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विवेक और ऐश्वर्या में 'क्यों, हो गया ना?' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बॉलीवुड की सबसे लोकप्रिय मानी जाने वाली अभिनेत्री ऐश्वर्या राय जब उनकी 'असल ज़िंदगी के हीरो' के तौर पर लोकप्रिय हो रहे विवेक ओबरॉय के साथ पर्दे पर दिखीं तो सबका यही कहना था, 'क्यों, हो गया न!' मगर दर्शकों को फ़िल्म से जो अपेक्षाएँ थीं वो जैसे पूरी नहीं हुईं और नतीजा बॉक्स ऑफ़िस पर फ़िल्म का बेहद ख़राब प्रदर्शन. रिलीज़ होने के हफ़्ते भर के अंदर ही फ़िल्म पर 'फ़्लॉप' होने का ठप्पा सा लगा दिया गया है. विवेक और ऐश्वर्या के संबंधों को लेकर फ़िल्मी पत्रिकाएँ तो जैसे भरी ही पड़ी हैं हालाँकि दोनों ही खुलकर इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार करते हैं. फ़िल्म में विवेक नज़र आते हैं नायक अर्जुन के रूप में और ऐश्वर्या हैं दिया के रूप में. निजी ज़िंदगी में दोनों के बीच प्यार का इज़हार हुआ हो या न हुआ हो मगर विवेक फ़िल्म में ज़रूर ऐश्वर्या से प्रेम का इज़हार करते हैं. इन दोनों के होने की वजह से ही फ़िल्म से लोगों ने उम्मीदें काफ़ी बाँध ली थीं मगर न तो दर्शकों की उम्मीदें पूरी हुई हैं और न ही फ़िल्म यूनिट की उम्मीदें पूरी होती दिख रही हैं. इसकी पब्लिसिटी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई थी मगर समीक्षकों के अनुसार फ़िल्म की कहानी में दम नहीं होने की वजह से फ़िल्म पहले हफ़्ते में ही बॉक्स ऑफ़िस पर दम तोड़ती नज़र आ रही है. हालाँकि फ़िल्म में बिग बी अमिताभ बच्चन भी हैं मगर उनकी भूमिका भी लोगों को खींच नहीं पा रही है. अपनी भूमिका के बारे में अमिताभ कहते हैं, "बहुत दिनों के बाद ऐसा हल्का-फुल्का रोल कर रहा हूँ. ज़ाहिर है कि एक कलाकार की हैसियत से हमें जो मिले उसे करना चाहिए." 'कहानी में दम नहीं' मगर इस भूमिका से समीक्षक बहुत ख़ुश नहीं हैं. फ़िल्म आलोचक इंदु मीरानी के अनुसार, "फ़िल्म के कैरेक्टर काफ़ी मज़बूत नहीं हैं. वे बस आते हैं जाते हैं. उनका कोई मतलब नहीं लगता."
इस फ़िल्म के अंत में अमिताभ ही विवेक और ऐश्वर्या को मिलाने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं मगर असल ज़िंदगी में ये काम किया फ़िल्म के निर्देशक समीर कार्णिक ने. समीर कार्णिक कहते हैं, "विवेक और ऐश्वर्या पहली बार मिले तो क्यों हो गया न के ही सेट पर. फ़िल्म में उन्होंने बहुत बढ़िया काम किया." बतौर निर्देशक समीर की ये पहली फ़िल्म है. आज कल की फ़िल्मों के रुझान को देखते हुए फ़िल्म के संवाद ऐसे हैं जो आज कल की युवा पीढ़ी आम तौर पर इस्तेमाल करती है. इस फ़िल्म में भी परिवार के सदस्यों के बीच बेहद प्यार का माहौल, आपसी प्यार, देर रात तक तारों को ताकना जैसे फ़ॉर्मूले अपनाए गए हैं. मगर इंदु मीरानी कहती हैं कि फ़िल्म की कहानी में तो दम ही नहीं है. उनके अनुसार, "ऐश्वर्या और विवेक के बीच जो विवाद दिखाया जाता है वो बहुत अजीब सा है. एक पारंपरिक शादी का समर्थक है तो दूसरा प्रेम विवाह का. अब ये विवाद इतना बड़ा नहीं है कि दोनों के बीच संबंध विच्छेद की नौबत आ जाए." मीरानी के अनुसार फ़िल्म वास्तविकता से कहीं दूर है. फ़िल्म में कुछ मज़ेदार लम्हे हैं लेकिन मध्यांतर के पहले फ़िल्म कहीं-कहीं खिंच जाती है. शायद इसी का नतीजा दिख रहा है बॉक्स ऑफ़िस पर और दर्शक कह रहे हैं 'बस, हो गया न!'. |
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