | मनोरंजन आदिवासी कला के कलाकार ग़ैर आदिवासी27 फ़रवरी, 2006 | मनोरंजन 2500 साल पुरानी कलाकृति होगी वापस21 फ़रवरी, 2006 | मनोरंजन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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