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भारत के बाहर का भारत
न्यूयॉर्क से सलीम रिज़वी भारत से बाहर रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने दुनिया भर में कई क्षेत्रों अपना लोहा मनवाया है. बात चाहे शिक्षा के क्षेत्र की हो या सूचना तकनालाजी की हर क्षेत्र में भारतीयों ने विदेशों में अपने परचम लहराए हैं. अब बारी है फ़िल्मों की.
इसी तरह की फ़िल्मों का एक समारोह न्यूयॉर्क में 5 नवंबर से शुरु होने वाला है. इस समारोह के लिए जमा हुए फ़िल्मकारों से भेंट करने बॉलिवुड के अभिनेता और भारतीय विदेश उपमंत्री विनोद खन्ना भी न्यूयॉर्क पहुँचे. पाँच दिनों तक चलने वाले इस समारोह में कई फ़िल्में दिखाई जाएंगी. इनमें पैमेला रूक्स की, 'डाँस लाइक अ मैन', निशा गणतारा की 'कॉसमोपोलिटन' और नागेश कुकुनूर की 'तीन दीवारें' शामिल हैं. 'डांस लाइक अ मैन' में अनुश्का शंकर अपने अभिनय के कैरियर की शुरुआत कर रहीं हैं. 'कॉस्मोपोलिटन' यूँ तो अँग्रेजी में है लेकिन उसमें भी ठेठ बॉलिवुड स्टाइल में एक गाना फ़िल्माया गया है. इस समारोह के आख़िरी दिन बेहतरीन फ़िल्मों और फ़िल्मकारों को पुरस्कृत किया जाएगा और ये पुरस्कार बाँटेंगे मशहूर लेखक सलमान रशदी. दाम में कम,काम में दम इन फ़िल्मों की एक ख़ास बात ये है कि ये बॉलिवुड में बनने वाली करोड़ों रूपयों की फ़िल्मों के मुक़ाबले काफ़ी कम पैसों में ही बन जाती हैं. इसकी एक वजह है डिज़िटल टेक्नोलॉजी. डिज़िटल टेक्नोलॉजी की मदद से इन फ़िल्मकारों को अपनी फ़िल्में कम पैसों मे अधिक आसानी से बनाने में काफ़ी मदद मिलती है. ये सभी फ़िल्मकार तकनीकी रूप से प्रशिक्षण भी लेते हैं. 'कॉस्मोपोलिटन' फ़िल्म की निर्देशक निशा गणतारा को उनकी फ़िल्म 'चटनी पॉपकॉर्न' के लिए कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है. बहरहाल, फ़िल्म निर्माण के इस नए ट्रेंड से कम से कम भारत के बाहर एक और भारत के बारे में जानने का मौका तो इनके दर्शकों को ज़रूर मिलेगा. |
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