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कल्पना चावला के जीवन पर चित्रकथा | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारतीय मूल की दिवंगत अंतरिक्ष विज्ञानी कल्पना चावला के जीवन पर एक चित्रकथा प्रकाशित की गई है. वर्ष 2003 में कल्पना चावला की मृत्यु कोलंबिया अंतरिक्ष यान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर हो गई थी. कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्हें भारत की युवा पीढ़ी प्रेरणास्रोत के रूप में देखती है. प्रकाशक का कहना है कि यह चित्रकथा सात से 14 वर्ष के बच्चों के लिए है और इसमें हरियाणा के करनाल शहर में उनके जन्म से लेकर अंतरिक्ष यात्रा पर जाने तक की प्रेरणादायी कहानी है. अमर चित्रकथा नाम श्रंखला के इस ताज़ा प्रकाशन में बच्चों को आसान भाषा में कल्पना चावला की उपलब्धियों के बारे में बताने की कोशिश की गई है. अमर चित्रकथा के प्रकाशक इंडिया बुक हाउस का कहना है कि वे इस तरह की और चित्रकथाएँ नई पीढ़ी के लिए छापना चाहते हैं. इंडिया बुक हाउस की पूजा वीर कहती हैं, "हमने पहले मिथकीय पात्रों पर चित्रकथा बनाई, उसके बाद ऐतिहासिक चरित्रों पर और अब हम मौजूदा दौर के प्रेरणादायक पात्रों की श्रृंखला शुरू कर रहे हैं." पूजा कहती हैं, "हम ऐसी कहानियाँ देना चाहते हैं जिन्हें आज के बच्चों को पढ़ना चाहिए और 20 वर्ष बाद के बच्चे पढ़ना चाहेंगे." वे कहती हैं, "अगर इस चित्रकथा से दो बच्चों को भी प्रेरणा मिली और उन्होंने अपना सपना साकार किया तो हमारा काम पूरा हो जाएगा." इस चित्रकथा को बच्चों और उनके अभिभावकों ने हाथों-हाथ लिया है, एक अभिभावक मनीषा सामंत कहती हैं, "कल्पना चावला रोल मॉडल हैं, उन्होंने एक छोटे शहर में पैदा होकर भारत का नाम दुनिया में रोशन किया हमें बच्चों को ऐसे लोगों के बारे में बताना चाहिए." इसी तरह पंद्रह वर्ष की मेघना पटौदिया कहती हैं कि वे कल्पना चावला से बहुत प्रभावित हैं और अंतरिक्ष विज्ञानी बनना चाहती हैं, उनका मानना है कि बच्चों को कल्पना चावला के बारे में बताने का यह बहुत अच्छा तरीक़ा है. |
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