'विलेन होकर भी दिलीप कुमार के भक्त लग रहे हो'

 अनुपम खेर, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ़

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इमेज कैप्शन, (एक समारोह के दौरान अनुपम खेर, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ़)
    • Author, वैभव दीवान
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता, मुंबई

अभिनेता अनुपम खेर हालिया रिलीज़ फ़िल्म 'गैंग ऑफ़ घोस्ट्स' समेत 480 फ़िल्में कर चुके हैं.

बॉलीवुड के इस बेहद अनुभवी और विविधतापूर्ण कलाकार ने अपने करियर की शुरुआत में ही दिलीप कुमार जैसे कद्दावर अभिनेता के सामने खलनायक का रोल निभाया था. फ़िल्म थी सुभाष घई की 'कर्मा'.

उसमें काम करने के अनुभव को अनुपम खेर ने बीबीसी के साथ बांटा, "देखिए जी जब मैं शूटिंग के लिए सेट पर पहुंचा तो दिलीप कुमार को देखता ही रह गया. उनके चलने का स्टाइल, उनके बोलने का तरीक़ा बैठने का ढंग सब देखता रहा."

<documentLink href="/hindi/multimedia/2014/03/140321_bbcem_vm.shtml" document-type="audio"> (सुनिए अनुपम खेर से ख़ास बातचीत)</documentLink>

उन्होंने कहा, "तब निर्देशक सुभाष घई मुझे कोने में ले जाकर बोले- ओए, तुम फ़िल्म के खलनायक हो लेकिन यहां तो बिल्कुल दिलीप साहब के भक्त लग रहे हो. तब मैंने उनसे कहा कैमरे चालू होने दीजिए. विलेन लगने लगूंगा."

अनुपम खेर मानते हैं कि दिलीप कुमार हर भारतीय कलाकार के लिए प्रेरणा हैं और उन जैसा बेमिसाल अभिनेता कोई नहीं. अनुपम अमिताभ बच्चन और बलराज साहनी जैसे कलाकारों के भी प्रशंसक हैं.

'हां, मैंने की भद्दी एक्टिंग'

अनुपम खेर और श्रद्धा कपूर

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इमेज कैप्शन, (एक अवॉर्ड फंक्शन के दौरान अनुपम खेर और श्रद्धा कपूर)

अनुपम खेर ने जहां 'सारांश' जैसी बेहद गंभीर और संवेदनशील फ़िल्म से अपना करियर शुरू किया तो वहीं बाद में कई फ़िल्मों में हास्य भूमिकाएं भी अदा कीं.

उनकी कई फ़िल्मों को तो बेहद 'लाउड' क़रार दिया गया और समीक्षकों ने उनके काम को 'फ़ूहड़' और 'ओवरएक्टिंग' तक बताया.

इसके जवाब में अनुपम खेर कहते हैं, "बुरा काम अच्छे काम के साथ ही चलता है. और मैं समीक्षकों के लिए नहीं बल्कि जनता के लिए काम करता हूं. वैसे मैं ख़ुद भी मानता हूं कि मेरी 480 में से 400 फ़िल्मों में मैंने भद्दी और ओवरएक्टिंग की है."

अनुपम खेर अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय कड़ी मेहनत और ईमानदारी को देते हैं. उनके मुताबिक़ उनके दादाजी ने उन्हें ये सबक़ दिया था जिस पर वो आज भी कायम हैं.

ऐसे मिली 'सारांश'

'सारांश'

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अनुपम खेर बताते हैं कि महेश भट्ट ने उनसे वादा किया था कि वो उन्हें फ़िल्मों में चांस ज़रूर देंगे. लेकिन 80 के दशक में जब 'सारांश' बनने वाली थी तो उन्हें शूटिंग से दस दिन पहले बताया गया कि वो नहीं बल्कि संजीव कुमार फ़िल्म में मुख्य भूमिका अदा करने वाले हैं.

अनुपम बताते हैं, "मुझे यह सुनकर बहुत बुरा लगा. मुझे लगा मुंबई मेरे लिए नहीं है. मैंने महेश भट्ट से बात की और ग़ुस्से में अपनी झुंझलाहट उनके सामने रखी. उन्हें बहुत बुरा-भला कहा और रोने लगा. तब महेश भट्ट को लगा कि फ़िल्म का मुख्य रोल अगर कोई कर सकता है तो वो मैं ही हूं. इस तरह से फ़िल्म मुझे मिल गई."

उन्होंने कहा, "27 साल की उम्र में 65 साल के शख़्स का किरदार निभाने के बाद भी बाद की फ़िल्मों में मैं टाइपकास्ट नहीं हुआ."

30 साल लंबे करियर के बाद अब आगे क्या प्लान है. इसके जवाब में अनुपम खेर बोले, "अभी तो यह शुरुआत है दोस्त. आगे-आगे देखो होता है क्या."

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