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भारत-पाक के बीच जुड़ा सुर का रिश्ता | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बीबीसी हिंदी और उर्दू ने कराची और मुंबई में दो घंटे की एक साझा संगीत सभा का आयोजन किया जिसका रेडियो और वेबसाइटों पर सीधा प्रसारण किया गया. 'कौन चलाता है आपकी दुनिया' श्रृंखला के तहत आयोजित इस संगीत सभा का उद्देश्य यह जानना भी था कि भारत और पाकिस्तान के कलाकारों को जोड़ने वाली ताक़त कौन सी है. मुंबई में कमान संभाली हिंदी सेवा की प्रमुख अचला शर्मा ने, उनके साथ थीं प्रख्यात गायिका शुभा मुदगल और कराची में बीबीसी से संवाददाता ज़फ़र अब्बास के साथ मौजूद थीं सूफ़ी संगीत की सबसे नामी गायिका आबिदा परवीन. इनके अलावा, कार्यक्रम में कई विशेष अतिथि भी मौजूद थे जिन्होंने इस बात पर चर्चा की कि किस तरह संगीत दोनों देशों को आपस में जोड़ने का माध्यम बन सकता है. भारत के विभाजन के यथार्थ को अगर किसी ने ठोस चुनौती दी है तो वो है संस्कृति की आवाज़. जो भारत और पाकिस्तान की सरहदों की मोहताज नहीं रही... सुर का रिश्ता तमाम संघर्षों के थपेड़े झेल कर भी बुलंद होता रहता. कार्यक्रम में शामिल मशहूर शायर जावेद अख़्तर ने इसे यूं बयान किया, "रोक सकता हमें ज़िंदाने बला क्या मज़रूह, हम तो आवाज़ हैं दीवार से छन जाते हैं." बीबीसी हिंदी-उर्दू की साझा प्रस्तुति सुर का रिश्ता इसी तर्ज़ पर है. क्या जोड़ता है हमें. मुंबई में कार्यक्रम का संचालन करते हुए अचला शर्मा ने सवाल रखा क्या संगीत में यह ताकत है. साझा विरासत जावेद अख़्तर ने इसका जवाब दिया अपने अनूठे अंदाज़ में. उन्होंने कहा, "इतने वर्षों से यही लोग तो ये काम कर रहे हैं, इनके अलावा तो किसी ने कुछ किया ही नहीं. दोनों मुल्कों की सियासतें नफ़रतें बोती रहीं और जंग काटती रहीं, ऐसे में दोनों देशों के लोगों को किसी ने एकजुट रखा है वो फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, लता मंगेशकर, नुसरत फ़तेह अली और अमिताभ बच्चन जैसे लोग हैं." कराची से कार्यक्रम में शामिल पाकिस्तानी लेखक अनवर मक़सूद कहते हैं कड़वाहट के दौर में भी कलाकार ही थे जिन्होंने नफ़रत की आंधी को थामने की कोशिश की. उन्होंने कहा, "लड़ाई के ज़माने में लता जी का एक गीत भारत में मशहूर हुआ जो हमारे क़ौमी शायर इक़बाल ने लिखा था, सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा, यही तो मोहब्ब्त की निशानी है." मुंबई में सुर का रिश्ता संगीत सभा की शुरुआत की शुभा मुदगल ने पाकिस्तानी शायर फ़ैज अहमद फ़ैज़ के कलाम के साथ की. मुंबई के कार्य़क्रम में जावेद अख़तर के साथ विशेष मेहमान थे फ़िल्मकार गोविंद निहलानी और अभिनेत्री किरन खेर. किरन खेर ने कहा कि जब दो मुल्कों के बीच फ़िजा बदल रही है तो अब सरहदों पर बाड़ क्यों. फ़िल्मकार गोविंद निहलानी ने बहस को आगे ले जाते हुए कहा विभाजन एक यथार्थ है जिसकी कड़वाहट बरकरार रखना कुछ लोगों के हित में भले हो कलाकारों को इसे बदलने के लिए दबाव बढ़ाना होगा. लेकिन सुर जो स्वच्छंद है, मुक्त है, ज़ख्मी रिश्तों में रोज़ नई जान फूंकता बहता रहता है और बीबीसी के दो घंटे की इस अनूठी संगीत सभा की तरंगें सीमा के आरपार हवा की तरह महक की तरह फैलती गई हैं. |
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