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गुरुवार, 23 फ़रवरी, 2006 को 15:20 GMT तक के समाचार

आकाश सोनी
बीबीसी संवाददाता, लंदन से

बँटवारे से आगे...

भारत पाकिस्तान के संबंधों का मुद्दा हो, या कश्मीर या फिर हिंदू-मुस्लिम संबंधों का – ये ऐसे विषय हैं जिनके कटु सत्यों पर बात किए बिना भविष्य का रास्ता साफ़ होना मुश्किल है.

कुछ इसी तरह का संदेश लिए बनी है एक नई डॉक्युमेंट्री फ़िल्म – 'बियॉंड पार्टीशन'.

ये फ़िल्म एक कोशिश है भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की फ़िल्मों के आईने के ज़रिए विभाजन और उसके बाद के हालात को देखने और समझने की.

फ़िल्म के निर्माता ललित मोहन जोशी इसमें कुछ चुभते हुए प्रश्न उठाने से कतराए नहीं हैं.

जोशी बताते हैं, "जब में साउथ एशियन सिनेमा पत्रिका के भारत-पाकिस्तान बँटवारे को समर्पित अंक का संपादन कर रहा था तभी बियाँड पार्टीशन फ़िल्म के विचार ने जन्म ले लिया."

"मैं यह देखकर चकित था कि बँटवारे के साठ साल बाद भी किसी ने बँटवारे को फ़िल्मकारों की नज़र से देखने की कोशिश नहीं की हालाँकि गुलज़ार, गोविंद निहलानी, यश चौपड़ा जैसे फ़िल्मकार ख़ुद बँटवारे का शिकार हो चुके थे. बस मैंने तय कर लिया कि मुझे इस पर काम करना है. "

ललित मोहन जोशी कहते हैं, "एक फ़िल्मकार के तौर पर मेरा ख़याल है कि भारत में साठ साल पुरानी हिंदू-मुस्लिम अदावत और कश्मीर मुद्दे पर भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद बँटवारे की ही देन है. फ़िल्म का संदेश यही है कि हमें इस खाई को पाटना है."

उनका कहना है कि यह फ़िल्म किसी का पक्ष नहीं लेती बल्कि सच बयान करती है.

शायद यही कारण था कि लंदन के उच्चायोग से जुड़े नेहरू कला केंद्र ने लंबी बहस के बाद ये फ़िल्म दिखाई.

फ़िल्म देखने वाल अनेक दर्शकों में थे मासूम और एलिज़ाबेथ जैसी फ़िल्में बनाने वाले शेखर कपूर और मंजे हुए अभिनेता सईद जाफ़री.

बँटवारा और राजनीति

शेखर कपूर का कहना था कि साम्राज्यवादी ताक़तों ने चाहे इराक़ से अलग करके कुवैत बनाया हो चाहे भारत का विभाजन करके पाकिस्तान – अब समय आ गया है कि इन देशों के लोगों को ये समझना चाहिए कि राजनीति का शिकार होते रहने की बजाय इन देशों में रहने वाले लोग मिलकर रहेंगे फिर वो चाहे शिया हों या सुन्नी, हिंदू या मुसलमान.

जाने माने अभिनेता सईद जाफ़री का कहना था कि हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर बेबाकी से बात करने के लिए फ़िल्म बनाने वाले बधाई के पात्र हैं.

डॉक्युमेंट्री में भारत और पाकिस्तान की कई जानी मानी हस्तियों के इंडरव्यू हैं मसलन विभाजन पर कई फ़िल्में बनाने वाले श्याम बेनेगल, 'तमस' बनाने वाले गोविंद निहलानी, 'पिंजर' बनाने वाले चंद्रप्रकाश द्विवेदी, जानी मानी फ़िल्म 'गर्म हवा' बनानेवाले एम एस सथ्यू, कराची में जन्मीं सबीहा समर, जिन्होंने 'ख़ामोश पानी' बनाई थी और ऐसे कई और जाने माने फ़िल्मकार.

'बियॉन्ड पार्टीशन' देखने के बाद श्याम बेनेगल का कहना था कि विभाजन और उससे जुड़े विषयों पर डॉक्युमेंट्री फ़िल्में तो बनी हैं लेकिन जो बात इस फ़िल्म को अलग करती है– “वो ये है कि फ़िल्म पूरे मामले को दूर से अलग खड़े होकर देखती है."

"सिर्फ़ भारत या सिर्फ़ पाकिस्तान के पक्ष को ये फ़िल्म नहीं रखती, कटु अनुभवों से गुज़रे दोनों देशों के लोगों के लिए सच्चाई सामने ला देने वाली ऐसी फ़िल्मों की ज़रूरत है.”