ऋतिक रोशन की बहन सुनैना रोशन ने खोले कई राज़

सुनैना रोशन और ऋतिक रोशन

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ऋतिक रोशन की बहन सुनैना ने हाल ही में एक ब्लॉग लिखा है. इसमें उन्होंने अपने भाई ऋतिक के बारे में कई ऐसी बाते बताईं, जो शायद कम ही लोगों को पता होंगी.

ऋतिक के घर वाले उन्हें प्यार से डुग्गू कहकर पुकारते हैं. उनकी बहन सुनैना ने अपने ब्लॉग में ऋतिक से जुड़े बचपन से लेकर अबतक के कई किस्से साझा किए हैं.

पढ़िए, उनका ब्लॉग, उन्हीं के शब्दों में -

बचपन में मैं और डुग्गू एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे. वो बहुत शर्मीला था और मैं बहुत ज़्यादा बातूनी. वो तो मेरी दोस्तों से बात करने में भी शर्माता था. लेकिन हम खूब लड़ते थे, इतनी कि हमारी मां परेशान हो जाती थी. आज वो जितना अनुशासन पसंद है, बचपन में उतना ही आलसी था. स्कूल लेट पहुंचता था, लंच के वक्त खाना सबसे देर तक खाता रहता था, छुट्टी होने पर सबसे आखिर में गेट से निकलता था. इस वजह से मैं उसपर बहुत गुस्सा करती थी. लेकिन मेरे इस छोटे भाई ने हमेशा ही एक बड़े भाई की तरह मेरा ख्याल रखा है. टीन-एज में मुझे अपने दोस्तों के साथ कुछ घंटों के लिए नाइट-आउट की इजाज़त थी. लेकिन इसकी भी एक शर्त थी कि जब भी मैं नाइट-आउट पर जाऊंगी तो डुग्गू मेरे साथ जाएगा.

सुनैना रोशन और ऋतिक रोशन

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जब ऋतिक के बेस्ट फ्रेंड के साथ डेट पर गई

एक दिन डुग्गू को पता चल गया कि मैं उसके एक करीबी दोस्त को ही डेट कर रही हूं. उस दिन के बाद से वो लड़का डुग्गू का करीबी दोस्त नहीं रहा. डुग्गू मुझे लेकर बहुत प्रोटेक्टिव था. वो मुझ पर बराबर निगाह रखता था. उसे जब भी लगता था कि मैं कुछ गलत कर रही हूं तो वो सबसे पहले जाकर मम्मी और पापा को बता देता था. लेकिन मम्मी-पापा से डांट तो उसे भी पड़ती थी, वो इसलिए क्योंकि वो बचपन में बहुत ही ज़िद्दी था.

मुझे याद है कि अगर वो किसी शॉप पर गया और उसे उसके मन का खरीद कर नहीं दिया गया तो वो ज़मीन पर लोट जाता था. लेकिन मैं ये भी कहना चाहूंगी कि वो बहुत ही मासूम था. उसकी मासूमियत उसकी पारदर्शी आंखों से साफ झलकती थी. आप साफ-साफ देख सकते थे कि वो उस वक्त क्या महसूस कर रहा है. जब भी उसे अपने मन का कुछ मिल जाता था तो वो उसे संभालकर अपने तकिए के नीचे रख लेता था. वो आज भी ऐसा है, आज भी जब वो कुछ हासिल कर लेता है तो उसके अंदर का बच्चा खुशी से नाच उठता है. छोटी-छोटी चीज़ें उसे खुशी देती हैं.

सुनैना रोशन और ऋतिक रोशन

डॉक्टरों ने कहा भूल जाओ एक्टर बनना

बचपन से ही ऋतिक में डांस को लेकर गज़ब का जुनून था. वो माइकल जैक्सन की पूजा करता था. लेकिन वो दूसरों के सामने डांस करने से शर्माता था. मैं जान चुकी थी कि वो एक्टर बनना चाहता है, लेकिन पापा को उसने पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद बताया. डुग्गू ने उन्हें कहा कि अब वो कैमरा फेस करने के लिए तैयार है. जितनी ज़िद्दी वो बचपन में था, आज भी वो उतना ही ज़िद्दी है. अगर उसने एक बार कुछ करने का ठान लिया तो उसे कोई नहीं रोक सकता. अपनी इसी इच्छा शक्ति की वजह से उसने अपने सामने आई हर चुनौती को पार कर लिया.

जब वो अपनी पहली फिल्म की तैयारी कर रहा था, तब डांस करते वक्त उसकी कमर में ऐंठन आ गई. डॉक्टर ने कहा कि ये एक आनुवंशिक विकार है. डॉक्टर ने उसे कहा कि वो एक्टर बनने की बात सोचना छोड़ दे, क्योंकि अगर वो कहीं से कूदा या डांस किया या फिल्मों में कोई एक्शन सीन किया तो वो पांच साल में व्हीलचेयर पर आ जाएगा. तब वो सिर्फ 21 साल का था, डॉक्टर की बात सुनकर उसका दिल टूट गया. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. वो कई डॉक्टरों से मिला. विज्ञान ने हार मान ली थी, लेकिन उसने विज्ञान को हराकर दिखा दिया. उसने खूब रिसर्च की, बहुत सी किताबें पढ़ीं और खुदको खुद ठीक किया.

सुनैना रोशन और ऋतिक रोशन

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उसका हकलाना उसकी मुसीबत था

डुग्गू के सामने एक और चुनौती थी. वो हकलाता था और वो ज़िंदगी भर इसके साथ नहीं जीना चाहता था. वो कहता है कि ये उसके लिए एक बड़ी लड़ाई थी. मुझे याद है कि 13 साल की उम्र में वो बैठकर घंटों तेज़-तेज़ बोला करता था, वो अकेला बाथरूम में बैठकर ऐसा करता रहता था. कभी कभी दिन-रात बैठकर वो ये करता था. 22 सालों तक मैंने उसे ये कोशिश करते देखा. वो अपनी आवाज़ रिकॉर्ड करता था और बार-बार उसे सुनता था. उसने ये अभ्यास तबतक किया जबतक वो ठीक नहीं हो गया.

वो अपने काम को लेकर हमेशा बहुत संजीदा रहा. अपनी पहली फिल्म 'कहो ना प्यार है' का एक गाना उसने 103 डिग्री बुखार में शूट किया था. उसके बारे में एक और दिलचस्प बात ये है कि अपने हर किरदार के लिए एक अलग इत्र लगाता है. क्रिश फिल्म में जब वो रोहित (बेटा) होता था तो अलग इत्र लगाता था और जब वो कृष्णा (पिता) होता था तो दूसरा इत्र लगाता था.

सुनैना रोशन और ऋतिक रोशन

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जब ऋतिक ने सारी रात मंदिर में बिताई

मेरे और डुग्गू के बीच बहुत मज़बूत कनेक्ट है. जब मुझे टीबी हुआ, तो मुझे अस्पताल में भर्ती कर लिया गया था. डॉक्टरों ने मेरे घर वालों से कहा कि अगले 36 से 48 घंटे बहुत नाज़ुक हैं. अगर ये निकल जाते हैं तो मैं खतरे से बाहर आ जाऊंगी. मां ने मुझे बाद में बताया कि ऋतिक पूरी रात मंदिर में बैठकर मेरे लिए प्रार्थना करता रहा था. इसके बाद जब मुझे कैंसर हुआ तो वो रोज़ पांच-पांच डॉक्टरों से मिलता था.

ऋतिक बहुत ही साफ दिल का इंसान है. वो कभी किसी के लिए कुछ गलत नहीं कहता. वो किसी से ज़्यादा बात नहीं करता है, अपने दर्द को अपने अंदर ही रखता है. मैंने कभी उसे ज़िंदगी से शिकायत करते नहीं देखा.

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जब हमें पता चला कि ऋतिक के दिमाग में खून का थक्का है और इसके लिए उसका ऑपरेशन करना होगा तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसके सामने कैसे जाऊं. मैं उस दिन बहुत रोई थी. मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी, लेकिन जब ऋतिक ऑपरेशन रूम में गया तो वो मुस्कुरा रहा था.

डुग्गू ने मुझे कभी नहीं बताया कि उसने मेरे लिए क्या-क्या किया है, मुझे ये सारी बाते अपनी मां से पता चलीं. इतने सालों में भी हम दोनों के बीच कुछ नहीं बदला है. अब हम रोज़ाना नहीं मिलते और ना ही रोज़ाना बात करते हैं, लेकिन मुझे पता है कि मुझे जब भी ज़रूरत होगी, मेरा भाई मेरे साथ होगा.

उसे ये भी पता है कि मैं उसकी सबसे बड़ी आलोचक हूं. वो मुझसे कुछ भी पूछता है तो मैं ईमानदारी से उसे सलाह देती हूं.

दुनिया के लिए वो सबसे सेक्सी पुरुष होगा, लेकिन मेरे लिए वो एक प्यारा भाई, बेटा और बेहतरीन पिता है.

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